आईपीपीबी यानी इंडियन पोस्ट पेमैंट बैंक सचमुच एक क्रांति है. इस परिकल्पना से न सिर्फ संचार क्रांति के युग में बेकार पड़े लाखों पोस्टऔफिसों में फिर रौनक आएगी बल्कि देश के ग्रामीण क्षेत्र में आईपीपीबी लोगों के लिए बचत जमा करने का एक सुगम स्थान भी बनेगा.

देशभर में डेढ़ लाख से ज्यादा पोस्टऔफिस हैं. लगभग हर गांव में उन की पहुंच है. इस के जरिए गांवगांव में बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. ग्रामीण एक लाख रुपए तक की राशि आईपीपीबी में रख सकते हैं और उस से ज्यादा राशि होने पर उन का पैसा खुद ही डाकघर बचत बैंक खाते में जमा हो जाएगा. इस के लिए इसे

17 करोड़ डाकघर बचत खातों से जोड़ा गया है. यह बैंक पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा संचालित है और इस से ग्राहकों को जोड़ने के लिए डाक सेवकों को 25 प्रतिशत तक कमीशन दिया जाएगा तथा डाक विभाग का कमीशन 5 प्रतिशत होगा.

बड़ी बात यह है कि इस के खाताधारक को अपना खाता या पिन नंबर याद रखने की आवश्यकता नहीं है. इस के लिए ग्राहक के पास एक कार्ड होगा जिस को डाक सेवक के पास मौजूद बायोमीट्रिक मशीन से जोड़ कर लेनदेन हो जाएगा.

मजेदार बात यह है कि यह सेवा मोबाइल ऐप पर भी होगी. ग्राहकों को अंगूठे या उंगली का निशान लगाना होगा. इस बैंक के लिए करीब 1,450 करोड़ रुपए की लागत से मजबूत तकनीकी ढांचा उपलब्ध कराया गया है और इस का मकसद गांव में बैंकिंग सेवा देना है. इस साल के आखिर तक सभी डाक केंद्र इस प्रणाली से जुड़ जाएंगे.

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