रेल यात्रियों को आरक्षित टिकट पर मिलने वाली बीमा कवरेज सुविधा में एक विसंगति सामने आई है. बढ़ते रेल हादसों के बीच इंटरनेट से टिकट बुक करने वालों को रेलवे मुफ्त (0 रुपए प्रीमियम) में बीमा कंपनियों से 10 लाख रुपए तक का बीमा दिलवा रही है. वहीं खिड़की से मैन्यूली टिकट बुक कराने वालों को कोई कवरेज नहीं मिल रहा.

अगर दुर्घटना होती है तो यात्री के परिजनों को केवल सरकारी मुआवजा ही मिलेगा. खास बात यह है कि 45 फीसदी से अधिक यात्री अब भी विंडो से ही टिकट ले रहे हैं. उत्कल और कैफियत एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद एक बार फिर रेलवे मैन्यूल टिकट पर भी इसे लागू कर सकती है. हालांकि रेल अधिकारी इसे रेलवे मंत्रालय और बोर्ड स्तर का मामला बता रहे हैं.

बता दें कि एयरवेज के अलावा सड़क मार्ग से शासकीय बसों में भी यात्री बीमा अनिवार्य कर दिया गया है. इसके बावजूद रेलवे अभी भी यात्री की जोखिम व सुरक्षा मापदंड में पीछे है. बीते साल ई-टिकट पर बीमा सुविधा लागू की गई थी. तब इसका शुल्क बहुत कम था मगर हाल ही यात्रियों को यह सुविधा 0 रुपए पर मुहैया कराई जाने लगी है. टिकट बुक करने के बाद यात्रियों के मोबाइल नंबर पौलिसी नंबर और बीमा कंपनी से जुड़ी तमाम जानकारियां भी भेजी जा रही हैं.

 ई-टिकट का बढता चलन

वर्ष 2011-12 में ई-टिकट पर यात्रा करने वालों का प्रतिशत 20 फीसदी ही था.

वर्ष 2013-14 में यह बढ़कर करीब 40 फीसदी तक पहुंच गया है.

जबकि वर्ष 2016-17 तथा इसके बाद अब यह आंकड़ा 55 सज 60 फीसदी के पास पहुंच गया है.

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