आयकर रिटर्न फाइल करते समय व्यक्तिगत, हिंदू अविभाजित परिवार और फर्म के लिए डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (डीएससी) का इस्तेमाल अनिवार्य हो गया है. डिजिटल सिग्नेचर किसी व्यक्ति के हस्ताक्षर का इलेक्ट्रौनिक रूप है. इसका इस्तेमाल किसी दस्तावेज को प्रमाणित करने के लिए किया जा सकता है. ये सर्टिफिकेट कंट्रोलर औफ सर्टिफाइंग अथौरिटीज (सीसीए) द्वारा स्वीकृत सर्टिफाइंग अथारिटी जारी करती है.

डिजिटल सर्टिफिकेट 'यूएसबी टोकन' के रूप में आता है और आमतौर पर एक या दो साल के लिए वैध रहता है. वैधता समाप्त होने पर इसे रिन्यू कराया जा सकता है. इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए डिजिटल सिग्नेटर का इस्तेमाल करना आसान है. साथ ही इसके जरिए रिटर्न फाइल करना काफी सुरक्षित भी है.

यदि रिटर्न डिजिटल रूप से साइन किया गया है तो फिर रिटर्न को आधार ओटीपी से वैरीफाई करने की जरूरत नहीं है. साथ ही सीपीसी बेंगलुरू को आईटीआर की हस्ताक्षरित हार्ड कौपी भेजने की जरूरत भी नहीं है. डिजिटल सिग्नेचर को इनकम टैक्स ई-फाइलिंग वेबसाइट पर पंजीकृत करना अनिवार्य है.

डिजिटल सिग्नेचर तीन वर्गो में उपलब्ध है - क्लास 1, क्लास 2 और क्लास 3.

क्लास 1 - ये व्यक्तिगत या निजी उपयोग के लिए जारी किया जाता है. इसका इस्तेमाल कम मूल्य के लेनदेन में होता है. इसमें पहचान के सबूत की जरूरत नहीं.

क्लास 2 - इस डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल विभिन्न सरकारी संस्थानों में दस्तावेज फाइल करने के लिए किया जाता है. जैसे आयकर विभाग, कौरपोरेट मामलों के मंत्रालय आदि. आयकर रिटर्न के लिए इस सिग्नेचर का ही इस्तेमाल किया जाता है.

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क्लास 3 - इसका इस्तेमाल रेलवे, बैंक, सड़क परिवाहन प्राधिकरण, बिजली बोर्ड जैसे सरकारी विभागों ई-नीलामी या ई-टेंडरिंग के लिए किया जाता है.

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