हौलीवुड में फिल्मों का निर्माण स्टूडियो सिस्टम के तहत ही हो रहा है. वहां ‘डिजनी स्टूडियो’, ‘बीबीसी 4 स्टूडियो’, ‘फौक्स स्टार स्टूडियो’ काफी सक्रिय हैं. हौलीवुड सिनेमा ने तो पूरे यूरोप पर कब्जा करके यूरोपीय देशों के सिनेमा का अंत कर दिया है. पिछले कुछ वर्षों से भारत में कुछ कारपोरेट कंपनियां सिनेमा से जुड़कर स्टूडियो की तरह फिल्में बनाती आ रही हैं. मगर बौलीवुड के कलाकारों की अपनी दादागीरी, कारपोरेट कंपनियां द्वारा अपनी बैलेंस सीट पर ध्यान देने, कंपनी के शेयर के भाव कैसे बढ़े इस पर ध्यान देने, फिल्मों के निर्माण का निर्णय करने का दायित्व सिनेमा को समझने वाले को देने की बनिस्बत एमबीए करके आने वाले रंगरूटों को दिए जाने के कारण भारत में कारपोरेट या स्टूडियो के तहत बनी फिल्में सुपर फ्लाप हो रही हैं.

जिसकी वजह से हमारे यहां स्टूडियो सिस्टम असफल होता जा रहा है. इतना ही नहीं सिनेमा भी गुड़गोबर हो रहा है. इसी के चलते 2016 में अचानक पांच छह स्टूडियो बंद हो गए. कुछ ने हिंदी फिल्मों के निर्माण से तौबा कर ली. जो स्टूडियो कार्यरत हैं, उनकी हालत भी पतली है.

कई स्टूडियो की पतली हालत के बीच ‘‘वायाकौम 18’’ स्टूडियो निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर है. हालात ऐसे हो गए हैं कि अब ‘‘वायकौम 18’’ स्टूडियो ने अपना विस्तार करते हुए क्षेत्रीय भाषा के सिनेमा की तरफ भी कदम बढ़ा दिए हैं. ‘‘वायकौम 18 स्टूडियो’’ निर्मित मराठी भाषा की फिल्म ‘‘आणि मी काशीनाथ घाणेकर’’, जो कि दिवाली के अवसर पर पूरे महाराष्ट् में हिंदी फिल्म ‘‘‘ठग्स आफ हिंदोस्तान’’ के साथ ही सिनेमाघरों में पहुंची, बाक्स आफिस पर जबरदस्त कमाई करने के साथ ही समीक्षकों की भी प्रशंसा बटोर रही है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...