दिल्ली में लगातार प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए अगले साल से ही बीएस-6 (BS-6) पेट्रोल और डीजल लाने का फैसला लिया गया है. यह फैसला राज्य सरकार की तरफ से लिया गया है. हालांकि माना जा रहा है कि बीएस-6 को जिस वजह से राजधानी दिल्ली में लागू किया जा रहा है, उसमें यह ज्यादा बदलाव करे या न करे लेकिन यह आपकी जेब पर ज्यादा असर जरूर डालने वाला है.

क्या है बीएस-6

बीएस-6 का पूरा नाम भारत स्टेज एमिशन स्टैंडर्ड्स है जिसे BS यानि भारत स्टेज के नाम से भी जाना जाता है. बीएस-6 उत्सर्जन मानक है, जिसका इस्तेमाल इंजन और मोटर व्हीकल्स से निकलने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्र‍ित करने के लिए किया जाता है.

बीएस-6 फ्यूल के तहत पेट्रोल और डीजल में सल्फर की मात्रा को प्रति मिलियन (PPM) के दसवें हिस्से तक ही सीमित कर दिया जाता है. बीएस-6 ईंधन वाले वाहनों को नाइट्रोजन आक्साइड उत्सर्जन 68 फीसदी से कम करना होगा. उन्हें पर्टिकुलेट मैटर के उत्सर्जन को भी मौजूदा मानक से 5 गुना ज्यादा कम करना होगा.

क्यों लिया बीएस-6 का फैसला

पिछले दिनों 7 नवंबर से दिल्ली में प्रदूषण का स्तर कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है. इसी बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए राज्य सरकार ने बीएस-6 ईंधन को दो साल पहले ही इस्तेमाल करने का फैसला कर लिया है. हालांकि बीएस-6 गाड़ियां 2020 से ही आएंगी. माना जा रहा है कि इसके लागू होने पर प्रदूषण नियंत्रण के मानक कड़े हो जाएंगे.

बढ़ेगा खर्च

भारतीय आटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स सोसायटी (एसआईएम) को बीएस-6 ईंधन में अपग्रेड करने के लिए जो सुरक्षा मानक अपनाए जाएंगे, जिसके लिए भारी खर्च करना पड़ सकता है. अंदाजा लगाया जा रहा है कि इसे लागू करने में एक लाख करोड़ रुपये तक का खर्च आएगा. इसमें आटो इंडस्ट्री को 35 से 45 फीसदी खर्च करना पड़ सकता है. इस खर्च की वजह से कंपनियों की जेब पर दबाव बढ़ेगा. खर्च वहन करने के लिए कम्पनियां कारों की कीमतो में बढ़ोतरी करेगी, जिससे कारें काफी हद तक महंगी हो जाएगी. कारें महंगी होगी तो जाहिर सी बात है कि इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...