पिछले साल आठ नवंबर को की गई नोटबंदी के दो दिन बाद 2,000 रुपये के नए नोट बाजार में अच्छी खासी मात्रा में जारी किए गए थे. लेकिन 500 रुपये के नोट को आने में लंबा वक्त लग गया, जिसके कारण लाखों लोगों को कई दिनों तक परेशानी झेलनी पड़ी.

क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों हुआ. इस मुद्दे से जुड़े एक शीर्ष अधिकारी ने इसका खुलासा किया है. जानें आखिर क्यों लेट से आई थी 500 रुपये की नोट.

- जब नोटबंदी की घोषणा की गई थी, तब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास 2,000 रुपये के नए नोटों का 4.95 लाख करोड़ का स्टाक था, लेकिन उसके पास नए 500 रुपये का एक भी नोट नहीं था. इस नोट के बारे में बाद में सोचा गया.

- देश में नोट छापने के चार प्रिंटिंग प्रेस हैं. इनमें आरबीआई के दो प्रेस हैं, जो मैसूर (कर्नाटक) और सालबोनी (पश्चिम बंगाल) में हैं. इसके अलावा भारतीय प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड (एसपीएमसीआईएल) के दो प्रिंटिंग प्रेस हैं, जो नासिक (महाराष्ट्र) और देवास (मध्य प्रदेश) में हैं.

एसपीएमसीआईएल सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है, जिसकी स्थापना साल 2006 में नोट छापने, सिक्कों की ढलाई करने तथा गैर-न्यायिक स्टैंप के मुद्रण के लिए की गई थी.

- एसपीएमसीआईएल हमेशा आरबीआई द्वारा दिए गए आर्डर के मुताबिक नोटों की छपाई करती है. लेकिन इस बार एसपीएमसीआईएल ने आरबीआई के आधिकारिक आर्डर के बिना ही नोटों की छपाई शुरू कर दी. 500 रुपये के नोट की डिजाइन नोटबंदी से पहले केवल आरबीआई के मैसूर प्रेस के पास था.

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