9 जुलाई 1875 में बांबे स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना हुई थी. प्रेमचंद रायचंद सहित 11 व्यापारियों ने केले के एक पेड़ के नीचे बैठ कर पहली सौदेबाजी की थी. बांबे स्टॉक एक्सचेंज में सबसे पहला घोटाला इसे शुरू करने वाले शख्स ने ही किया था. 1987 में हॉलीवुड में एक फिल्म आई थी- ‘वाल स्ट्रीट’. यह न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज पर आधारित थी. माइकल डगलस ने इसमें गॉर्डोन गेक्को का किरदार निभाया था. गेक्को स्टॉक मार्केट का सबसे खिलाड़ी है. फिल्म के एक दृश्य में वह कंपनियों के उच्च अधिकारियों की कारगुजारी पर एक शानदार भाषण देता है. लोग सन्न रह जाते हैं जब वह कहता है- ‘लालच करना अच्छा होता है.’ माइकल डगलस को इस फ़िल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का ऑस्कर पुरुस्कार मिला था.

एशिया का सबसे पहला स्टॉक एक्सचेंज

वैसे तो भारत में शेयरों की दलाली का काम 1857 के ग़दर से पहले ही शुरु हो गया था पर बांबे स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना नौ जुलाई, 1875 को हुई. इस तरह यह एशिया का सबसे पहला स्टॉक एक्सचेंज बना. तब इसे नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकिंग एसोसिएशन कहा जाता था. इसके संस्थापकों में सबसे बड़ा नाम था प्रेमचंद रायचंद का. उन्हें उस वक़्त ‘कपास किंग’ कहा जाता था. आप उस वक़्त के हिन्दुस्तान की बाज़ार की ताक़त का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि इसके बनने से 83 साल पहले यानी 1792 में न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना हुई थी. इन दोनों स्टॉक एक्सचेंजों के खुलने में काफी समानताएं रही हैं. न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना करने वाले 24 दलालों ने ‘बटनवुड’ नामक एक पेड़ के नीचे बैठकर एक समझौते के तहत की थी. जिसे ‘बटनवुड समझौता’ कहा जाता है. ठीक उसी प्रकार प्रेमचंद रायचंद और अन्य 11 व्यापारियों ने केले के एक पेड़ के नीचे बैठ कर पहली सौदेबाजी की थी. न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज वाल स्ट्रीट के नुक्कड़ पर है और इसी तरह स्ट्रीट से बांबे स्टॉक एक्सचेंज का भी वास्ता जुड़ता है. यह जिस गली में है उसे ‘दलाल स्ट्रीट’ कहते हैं.

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