अमेरिका से प्रकाशित फोर्ब्स पत्रिका की बादशाहत को चुनौती नहीं दी जा सकती. हाल ही में उस ने दुनिया की 100 प्रमुख कंपनियों की सूची जारी की है जिस में भारत की 5 कंपनियां--हिंदुस्तान यूनिलीवर, टाटा कंसलटैंसी सर्विस, एल ऐंड टी, सनफार्मा और बजाज शामिल हैं. यह हमारे लिए खुशी की बात है. पत्रिका ने उन्हीं कंपनियों को सूची में शामिल किया है जिन की बाजार पूंजी 10 अरब डौलर है और जिस ने अपने कुल अर्जित राजस्व का ढाई फीसदी धन शोध व विकास कार्यों पर खर्च किया है. शोध व विकास कार्यों के कारण ये सभी कंपनियां सुर्खियों में रही हैं. सूची में हिंदुस्तान यूनिलीवर 14वें स्थान पर है जबकि शेष चारों कंपनियां 50 से 100 के बीच के क्रम में हैं.

पत्रिका हर साल वैश्विक स्तर पर उद्योगों की सूची जारी करती है और दुनिया की कंपनियां सूची में अपना नाम देख कर खुश हो जाती हैं. यही हालत अमेरिकी रेटिंग एजेंसियों की भी है, सब कुछ अमेरिका के पास है. हमारी इंडिया टुडे, बिजनैस इंडिया, आउटलुक या सरिता यदि इस तरह की पहल करें तो उन की कोई सुनने वाला नहीं है. आखिर अपनी पत्रिकाओं के सर्वेक्षण में अपना नाम शीर्ष स्तर पर देख कर हमारे लोग खुश क्यों नहीं होते हैं. हमें ध्यान रखना है कि सूची में नाम आने पर हम खुशी का जो इजहार करते हैं वह फोर्ब्स पत्रिका की प्रतिष्ठा की बुनियाद है. जरूरत स्वयं पर, अपने लोगों पर और अपने प्रकाशनों पर भी विश्वास करने की है.

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