केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच चल रही तनातनी अब अपने चरम पर जा पहुंची है. आरबीआई के 83 सालों में और आजाद भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि केंद्र सरकार  आरबीआई एक्ट के तहत मिलने वाली शक्ति का इस्तेमाल करेगी. इस एक्ट के तहत केन्द्र सरकार आरबीआई के गवर्नर को जनहित के मुद्दों पर निर्देश दे सकती है. मीडिया में आ रही खबरों की मानें तो सरकार इस बारे में पत्र भेज कर रिजर्व बैंक के गवर्नर को जानकारी दे चुकी है. इस एक्ट के मुताबिक सरकार आरबीआई गवर्नर को जनहित मुद्दें जैसे, लिक्विडिटी, लगातार कमजोर हो रहे बैंक और छोटे व मझोले उद्योगों पर कर्ज देने के मुद्दे पर निर्देश दे सकती है.

  • क्या है आरबीआई एक्ट का सेक्शन 7

आरबीआई एक्ट में सेक्शन 7 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केन्द्र ने आरबीआई को निर्देश दी है. इसमें ये बातें स्पष्ट तौर पर कहीं गईं हैं कि वो तमाम गंभीर और अहम मुद्दे, जिन्हें सरकार जनहित के नजरिए से बेहद अहम समझती है, वो उसपर गवर्नर को निर्देश दे सकती है. आपको बता दें कि देश के इतिहास में कोई भी सरकार पहली बार इस अधिकार का इस्तेमाल करेगी. इस कदम को आरबीआई के स्वायत्ता पर हमले की तरह देखा जा रहा है.

आपको याद दिला दें कि 1991 में, जब देश की अर्थव्यवस्था बेहद बुरे दौर से गुजर रही थी, तब भी सरकार ने इस अधिकार का प्रयोग नहीं किया था. इसके अलावा 2008 में वैश्विक मंदी के दौर में भी सरकार ने इस अधिकार का प्रयोग नहीं किया. अब देखने वाली बात है कि सरकार इस अधिकार को पहली बार किस तरह से इस्तेमाल करती है. चुकि इसका पहले कभी इस्तेमाल नहीं किया गया है, तो ये देखना भी दिलचस्प होगा कि सरकार और रिजर्व बैंक पर इसका असर कैसे पड़ता है.

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