कांट्रैक्ट किलिंग यानी कि पैसे लेकर किसी की हत्या करने के पेशेवर लोगों की जिंदगी को रेखांकित करने वाली फिल्मकार कुशान नंदी की फिल्म ‘बाबूमोशाय बंदूकबाज’ इन दिनों काफी चर्चा में है. 25 अगस्त को प्रदर्शित हो रही इस फिल्म को सेंसर बोर्ड के अलावा भी कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ा. कुशान नंदी के अनुसार उनकी यह फिल्म यथार्थ के धरातल पर सच को पेश करती है और आज की तारीख में वास्तविकता कोई देखना नहीं चाहता. इसी के चलते उनकी फिल्म को लोगों का कोपभाजन बनना पड़ा.

फिल्म की विषय वस्तु की प्रेरणा और लोगों की नाराजगी झेलने की चर्चा करते हुए हमसे खास बातचीत करते हुए कुशान नंदी ने कहा, ‘‘हमारी फिल्म ‘बाबूमोशाय बंदूकबाज’ ग्रामीण पृष्ठभूमि वाली फिल्म है. मेरी फिल्म में जिस तरह के किरदार हैं, इनमें से ज्यादातर किरदार मैंने देखे हैं. मुझे बचपन से ही घूमने का शौक रहा है. इतना ही नहीं जब मेरे पास काम नहीं था, जब लोगों को मुझ पर यकीन नहीं था, तब मैं छोटे छोटे गांवों में, ढाबों पर जाता था, वहां पर रीयल लोगों से बातें करता था. देखिए, मुंबई शहर में हम नकली लोगों के बीच नकली जिंदगी जीते हैं. मगर गांवों व कस्बों में आपको वास्तविक इंसान व वास्तविक कहानियां मिलती हैं. मुझे वहीं से मेरी फिल्म के लिए कहानी की प्रेरणा मिली.’’

फिल्म ‘बाबूमोशाय बंदूकबाज’ के इंटीमेसी के दृश्यों पर सेंसर बोर्ड ने 48 कट लगाए थे. बाद में कुशान नंदी ने इस फिल्म को त्रिब्यूनल से पारित कराया. मगर इस फिल्म के लिए कुछ दिन शूटिंग करने के बाद इस फिल्म से अलग हो जाने वाली अदाकारा चित्रांगदा सिंह का दावा है कि उन्होंने अश्लील व गर्मागर्म इंटीमेट दृश्यों को करने की बजाय इस फिल्म से खुद को अलग कर लेना बेहतर समझा था.

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