केंद्र सरकार अपनी 13 ऑइल कंपनियों को मिलाकर एक विशाल कंपनी बनाने पर चर्चा शुरू करने जा रही है. अगर ऐसा हुआ तो इन कंपनियों के साथ आने के बाद जो कॉर्पोरेशन वजूद में आएगी, उसका रेवेन्यू ग्लोबल ऑइल दिग्गज शेवरॉन से भी अधिक होगा. यह कंपनी फॉर्च्यून 500 रैंकिंग में अमेरिका की दिग्गज फर्म जनरल इलेक्ट्रिक को टक्कर देगी.

सूत्रों ने बताया कि 13 सरकारी ऑइल कंपनियों को मिलाने के बाद बनने वाली फर्म का रेवेन्यू रूस की दिग्गज सरकारी ऑइल फर्म रोजनेफ्ट और रिलायंस इंडस्ट्रीज से अधिक होगा. उन्होंने कहा कि टर्नओवर, प्रॉफिट, कैपिटल एक्सपेंडिचर और मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से मेगा कॉर्पोरेशन देश में सबसे आगे होगी. ऑइल मिनिस्ट्री ने इस बारे में कमेंट करने से मना कर दिया. ऐसे ही एक प्रपोजल पर पहले भी विचार हो चुका है.

सरकार की 13 ऑइल कंपनियों में ओएनजीसी सबसे बड़ी कंपनी है. प्रस्तावित मर्जर के लिए जिन कंपनियों के नाम के बारे में सोचा जा रहा है, उनमें आईओसी, बीपीसीएल, एचपीसीएल, गेल, मैंगलोर रिफाइनरी ऐंड पेट्रोकेमिकल्स, चेन्नई पेट्रोलियम, नुमालीगढ़ रिफाइनरी और ऑइल इंडिया शामिल हैं. भारत की टॉप 6 सरकारी ऑइल कंपनियों की मार्केट वैल्यू 77 अरब डॉलर है. अगर 13 कंपनियों को मिलाया गया तो उसका मार्केट कैप रूस की रोजनेफ्ट के 55 अरब डॉलर से अधिक होगा और 112 अरब डॉलर की ब्रिटेन की बीपी पीएलसी को भी यह कंपनी टक्कर देगी. भारत की सभी सरकारी ऑइल कंपनियों का मुनाफा 45,500 करोड़ रुपए और रेवेन्यू 9,32,000 करोड़ रुपए रहा था.

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