चर्चित शो ‘खानदान’ से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता विवेक वासवानी, एक फिल्म निर्माता और लेखक भी हैं. वे अधिकतर उन फिल्मों में अधिक नजर आये जिसे उन्होंने प्रोड्यूस किया. उन्होंने 100 से अधिक फिल्मों में काम किया है. जब शाहरुख खान एक्टर बनने की आशा लेकर मुंबई आये थे. रहने की जगह न होने की वजह से तब वे विवेक वासवानी के पास ही रहे थे. जिसके बाद उन्होंने उसे फिल्म ‘राजू बन गया जेंटलमैन’ में ब्रेक दिया था. इतना ही नहीं उन्होंने कई नए कलाकारों को आगे बढ़ने में मदद की, जिसमें राहुल बोस, बोमन ईरानी, कोयल पूरी आदि प्रमुख हैं. वे मानते हैं कि हर नए कलाकार को एक मौका अवश्य मिलना चाहिए, ताकि वह अपने आप को सिद्ध कर सकें.

फिल्म निर्माण के अलावा विवेक छात्रों को अभिनय की तालीम विभिन्न संस्थाओं में जाकर देते हैं. उनसे चौथी देहरादून इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के विमोचन पर मुलाकात हुई. पेश है अंश.

आजकल कई फिल्म फेस्टिवल होते हैं, इसका फायदा किसे होता है?

फिल्म फेस्टिवल के 4 मकसद होते हैं, पहला जो छोटी अच्छी फिल्में है, जो कभी रिलीज नहीं हो पाती उनको फिल्म फेस्टिवल में डालने से पब्लिक को उसे देखने का मौका मिलता है. फिल्म फेस्टिवल एक बहुत बड़ा बाजार होता है. जहां फाइनेंसर फिल्में खोजते हैं और फिल्म बनाने वाले फाइनेंसर को खोजते हैं और उन्हें वह मिल जाता है, जो मुश्किल फिल्में होती हैं, जो सेंसर बोर्ड की बुरी तरह से शिकार होती हैं, उन्हें ओरिजिनल रूप में देखने का मौका मिलता है. इसके अलावा ये छात्रों के लिए बहुत फायदेमंद होता है, जहां से उन्हें सीखने का बहुत मौका मिलता है. इस तरह से फिल्म फेस्टिवल के द्वारा मनोरंजन के अलावा, मार्केट, शिक्षा आदि सब हो जाता है. असल में सिनेमा का मकसद होता है टिकट बेचना, क्योंकि इसकी इन्वेस्टमेंट बहुत बड़ी होती है और ये एक बहुत बड़ा व्यापार होता है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...