मोबाइल आज हर हाथ का उपकरण बन गया है और हर माह इस का उपयोग करने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. गांव से ले कर शहर तक परिवार के हर सदस्य के पास मोबाइल फोन है. बिना अक्षरज्ञान वाले लोग भी अपने विशिष्ठ कौशल का इस्तेमाल कर मोबाइल फोन का बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं. मुश्किल यह है कि दूरसंचार कंपनियां मोबाइल फोन के हर हाथ में पहुंचने का जम कर फायदा उठा रही हैं, लुभावने औफर दे कर ग्राहकों का अनापशनाप पैसा काट रही हैं. इस से आम उपभोक्ता परेशान है. कंपनियां उपभोक्ताओं की शिकायतें सुनने को तैयार नहीं हैं.

कई कंपनियों के ग्राहक सेवा केंद्र पर फोन करने से पता चलता है कि उन की समस्या सुनने वाला कोई नहीं है. सिर्फ रिकौर्डेड आवाज आती है और ग्राहक सेवा के निस्तारण के लिए अधिकृत व्यक्ति तक साधारण उपभोक्ता पहुंच ही नहीं पाता. कुछ कंपनियों के ग्राहक सेवा केंद्र में यदि यह संभव होता है तो कई बार उस का ग्राहक सेवा अधिकारी बता देता है कि वह ग्राहक की सेवा का निस्तारण नहीं कर सकता है.

एक आंकड़े के अनुसार, हर तिमाही में मोबाइल ग्राहकों की 1 करोड़ शिकायतें मिल रही हैं, लेकिन संतोषजनक ढंग से उन की बात सुनने वाला कोई नहीं है. कंपनियां ग्राहकों की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लेती हैं, लेकिन अब इन समस्याओं को सुलझाने के लिए लोकपाल का गठन किया जा रहा है.

दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के अनुसार, इस तरह की शिकायतों के समाधान के लिए लोकपाल पद सृजित किया जा रहा है. सरकार से इस की मंजूरी मिलने का आग्रह किया गया है. मंजूरी मिलने के बाद जल्द ही जरूरी कदम उठाए जाएंगे. नियामक सेवा प्रदाताओं पर दबाव डालेगा कि उन्हें हर हाल में ग्राहकों की शिकायतें सुननी हैं.

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