ब्रिक्स देशों में चीन के बाद भारत सबसे अधिक कॉम्पिटिटिव इकनॉमी बन गया है. वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के ग्लोबल कॉम्पिटिटिवनेस इंडेक्स के मुताबिक, इस वर्ष भारत की ग्रोथ चीन से अधिक रहेगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बड़े क्षेत्रों में सुधार और फाइनेंशियल सिस्टम में ट्रांसपैरेंसी के साथ सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है. 2015-16 में भारत की कॉम्पिटिटिवनेस में सबसे अधिक सुधार हुआ है और यह इंडेक्स में शामिल 139 देशों में 16 पायदान ऊपर चढ़कर 39वें स्थान पर पहुंच गया है.

ग्लोबल कॉम्पिटिटिवनेस रिपोर्ट 2016 में कहा गया है, 'भारत की कॉम्पिटिटिवनेस विशेषतौर पर गुड्स मार्केट एफिशिएंसी, बिजनेस के तौर तरीकों और इनोवेशन में बढ़ी है. बेहतर मॉनेटरी और फिस्कल पॉलिसीज के साथ ही ऑयल के कम प्राइसेज के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर हुई है और अब यह जी20 देशों में सबसे अधिक ग्रोथ वाली है.

एनालिस्ट्स ने साउथ एशिया में भारत को सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्था और इस रीजन में ग्रोथ का एक इंजन बताया है. इसके पीछे पब्लिक इंस्टीट्यूशंस में सुधार, इकनॉमी को विदेशी इनवेस्टर्स और इंटरनेशनल ट्रेड के लिए खोलना और फाइनेंशियल सिस्टम में ट्रांसपेरेंसी जैसे कारण हैं. एनालिस्ट्स का कहना है कि अगर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को बेहतर तरीके से लागू किया जाता है तो भारत को इससे काफी फायदा हो सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल कॉम्पिटिटिवनेस के लिए खुलेपन में कमी एक बड़ा खतरा है, जबकि भारत के प्रदर्शन में सुधार की वजह इसके खुलेपन में वृद्धि है.रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की सबसे बड़ी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की कॉम्पिटिटिवनेस में निकटता देखी जा रही है.

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