नोट बंदी के बाद से ही कैश के अभाव में देश में ‘त्राहिमाम, त्राहिमाम’ जैसी स्थिती उत्पन्न हो गई है. अर्थव्यवस्था को लाइन पर लाने की कोशिश में प्रधानमंत्री जी देश को ही लाइन पर ले आयें. एक तरफ जहां देश का बहुत बड़ा हिस्सा कैश के अभाव में परेशान हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ देश के कई गांव पूरी तरह से कैशलेस व्यवस्था पर ही काम कर रहे हैं.

सरकार देश को कैशलेस बनाने के लिए साम दाम दंड भेद, सब अपना रही है. नोटबंदी के जख्म पर सरकार ने समय समय पर कई तरह के मरहम लगाने की भी कोशिश की. इधर देश में कैश की कमी से लोगों का बुरा हाल है. आलम यह है कि कुछ लोग तो कैश की कमी के मारे आधी-आधी करके सिगरेट पी रहे हैं. कैश की कमी से एक अच्छा परिवर्तन तो हुआ ही है और कुछ लोगों की बुरी आदतें सीमित हो गई हैं.

पर क्या आप ऐसे गांव की कल्पना कर सकते हैं जहां एक पैकेट नमक से लेकर एक कटिंग चाय भी बिना कैश के खरीद मिलती हो? देश में कई ऐसे गांव है जहां लोग छोटे से छोटा जरूरत का सामान भी मोबाईल पैमेंट से खरीदते हैं. एटीएम की लाइनें अब भले ही छोटी हो गई हों पर कुछ दिनों पहले तक यूं लगता था मानो पूरा देश ही लाइन में लगा हो. भारत के इन गांवों पर नोटबंदी का कोई असर नहीं हुआ और न ही यहां के लोगों के जीवनशैली में कोई परिवर्तन आया है.

1. मोरीगांव, असम

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