जीएसटी के ई-वे बिल में लगातार तकनीकी खामियों संबंधी शिकायतें आ रही थी, जिसे अब सरकार ने भी मान लिया है. ई-वे बिल की तकनीकी खामियों ने सरकार के सामने इसकी तारीख बढ़ाए जाने के अलावा और कोई अन्य विकल्प नहीं छोड़ा है. जी हां, इस बिल को तैयार करने में आ रहीं शुरूआती तकनीकी खामियों के चलते आखिरकार सरकार ने ई-वे बिल जेनरेशन के ट्रायल फेज को बढ़ाने का फैसला कर लिया है.

बता दें कि ई-वे बिल वो दस्तावेज है जो अब ट्रांसपोर्टर्स के लिए 50,000 रुपए से ऊपर की कीमत के अपने सामान को एक राज्य से दूसरे राज्य में पहुंचाने के लिए बनवाना अनिवार्य होगा. यह राज्य के भीतर एवं राज्यों के बीच लागू होगा. ई-वे बिल का उद्देश्य टैक्स चोरी का पता लगाना है.

ई-वे बिल 16 जनवरी को लागू किया गया था और इसके ट्रायल रन के करीब 15 दिन बाद यानी 1 फरवरी को इस बिल को अनिवार्य किया जाना तय हुआ था. इसी दिन आम बजट 2018 भी पेश किया गया. लेकिन अब इसकी तारिख को बढ़ाए जाने का फैसला किया गया है. सरकार का कहना है कि इस संबंध में इस कानून के पूर्णतया लागू करने की तारीख का जल्द एलान किया जाएगा.

पहले ही दिन लोगों को हुई समस्या : 1 फरवरी के दिन हजारों ट्रांसपोर्टर्स ने शिकायत की कि उन्हें ई-वे बिल जेनरेट करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. कुछ लोगों ने ट्विटर पर शिकायत की कि ई-वे बिल का पोर्टल स्लो चल रहा है या ठीक से काम नहीं कर रहा है. वहीं कुछ लोगों ने अपनी सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी जाहिर कीं.

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