पिछले एक साल के दौरान देश में सिगरेट की बिक्री 8 फीसदी गिरी है. यह पिछले 15 साल की सबसे बड़ी सालाना गिरावट है. सरकार की तरफ से चलाए स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता अभियान और एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी का सिगरेट की बिक्री पर बुरा असर पड़ा है. भारत में सालाना 88 अरब सिगरेट स्टिक्स की बिक्री होती है. वॉल्यूम के लिहाज से ग्लोबल मार्केट में भारत की हिस्सेदारी 2 फीसदी है.

जापानी फाइनैंशल फर्म नोमुरा ने यूरोमॉनिटर डेटा का जिक्र करते हुए कहा, 'वॉल्यूम घटने से साल 2015 में भारत में सिगरेट इंडस्ट्री की ग्रोथ सिर्फ 1.9 फीसदी रही थी, जबकि पांच साल पहले यह 10.3 फीसदी थी. यह इस बात का संकेत है कि इंडस्ट्री में स्ट्रक्चरल बदलाव हो रहा है.' वित्त वर्ष 2012 से 2016 के बीच सिगरेट पर एक्साइज ड्यूटी 118 फीसदी और वैट 142 फीसदी बढ़ा है.

केंद्र सरकार अब सिगरेट के पैक पर 85 फीसदी पिक्टोरियल स्वास्थ्य चेतावनी दे रही है, जो पहले 40 फीसदी थी. सिगरेट इंडस्ट्री की मार्केट लीडर आईटीसी लिमिटेड का मार्केट के 80 फीसदी हिस्से पर कब्जा है. कंपनी के प्रॉफिट में 80 फीसदी हिस्सा इस सेगमेंट का है. आईटीसी के प्रवक्ता ने कहा कि ज्यादा टैक्स और पिक्टोरिटयल वॉर्निंग्स बढ़ने से अवैध सिगरेट की बिक्री बढ़ गई है.

उन्होंने कहा, 'यूरोमॉनिटर इंटरनैशनल की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि भारत अवैध सिगरेट का चौथा सबसे बड़ा बाजार बन गया है. इससे हर साल 9,000 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है. स्मगलिंग वाले सिगरेट पर पिक्टोरियल वॉर्निंग्स नहीं होतीं. पैकेट से ऐसा अहसास होता है कि वह सुरक्षित है, जिससे कीमत में और तेजी आती है.'

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