नोटबंदी यानी सरकार के 500 तथा 1,000 रुपए के नोटों को प्रचलन से बाहर करने के निर्णय के तत्काल बाद औनलाइन भुगतान कंपनी पेटीएम, मोबीक्विक आदि के अचानक अखबारों में बड़ेबड़े विज्ञापन देखने को मिले. कई लोग समझ ही नहीं पाए कि इन का इस्तेमाल किस तरह करना है. मजबूरी थी तो बड़ी संख्या में लोगों ने मोबाइल रिचार्ज कराने, बिजली के बिल के भुगतान आदि के लिए पेटीएम का इस्तेमाल भी सीख लिया. एकाएक पेटीएम के जरिए भुगतान कराने वालों की संख्या करोड़ों में पहुंच गई.

कंपनी ने भुगतान में मिलने वाले औफर घटा दिए. पेटीएम की लोकप्रियता बढ़ती गई और चाय की दुकानों पर भी लोग पेटीएम बारकोड लगा कर चाय बेचने लगे. बस, हवाईजहाज, सिनेमा आदि के टिकट बेचने के साथ ही कंपनी ने लोगों की सुविधा के लिए भी सामान्य कारोबारियों को भी बारकोड दिए.

जल्द ही कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शेखर शर्मा ने घोषणा की कि व्यापारियों के यहां लोग अपना डैबिट कार्ड या क्रैडिट कार्ड स्वाइप करा कर सामान खरीद सकते  हैं. पेटीएम की इस पहल से खरीदारों की सुविधा बढ़ गई और पेटीएम का कारोबार भी बढ़ गया. शेखर शर्मा का कहना है कि कार्ड से भुगतान पर महज 1.2 प्रतिशत चार्ज लिया जाएगा. उन का कहना है कि प्राथमिकता पैसा कमाने की नहीं बल्कि मार्च तक 50 लाख कारोबारियों को अपने इस प्लेटफौर्म से जोड़ने की है.

कारोबारियों के लिए मोबाइल पर एक बटन का इस्तेमाल करने को कहा गया है, जिस के जरिए खरीदार के बैंक खाते का पैसा कारोबारी के खाते में जमा हो सकेगा. नोटबंदी के बाद पेटीएम महत्त्वपूर्ण बटुआ बन चुका है और उस का उपयोग तेज रफ्तार से बढ़ा है. हर हाथ में मोबाइल होने के कारण मोबाइल की महज एक ‘की’दबा कर भुगतान की सुविधा देने की व्यवस्था से पेटीएम के कारोबार को पंख लग गए हैं.

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