पीएनबी के बाद कई बैंको में घोटाले किये जाने की खबरे आई थीं, इन घोटालो का सिलसिला अभी तक जारी है, क्योंकि अब एक और सरकारी बैंक में इस तरह की खबर आई है. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने केनरा बैंक के पूर्व चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक आर के दुबे और दो तत्कालीन कार्यकारी निदेशकों पर 68 करोड़ रुपए से अधिक के कर्ज चूक मामले में धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप लगाया है.

जांच एजेंसी ने विशेष सीबीआई अदालत में पूर्व चेयरमैन और प्रबंध निदेशक आरके दुबे, पूर्व कार्यकारी अधिकारी अशोक कुमार गुप्ता और वीएस कृष्ण कुमार, पूर्व उप महाप्रबंधक मुकेश महाजन, पूर्व मुख्य महाप्रबंधक टी. श्रीकांतन और पूर्व सह महाप्रबंधक उपेंद्र दुबे के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल कर दिए हैं. बैंक से धोखाधड़ी के मामले में दायर आरोप-पत्र में दिल्ली की एक निजी कंपनी अकेजन सिल्वर प्राइवेट लिमिटेड और उसके दो निदेशकों कपिल गुप्ता और राज कुमार गुप्ता के नाम भी शामिल हैं.

बता दें कि सीबीआई ने 27 जनवरी, 2016 को अकेजन सिल्वर, इसके दो निदेशकों, अज्ञात सरकारी कर्मचारियों और अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र रचने, धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले दर्ज किए थे. सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि आरोपों के अनुसार चांदी, हीरे और सोने के आभूषणों, नकली आभूषणों आदि का फुटकर और थोक व्यापार करने वाली निजी कंपनी ने उत्तर दिल्ली स्थित बैंक की कमला नगर शाखा से 2013 में 68.38 करोड़ रुपये का ऋण लेने के बाद उसे चुकाया नहीं था.

संबंधों का इस्तेमाल कर कर्ज दिया गया

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि गुप्ता, दुबे को जानते थे और कर्ज हासिल करने के लिये उन्होंने अपने संबंधों का इस्तेमाल किया. सीबीआई ने बताया, "दिसंबर 2013 में ऋण जारी कर दिया गया, जिसे अगले तीन महीनों में चुकाया जाना था. जारी होने के एक साल के अंदर ही 29 सितंबर, 2014 को इसे गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) घोषित कर दिया गया. उस राशि को फर्जी लेन-देन द्वारा पारिवारिक सदस्यों और बैंक के उच्चाधिकारियों में वितरित किया गया."

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