नवाजुद्दीन सिद्दिकी की आत्मकथा ‘‘एन आर्डिनरी लाइफ:ए मैमोर’’ में नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने लिखा है कि वह मुंबई से सटे उपनगर मीरा रोड में रहा करते थे, और वह अक्सर मीरा रोड रेलवे स्टेशन पर सुनीता राजवार से मिला करते थे. जबकि 26 मई 2012 को हमसे बात करते हुए नवाज ने जो कुछ कहा था, वह उनकी किताब में लिखी बात से विपरीत है.

जी हां ! मई 2012 में जब नवाजुद्दीन सिद्दकी से हमारी मुलाकात हुई थी और हमने उनसे पूछा था कि, ‘फिल्मों में छोटे छोटे किरदार निभाते हुए मुंबई में दस साल कैसे गुजर बसर की?

इस पर नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने कहा था-‘‘उन दिनों की याद मत दिलाइए. सुबह यदि मैं कुछ खा लेता था, तो मुझे यह नहीं पता होता था कि मुझे रात में खाना मिलेगा या नहीं. कई बार मैं पांच से छह किलोमीटर पैदल चल कर अपने दोस्त के घर पर रात का खाना खाने जाया करता था.

उन दिनों मैं गोरेगांव में अपने चार दोस्तों के साथ एक कमरे में रहता था. जिसका किराया हजार रूपए था, मेरे हिस्से ढाई सौ रूपए आते थे. और कई बार ऐसा होता था कि मैं यह ढाई सौ रूपए भी नही दे पाता था. पर‘ब्लैक फ्रायडे’ से मेरे लिए दरवाजे खुल गए. उसके बाद मैंने फिल्म ‘फिराक’ में बहुत बड़ा किरदार निभाया, लेकिन फिल्म ‘फिराक’ को किसी ने देखा ही नहीं.’’

उन्होने आगे कहा था- शुरूआती दिनों में तो छोटे छोटे निर्देशकों ने भी मुझे कठपुतली बनाकर रख दिया था. सभी यही कहते थे कि ‘कुछ करके दिखाओ, तब जानूं’. मैंने टीवी पर हाथ आजमाया, पर वहां भी वही हालत थी. टीवी क्वीन एकता कपूर अपने सीरियलों में छोटे छोटे किरदारों के लिए भी सिर्फ सुंदर चेहरों को ही पेश कर रही थी.

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