यह चिंताजनक बात है कि देश में हवाईसेवा उपलब्ध कराने वाली सरकार की सब से पुरानी एयरलाइन एयर इंडिया 48 हजार करोड़ रुपए के घाटे में चल रही है. नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने कह दिया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की यह विमानन कंपनी काफी घाटे में चल रही है और इस को लाभ में लाने की संभावना न के बराबर है. दूसरी बड़ी निजी विमानन कंपनी जेट एयरवेज की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है और उस का निदेशक मंडल भी इस से निबटने पर माथापच्ची कर रहा है.

एशिया क्षेत्र में भारतीय विमानन क्षेत्र तेजी से प्रगति कर रहा है. मई में भारतीय विमानन क्षेत्र की प्रगति एशिया में सर्वाधिक 13.3 प्रतिशत आंकी गई जबकि चीन की हवाई यात्रा 8.3 प्रतिशत के साथ दूसरे और 8.1 प्रतिशत के साथ दक्षिण कोरिया तीसरे स्थान पर रहा. इन सब वास्तविकताओं के बावजूद इस दौरान जापान की दर में 2.8 प्रतिशत और आस्ट्रेलिया में 2.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई.

विमानन क्षेत्र में भारत की वृद्धि की वजह मध्यवर्ग की आर्थिक स्थिति में सुधार बताया गया है. इस के अलावा भारत सरकार हवाई यातायात को बढ़ाने के लिए उड़ान जैसी कई योजनाएं भी चला रही है. सरकार ने कई इलाकों में बेकार पड़े विमानन केंद्रों को संचालित करना शुरू किया है. किफायती किराया दूसरी बड़ी वजह है. रेल के किराए और प्लेन के किराए में जब अंतर बराबरी का हो तो लोग समय की बचत तथा यात्रा में सहूलियत के लिए स्वाभाविक रूप से हवाईयात्रा का विकल्प चुनते हैं. भारत में यही हो रहा है जिस के कारण मध्यवर्ग का व्यक्ति हवाईयात्रा का सपना देखने लगा है. उम्मीद की जानी चाहिए यह सपना और अच्छी तरह से साकार हो.

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