लहरों की खामोशी को समंदर की बेबसी मत समझ ए नादां, जितनी गहराई अंदर है, बाहर उतनी तूफान बाकि है... समाज के कुछ लोगों की हिम्मत देखिए, पैदा करने वाले को ही कमजोर समझने की जुर्रत करते हैं. अकसर घर पर रहने वाली महिलाओं को कमजोर, कम पढ़ी-लिखी, बुद्धिहीन आदि समझा जाता है. यह कोई सामान्यीकरण नहीं पर कठोर सच है. घर पर रहने वाली महिलओं को कई बार यह सुनना पड़ता है कि, ‘तुम करती क्या हो, घर पर ही तो रहती हो. मुझे देखो दिन भर दफ्तर में मेहनत करके चार पैसे कमाता हूं…’ ऐसी सोच वालों को शत शत नमन. एक दिन घर का काम करके तो देखें, तब समझ में आए कि महिलाएं दिन भर घर पर रहकर क्या क्या करती हैं. अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस बीत चुका है तो जाहिर सी बात है आपको यह सब बातें बचकानी लगेंगी और वह भी किसी लड़की की कलम से तो और ज्यादा बचकानी लगेगी.

कई बार घर का बोझ हल्का करने के लिए भी महिलाएं ऑफिस का रुख करती हैं. घर और ऑफिस साथ-साथ कैसे संभालती हैं ये तो वे ही जानें. पर इन दोनों में सामन्जस्य बनाकर ही चलती हैं. सब सुनती हैं, सहती हैं पर खुद को अपनों और गैरों के लिए झौंक देती हैं. आज हम ऐसी महिलाओं के बारे में बात करेंगे जिनको दफ्तर जाने की आजादी या वक्त नहीं हैं. अगर आप भी अपनी आजीविका खुद ही अर्जित करना चाहती हैं तो ऐसे कई रास्तें हैं जिससे आप घर बैठे ही पैसे कमा सकती हैं.

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