आजकल किराए पर मकान देना या मकान में ही पीजी खोल लेना, आय का बहुत अच्छा जरिया है. बड़े शहरों में तो यह बहुत ही तेजी से बढ़ता हुआ बिजनेस है, क्योंकि बड़े शहरों में नौकरी और पढ़ाई के लिए छोटे शहरों और गांवों से लोग आते रहते हैं. पर मकान मालिक पुलिस वेरीफिकेशन और रेंट ऐग्रीमेंट बनवाने से बचते हैं. बहुत से मकान मालिकों को यह झंझट का काम लगता है. पर ऐसा सोचना गलत है. जरा सी भाग-दौड़ से बचने के लिए जरूरी कार्यवाही न करना बेवकूफी है.

कई बार ऐसे मामले देखने को मिलते हैं जब किरायेदार समय पर किराया नहीं देते. यही नहीं कई बार तो मकान खाली नहीं करते और उल्टे मकान मालिक को ही धमकीयां देते रहते हैं. ऐसे में परेशानी मकान मालिक को ही होती है. पर ऐसी परेशानियों से आसानी से बचा जा सकता है, बस थोड़ी सी सावधानी के साथ.

रेंट ऐग्रीमेंट की बारीकियों को समझना है बहुत जरूरी

क्या है रेंट ऐग्रीमेंट

रेंट ऐग्रीमेंट किरायेदार और मकान मालिक के बीच का लिखित करारनामा है. किसी भी रेंट ऐग्रीमेंट में किराए संबंधी सभी नियमों और शर्तों का स्पष्ट विवरण होना चाहिए. ऐग्रीमेंट में मकान के किराए के अलावा अन्य शुल्कों(बिजली बिल, पानी का बिल, मेंटेनेंस चार्ज आदि) के बारे में भी पूरी जानकारी होनी चाहिए, ताकि भविष्य में किराएदार मकान मालिक पर कोई आरोप न लगा पाए.

क्यों किराए पर दे रहे हैं मकान

किराए पर दिए जाने वाले मकान का इस्तेमाल कैसे होगा, रेंट ऐग्रीमेंट में इसकी जानकारी देना भी जरूरी है. अगर मकान या फ्लैट रहने के लिए किराये पर लिया जा रहा हो या बिजनेस संबंधी कामों के लिए, सबकी जानकारी देना जरूरी है. मकान में कितने लोग रहेंगे, उनका स्थायी पता, उनके प्रोफेशन की जानकारी भी साफ-साफ लिखी होनी चाहिए.

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