दुनियाभर में बिगड़ती जीवनशैली और तमाम दबावों के चलते बीमारियों की और बीमारों की तादाद में इजाफा हो रहा है. यही वजह है कि इन दिनों वर्कप्लेस पर वैलनेस का कान्सेप्ट काफी तेजी पकड़ रहा है.

ब्रिटेन और अमेरिका में कुछ कंपनियां अपने कर्मचारियों को एक ट्रैकिंग डिवाइस पहना रही हैं. इस से वे अपने कर्मचारियों की सेहत, फिटनेस और उन के तनाव पर हर लम्हा नजर रख सकेंगी. गले में लौकेट की तरह लटकाई जाने वाली इस डिवाइस को सोशियोमैट्रिक बैंडेज कहा जा रहा है. एक बैंक समेत 4 बड़ी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को यह ट्रैकिंग डिवाइस दी है. ब्रिटेन में यह सरकारी स्वास्थ सेवा एनएचएस  के साथ मिल कर किया जा रहा है.

एटीएम कार्ड जितनी बड़ी इस मशीन में एक माइक्रोफोन लगा है जो बातचीत के लहजे, रफ्तार और वौल्यूम को दर्ज करेगा. क्या कहा जा रहा है, यह रिकार्ड नहीं होगा. लेकिन बात करने के अंदाज से पता चलेगा कि ट्रैकिंग डिवाइस पहनने वाले शख्स का मूड कैसा है और वह क्या कर रहा है.

यह बताना जरूरी है कि यह कर्मचारियों की निजता का हनन नहीं है क्योंकि कंपनिया हर कर्मचारी का डाटा नहीं देख पाएंगी. कर्मचारियों की पहचान सुरक्षित रखी जाएगी और जानकारी को डाटा के रूप में पेश किया जाएगा.

अपने कर्मचारियों का खयाल रखने में भारतीय कम्पनियां भी अब पीछे नहीं हैं. वे भी अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य व उन के वेलनेस पर ध्यान दे रही हैं. इस में आर्थिक और भावनात्मक पहलू को भी शामिल किया गया है.

ग्लोबल एडवाइजरी, ब्रोकिंग एंड सोल्यूशन्स कम्पनी विलिस टावर्स की ओर से कराई गई ‘इंडिया हेल्थ एंड वेल बीईंग स्टडी 2018’ से पता चला है कि इस साल तकरीबन 80 फीसदी से ज्यादा कंपनियों ने अपने यहां कर्मचारियों की सेहत की देखभाल, वेट मैनेजमेंट (वजन पर कण्ट्रोल), जिस्म की गतिविधि, बेहतर खानपान के अलावा मानसिक स्वास्थ्य पर सहभागिता बढ़ाई है.

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