बुधवार को आईसीआईसीआई बैंक की सालाना आम बैठक (एजीएम) हुई. इसमें एमडी और सीईओ चंदा कोचर तो नहीं थीं, लेकिन बैठक का माहौल पूरी तरह उनके खिलाफ था. कुछ शेयरहोल्डर्स ने भ्रष्टाचार पर सवाल किया तो कुछ ने गवर्नेंस पर सवाल उठाए. चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर संदीप बख्शी ने उन्हें आश्वासन दिया कि बैंक के कामकाज पर कोचर से जुड़ी घटना का कोई असर नहीं होगा.

आरोप है कि चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की कंपनी में वीडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत ने निवेश किया. इसके बाद आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप को 3,250 करोड़ रुपए का लोन दिया था. मार्च में मामला सामने आने के बाद बैंक मैनेजमेंट ने पहले तो चंदा कोचर का समर्थन किया, बाद में जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण समिति को इसकी जांच सौंप दी. जांच पूरी होने तक चंदा कोचर छुट्टी पर हैं.

शेयरहोल्डर सुनील हेमनानी ने जानना चाहा कि कोचर के खिलाफ चल रही जांच के बारे में शेयरधारकों को क्यों नहीं बताया जा रहा है. उन्होंने कहा, बैंक मैनेजमेंट ने उन्हें 15 मिनट में ही कैसे क्लीन चिट दे दी थी, जबकि अब उनके खिलाफ जांच में महीनों लग रहे हैं. उन्होंने पूछा, किस आधार पर मैनेजमेंट ने सीईओ का समर्थन किया था? शेयरहोल्डर विमल भट्ट ने गवर्नेंस का मुद्दा उठाया. उन्होंने बैंक की बोर्ड मीटिंग में सरकारी नॉमिनी की गैरमौजूदगी के बारे में भी जानना चाहा. सरकारी नॉमिनी लोकरंजन एजीएम में भी मौजूद नहीं थे. शेयरहोल्डर अरकचंद शाह ने कड़े फैसले लेने और बैलेंस शीट जल्दी साफ करने का आग्रह किया.

शेयरहोल्डर आरपी सुराना ने कोचर की आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के बोर्ड में दोबारा नियुक्ति पर सवाल उठाए. इस पर बख्शी ने कहा कि जांच पूरी होने से पहले बोर्ड द्वारा कोई फैसला लेना उचित नहीं होगा. हमारी एमडी एवं सीईओ ऑफिस नहीं आ रही हैं. किसी भी कार्रवाई के लिए हम जांच पूरी होने का इंतजार करेंगे.

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