पिछले 37 वर्षों से बौलीवुड में सक्रिय व फिल्म ‘छोकरी’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार अपने नाम कर चुकीं अभिनेत्री व निर्देशक नीना गुप्ता सदैव अपने काम को ईमानदारी के साथ करने में यकीन रखती आयी हैं. बीच में कुछ वर्ष तक वह गायब रहीं, मगर अब वह कई बेहतरीन फिल्मों में काम करते हुए नजर आ रही हैं. ‘वीरे दी वेडिंग’ व ‘मुल्क’ में उन्हें काफी सराहा गया. अब वह 19 अक्टूबर को प्रदर्शित होने वाली अमित शर्मा निर्देशित फिल्म ‘‘बधाई हो’’ में प्रियंवदा कौशिक नामक एक ऐसी अधेड़ उम्र की मां के किरदार में नजर आएंगी, जो कि एक युवा और एक टीनएजर उम्र के बेटे की मां है. मगर 50 की उम्र में वह पुनः गर्भवती हो जाती हैं, तब पूरे परिवार को किस तरह सामाजिक शर्मिंदगी से उबरना होता है.

बहरहाल, नीना गुप्ता हमेशा शोकेस बाजी से दूर रहीं. नीना गुप्ता ने अस्सी व नब्बे के दशक में ‘मर्चेंट आयवरी’, ‘द डिसीवर्स’, ‘इन कस्टडी’ व ‘काटन मैरी’ सहित करीबन पांच छह इंटरनेशनल फिल्मों में अभिनय किया था. पर इसे उन्होंने कभी भी प्रचार का मुद्दा नहीं बनाया था. जबकि वर्तमान समय के कलाकार इसे जोर शोर से प्रचारित करते हैं. अब प्रियंका चोपड़ा हों या दीपिका पादुकोण, एक इंटरनेशनल फिल्म करके उसे इस तरह से प्रचारित करती हैं कि जैसे उन्होंने बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है.

हाल में जब नीना गुप्ता से हमारी एक्सक्लूसिव बातचीत हुई, तो हमने इस बदलाव को लेकर नीना गुप्ता से बात की, उन्होने कहा- ‘‘देखिए, अब सब कुछ प्रचार पर आधारित हो गया है. सब कुछ मार्केटिंग पर आधारित है. हमारे वक्त में पत्रकारों से सेट पर कभी भी बात हो जाया करती थी. फिल्म के प्रचार के नाम पर हम सिर्फ दो दिन इंटरव्यू देते थे. पर अब एक फिल्म के प्रचार के लिए कलाकार को एक से दो माह का वक्त देना पड़ता है. कभी मुंबई, कभी दिल्ली, कभी लखनऊ भागना पड़ता है. हकीकत में अब सब कौरपोरेट हो गया है. मैं दावे के साथ कहती हूं, क्योंकि मुझे पता है कि इस कौरपोरेटाइजेशन ने टीवी को बर्बाद किया. कौरपोरेट कंपनी ने चिल्लाना शुरू किया कि हम फिल्म हो या सीरियल, उसके विषय को लेकर रिसर्च करेंगे. इस ढंग से प्रचारित करेंगे वगैरह वगैरह...इनकी पीआर टीम में इतने लोग रहते हैं कि मैं देखकर हैरान रह जाती हूं. सच कहूं तो आज तक मेरी समझ में नही आया कि यह पीआर टीम वास्तव में करती क्या है? जब मैं बड़े बड़े सफल सीरियल बना रही थी, उस वक्त भी मैं आपको कभी कभार फोन कर लिया करती थी. हमारी बात हो जाया करती थी. बस, मैंने कभी अपना पीआर नही रखा. पर अब लोग काम कम चिल्लाना व हौव्वा बनाने का काम करते हैं. यह बहुत बड़ा बदलाव है.’’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...