सार्वजनिक क्षेत्र का भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) बचत खाते पर मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर काटे जाने वाले शुल्क की समीक्षा कर रहा है. देश के इस दिग्गज बैंक की ओर से यह जानकारी दी गई कि ग्राहकों की ओर से मिल रही प्रतिक्रियाओं के बाद खातों में मासिक औसत राशि बरकरार नहीं रखने पर लगने वाले चार्ज को लेकर एसबीआई समीक्षा करेगा. मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर शुल्क काटे जाने से उपभोक्ताओं में खासी नाराजगी है.

बैंक के एमडी (राष्ट्रीय बैंकिंग समूह) रजनीश कुमार ने कहा, ‘हमें इस संबंध में ग्राहकों की प्रतिक्रियाएं मिली हैं. इनकी समीक्षा की जा रही है. बैंक इन्हें ध्यान में रखते हुए कोई उचित फैसला लेगा. हम आंतरिक स्तर पर इस पर विचार कर रहे हैं कि क्या वरिष्ठ नागरिकों या छात्रों जैसी कुछ निश्चित श्रेणियों के लिए शुल्क में बदलाव किया जाना चाहिए या नहीं. ये शुल्क कभी भी पत्थर की लकीर नहीं होते हैं.’

एसबीआई ने पांच साल के अंतराल के बाद इस साल अप्रैल में मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर फिर से शुल्क से लागू किया था. इसके तहत खाते में मासिक औसत मिनिमम बैलैंस नहीं रख पाने पर 100 रुपये तक शुल्क और ऊपर से 18 फीसद जीएसटी वसूलने का प्रावधान किया गया था.

शहरी इलाकों में मिनिमम बैलेंस 5,000 रुपये तय किया गया. इसके 50 फीसद कम हो जाने पर 50 रुपये चार्ज के साथ जीएसटी लग रहा है. यह बैलेंस 75 प्रतिशत कम होने पर 100 रुपये और साथ में 18 फीसद जीसएटी वसूला जा रहा है. ग्रामीण इलाकों के लिए मिनिमम बैलेंस 1000 रुपये तय है. इसे बरकरार नहीं रखने पर 20 से 50 रुपये और साथ में जीएसटी लग रहा है.

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