कहानी शून्य अति वाहियात फिल्म क्या हो सकती है? यह जानने के लिए अक्षत वर्मा लिखित व निर्देशित फिल्म ‘‘कालाकांडी’’ देखनी चाहिए. यह अक्षत वर्मा वही हैं, जिन्होंने आमिर खान निर्मित फिल्म ‘‘दिल्ली बेले’’ का लेखन किया था. अब लेखक के साथ ही बतौर निर्देशक वह पहली फिल्म ‘‘कालाकांडी’’ लेकर आए हैं. फिल्म ‘‘कालाकांडी’’ देखकर आमिर खान ने दावा किया है कि ‘दिल्ली बेले’ के बाद ‘कालाकांडी’ वह पहली फिल्म है, जिसे देखकर उन्हे सबसे ज्यादा हंसी आयी. अब आमिर खान की इस बात को सच मानकर सिनेमाघर के अंदर जाने वाला दर्शक रोता हुआ सिनेमाघर से बाहर निकलने वाला है.

फिल्म की कहानी के केंद्र में रिलीन (सैफ अली खान) और उनके दो भाई अंगद (अक्षय ओबेराय) और कुणाल (कुणाल राय कपूर) तथा दो गैंगस्टरों (विजय राज और दीपक डोबरियाल) के इर्द गिर्द घूमती है. पर इनकी कहानी का एक दूसरे से कोई संबंध नजर नहीं आता. फिल्म शुरू होती है रिलीन से, जो कि अपने पेट दर्द के सिलसिले में डाक्टर के पास गया है. डाक्टर कहता है कि उसे पेट का कैंसर है. रिलीन को यकीन नहीं होता, क्योंकि वह शराब, सिगरेट, नान वेज कुछ नहीं लेता. पर डाक्टर कह देता है कि उसकी जिंदगी सिर्फ दो से छह माह की ही है. वह घर वापस आने लगता है तो रास्ते में उसका दोस्त उसे एक नशे की गोली खिला देता है.

इधर घर पर छोटे भाई अंगद की रेखा (ईशा तलवार) के साथ शादी की तैयारी चल रही है. अचानक अंगद के पास एक लड़की का फोन आता है, जो कि उसके साथ गंदी व अति सेक्सी बातें करती है. अंगद को उसके साथ बात करने में मजा आता है. वह लड़की उसे मिलने के लिए एक होटल के कमरे में बुलाती है. तभी रिलीन घर पहुंचता है, तो उनकी मां कहती है कि अंगद को साथ लेकर जाए और अंगद के बाल कटवाकर लाए.

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