भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. पेट्रोल और डीजल दोनों की कीमतें रिकौर्ड स्तर पर पहुंच चुकी हैं. दिल्ली में पेट्रोल की कीमतें 78 रुपए 27 पैसे प्रति लीटर पहुंच चुकी हैं. वहीं, डीजल 69 रुपए 17 पैसे प्रति लीटर पर हैं. वहीं, सबसे ज्यादा पेट्रोल-डीजल मुंबई में महंगा है. जहां कीमतें 86 रुपए प्रति लीटर के पार पहुंच गई हैं. सिर्फ मुंबई नहीं देशभर में यही हाल है कि पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते जा रहे हैं. लेकिन, एक दौर था जब जर्मनी में भी पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे थे. जिसके बाद जर्मनी की जनता ने कुछ ऐसा किया कि सरकार को उनके आगे झुकना पड़ा.

जर्मनी में क्या हुआ था

जिस तरह भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ रहे हैं, ठीक वैसे ही साल 2000 में जर्मनी का हाल था. यहां भी कीमतें रिकौर्ड स्तर पर पहुंच गई थीं. बढ़ते दाम से जनता काफी परेशान हो चुकी थी. इसके बाद जर्मनी की जनता ने ऐसा तरीका निकाला, जिससे सरकार को दाम कम करने के लिए झुकना पड़ा और रातों-रात दाम को कम करना पड़ा. एक रिपोर्ट के मुताबिक, जर्मनी के लोगों ने पेट्रोल-डीजल के दाम कम कराने के लिए अपनी गाड़ियां सड़कों पर छोड़ दी. राजधानी बर्लिन में करीब 4 हजार गाड़ियां सड़कों पर खड़ी थीं. शहर हो या गांव हर जगह से लोग प्रदर्शन में पहुंचे. इतना बड़ा प्रदर्शन देखकर सरकार हिल गई.

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सरकार को झुकना पड़ा

बर्लिन की सड़कों पर गाड़ियां जमा होने से पूरे शहर में जाम लग गया. शहर और हाईवे पर सिर्फ गाड़ियां ही गाड़ियां नजर आईं. लोगों के विरोध से चारों ओर अफरा-तफरी मच गई. कामकाज पूरी तरह ठप पड़ गया. कई कंपनियों को काम बंद करना पड़ा. यह हाल देखकर जर्मनी की सरकार को झुकना पड़ा और तेल के दाम रातों-रात कम करने पड़े थे.

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