सरकार का हाल का एक आंकड़ा चौंकने वाला है. इस में कहा गया है कि देश में राशनकार्ड को आधार से जोड़ने से पता चला है कि करीब ढाई करोड़ राशनकार्ड फर्जी थे. अब तक 77 फीसदी राशनकार्ड ही आधार से जोड़े गए हैं. सरकार को 14 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की बचत हुई है.

रियायती दर पर सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों पर लोगों की लाइन अचानक कम हो गई है. सरकार ने सभी फर्जी राशनकार्ड बंद कर दिए हैं.

राशन प्रणाली को सरकार डिजिटल कर चुकी है और अब सही लोगों को सस्ता राशन मिल रहा है. सरकार की योजना पूरे मूल्य पर राशन दे कर रसोई गैस की तरह सब्सिडी उपभोक्ता के खाते में भेजने की है. यह लंबी प्रक्रिया है और इसे शुरू करने में अभी समय लगेगा लेकिन इस के शुरू होने से गोलमाल करने वाले राशन विक्रेताओं पर पूरी तरह से लगाम लग जाएगी.

बड़ा प्रश्न यह है कि जिस समाज में सरकारी सुविधा के लिए संपन्न लोग भी चोर बन रहे हैं और गरीबों का हक छीनने से संकोच नहीं करते हैं, वह समाज किस कदर भ्रष्ट हो चुका है, सरकार का यह आंकड़ा उसी तसवीर का खुलासा करता है.

घुन की तरह सामाजिक व्यवस्था को खोखला कर रही भ्रष्टाचार की इस प्रवृत्ति को सरकार रोकने का प्रयास तो कर रही है लेकिन यह काम आसान नहीं है. खुद धनवान बनने वालों में चोर शामिल हैं. फर्जी राशनकार्ड वालों पर अगर कार्यवाही होती तो क्या फर्जीवाड़ा करने वाले दहशत में नहीं होते.

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