नोटबंदी के फैसले के बाद देश के फाइनेंशियल इकोसिस्टम में क्रांतिकारी बदलाव आया है. 9 नवंबर 2016 के बाद से डिजिटल ट्रांजेक्शन की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है. इस फैसले के बाद लोगों के पास नकदी के संकट को देखते हुए एनईएफटी, आरटीजीएस, ई-वालेट और यूपीआई ग्राहकों की मदद करने वाले विकल्पों के तौर पर तेजी से उभरे हैं. हालांकि इन तमाम विकल्पों के बीच ग्राहक अब इस दुविधा में हैं कि इनमे से किस विकल्प को चुनना उनके लिए बेहतर होगा. इसलिए कोई भी विकल्प चुनने से पहले जान लें ये बातें.

क्या होता है NEFT

राष्ट्रीय इलेक्ट्रानिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) एक बैंक खाते से दूसरे में फंड ट्रांसफर करने का सबसे आम तरीका है. इसमें ट्रांसफर किए जाने वाली फंड राशि पर कोई भी लिमिट लागू नहीं है. इसकी प्रक्रिया भी आसान होती है.

एनईएफटी ट्रांसफर पर शुल्क लिया जाता है, जो कि कर के साथ-साथ 2.50 रुपए से लेकर 25 रुपए तक हो सकता है. एक बार में एनईएफटी के जरिए अधिकतम 10 लाख रुपए तक भेजे जा सकते हैं.

क्या है RTGS

रीयल टाइम ग्रास सेटलमेंट (RTGS) बैंकों में फंड ट्रांसफर का एक तरीका है, जो व्यक्तिगत खाता धारकों या समूह में ग्राहकों को किया जाता है. इसके तहत जब फंड प्राप्त किया जाता है, तभी उसे आगे भुगतान या ग्राहक के निर्देशानुसार अन्य उपयोग के लिए बढ़ा दिया जाता है. इस फंड को आगे प्रक्रिया के लिए नहीं टाला जाता.

यह फंड ट्रांसफर एक और अन्य तरीके से एनईएफटी से अलग होता है. एनईएफटी के तहत फंड ट्रांसफर एक निर्धारित समय पर ही होता है. मसलन, कार्यदिवस के दौरान हर एक घंटे पर इसके तहत फंड ट्रांसफर होते हैं, जबकि आरटीजीएस फंड को तत्काल ट्रांसफर करने के लिए प्रक्रिया में लगा दिया जाता है.

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