सब को याद है पिछले वर्ष 8 नवंबर, रात 8 बजे की घटना, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा था कि देश में नकली नोटों का प्रचलन बढ़ गया है और बड़े स्तर पर भ्रष्टाचारियों के पास काली कमाई का पैसा जमा हो गया है. इस पर रोक लगाने के लिए 1,000 और 500 के वे नोट तत्काल प्रभाव से बंद किए जाते हैं और जिन के पास खूनपसीने का पैसा है उन्हें 31 दिसंबर, 2016 तक बदलने का समय दिया जाता है. उस के बाद देश की जनता को जबरदस्त किल्लत हुई थी और बैंकों में कई माह तक लंबीलंबी लाइनें देखी गईं. इस का फायदा बैंक के  अधिकारियों ने खूब उठाया और भारी कमीशन पर लोगों को नए नोट दिए.

वहीं, भाजपा नेता रेड्डी बंधु संकट के इस दौर में भी बच्चे की शादी पर 5 हजार करोड़ रुपए खर्च कर गए और राजनीतिक दलों के नेता चुनाव में भारी खर्च करते रहे. लोगों ने काली कमाई का पैसा कबाड़खाने में और नालों में बहा दिया. तब लगा था कि काली कमाई वालों को सबक मिलेगा.

लेकिन इधर रिजर्व बैंक ने कहा है कि 2,000 रुपए के नोट को भी डंप किया जाने लगा है. उस के पास बड़े नोटों की मांग करीब 10 फीसदी बढ़ गई है. मतलब यह है कि काली कमाई वाले फिर सक्रिय हो गए हैं. सरकार ने दूसरा तोड़ निकालने के लिए 100 रुपए के नोटों की छपाई बढ़ा दी है और अब 200 रुपए का नया नोट भी बाजार में लाए जाने की तैयारी है. 500 रुपए के नोट कुछ नियंत्रित रहेंगे. साफ है कि कालाबाजारी को नियंत्रित करना आसान नहीं है.

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