देश में रोजगार के अवसर बढ़ाने और उद्योगों के विस्तार के लिए 16 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘स्टार्टअप इंडिया’ को लौंच किया. इस से पहले मोदी देश में ‘मेक इन इंडिया’ की शुरुआत कर चुके हैं और इन दोनों योजनाओं का मकसद देश में कारोबार को बढ़ावा देना तथा औद्योगिक विकास के देशी स्वरूप को विकसित करना है. मेक इन इंडिया के तहत छोटी जरूरत की वस्तु से ले कर देश की सुरक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण बड़ेबड़े उपकरणों तक का निर्माण देश में करना है. स्टार्टअप इंडिया के तहत हर हाथ को हुनर देना है. प्रत्येक व्यक्ति में कौशल विकसित कर के छोटेछोटे कारोबार शुरू कर के देश को औद्योगिक विकास की बुलंदियों तक पहुंचाना है.

प्रधानमंत्री के इस योजना को शुरू करने के बाद केंद्र सरकार के औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग के सचिव अमिताभ कांत ने स्पष्ट किया है कि महिलाओं की भागीदारी के बिना स्टार्टअप की सफलता अधूरी है. उन का विश्वास है कि समाज में असमानता को समाप्त करने के लिए और महिलाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के वास्ते उन्हें स्टार्टअप से जोड़ने के लिए पहल करने की सख्त जरूरत है. महिलाएं उद्यमी बनें, इस के लिए उन के भीतर आत्मविश्वास विकसित करना जरूरी है. यह काम जिला स्तर पर औद्योगिक केंद्रों के जरिए ज्यादा प्रभावी तरीके से किया जा सकता है.

उन का मानना है कि महिलाएं स्टार्टअप इंडिया में ज्यादा भागीदारी कर सकें, इस के लिए छोटेछोटे कसबों में जिला औद्योगिक केंद्रों के जरिए कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी. यदि इस पहल पर ईमानदारी से काम होता है तो निश्चित रूप से महिलाओं की सामाजिक बराबरी में भागीदारी बढ़ेगी और स्टार्टअप योजना को गति मिलेगी.

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