शेयर बाजार में बिकवाली के जबरदस्त दबाव के चलते बौंबे स्टौक एक्सचेंज यानी बीएसई का सूचकांक क्रिसमस से पहले लगातार 7 दिनों तक गिरावट पर बंद हुआ और वह 20 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे चला गया. नैशनल स्टौक एक्सचेंज में भी ऐसा ही हाल रहा और वहां सूचकांक 8 हजार अंक के नीचे चला गया. इस से पूर्व डेढ़ साल पहले जून 2015 में बाजार लगातार 7 दिनों तक गिरावट पर रहा था. दिसंबर 15 से शुरू हुआ गिरावट का यह सिलसिला क्रिसमस तक लगातार बना रहा.

बिकवाली के दबाव में बाजार के इस हालत में पहुंचने के लिए अमेरिका के फैडरल रिजर्व के ब्याज दरों को बढ़ाने और शंघाई शेयर बाजार सूचकांक के 2 साल के निचले स्तर पर पहुंचने के अलावा कुछ घरेलू कारण बताए गए हैं. घरेलू कारणों में सब से महत्त्वपूर्ण नोटबंदी के बाद लगातार बदलते नियम भी हैं. इस से सरकार के निर्णयों पर सवाल उठने लगे जिस का सीधा असर थोक बाजार पर देखने को मिला.

क्रिसमस से ठीक पहले बाजार में मामूली रौनक लौटी लेकिन गिरावट के माहौल में बाजार के मूड पर दूसरा कोई असर नहीं हुआ. इधर, बाजार पर नजर रखने वाली जापानी कंपनी नोमूरा की मानें तो अर्थव्यवस्था की विकास दर 7.1 प्रतिशत रहने और 2018 तक इस में जबरदस्त उछाल के साथ 7.7 प्रतिशत रहने संबंधी आंकड़े ने बाजार में जान फूंकी और सूचकांक लगातार 7 दिन की गिरावट से उबर कर 23 दिसंबर को 8वें दिन तेजी पर बंद हुआ.

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