स्मार्ट सिटी, स्मार्ट होम, स्मार्ट फोन, स्मार्ट प्रोफेशन, काम करने का स्मार्ट तरीका यानी सबकुछ स्मार्ट.....ऐसे में देशदुनिया के नज़ारों से रूबरू कराने वाला टेलीविजन भी तो स्मार्ट हो. कुछ यही सोच देशवासियों को घर में रखे टेलीविजन को बदलने को प्रेरित कर रही है. इतना ही नहीं, लोग अपने घरों के टेलीविजन बदलने भी लगे हैं. सिंपल टेलीविजन को बदल कर, बेच कर या दान कर लोग स्मार्ट टेलीविजन खरीद रहे हैं.

स्मार्ट टेलीविजन का मतलब दीवार से सटे सिंपल एलईडी टीवी से नहीं है. स्मार्ट का मतलब आजकल इन्टरनेट से हो गया है, यानी इन्टरनेट की सुविधा हो तो वह स्मार्ट टेलीविजन है.

टेलीविजन में अब स्मार्ट टेक्नोलौजी पसंद करने वालों की संख्या बढ़ रही है. गुजरे सितम्बर महीने में स्मार्ट टेलीविजन की बिक्री पहली बार नौन-समार्ट टेलीविजन से ज्यादा रही. मेट्रो शहरों व दूसरे बड़े शहरों में टेलीविजन की बिक्री में स्मार्ट टेलीविजन की हिस्सेदारी 65 फीसदी रही, जो पिछले वर्ष से इस अवधि में तकरीबन 45 फीसदी थी.

स्मार्ट टेलीविजन इन्टरनेट से सीधे कनेक्ट हो सकते हैं.  इन में ऐप्स होते हैं. ये स्ट्रीमिंग या नेटफ्लिक्स, एमेजोन प्राइम और हौटस्टार जैसी ओवर-द-टौप (ओटीटी) मीडिया सर्विसेज़ को भी सपोर्ट करते हैं.

एलजी, सोनी जैसी इलेक्ट्रौनिक्स कंपनियों और रिलायंस, क्रोमा जैसी रिटेल चेन्स से जुड़े प्रोफेशनल्स का कहना है कि ब्राडबैंड के सस्ता होने, स्ट्रीमिंग सर्विसेज़ की बढ़ती लोकप्रियता और स्मार्ट व नौन-स्मार्ट टेलीविज़न की कीमतों के  बीच अंतर काफी कम हो जाने से स्मार्ट टेलीविज़न खरीदने वालों की संख्या बढ़ रही है.

औनलाइन मार्केटिंग कम्पनियां एमेजोन और फ्लिप्कार्ट द्वारा फेस्टिव सीजन सेल्स के दौरान भारी डिस्काउंट दिए जाने से भी स्मार्ट टेलीविज़न की बिक्री में तेजी आई है. देश की दूसरी सबसे बड़ी टेलीविज़न बनाने वाली कंपनी एलजी इलेक्ट्रौनिक्स के एक उच्च अधिकारी का कहना है कि स्मार्ट टीवी की बिक्री बढ़ने के पीछे इन्टरनेट की पहुंच में बढ़ोतरी और कई ऐप्स के अब क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध होने जैसे कारण हैं.

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