जब जब बौलीवुड में भाई भतीजे व रिश्तेदारों को चमकाने के लिए फिल्में बनी हैं, उन फिल्मों का बंटाधार ही हुआ है. सलमान खान के बहनोई आयुष शर्मा को फिल्म ‘‘लव यात्री’’ में बतौर हीरो पेश किया गया, मगर अफसोस की बात यह रही कि दो घंटे उन्नीस मिनट की अवधि में आयुष एक भी दृश्य में खुद को अभिनेता साबित नहीं कर पाए. वह दर्शकों की सहानुभूति बटोरने में पूर्णरूपेण असफल रहे हैं. पूरी फिल्म सिरदर्द ही है.

फिल्म की कहानी वडोदरा में नवरात्रि से एक दिन पहले शुरू होती है. अहमदाबाद में रह रहे सुश्रुत उर्फ सुसु (आयुष शर्मा) पढ़ाई पर कम और बच्चों को गरबा सिखाने पर ज्यादा ध्यान देते हैं. इस बात से सुश्रुत के पिता काफी नाराज रहते हैं. मगर सुश्रुत को उनकी मां और मामा रसिक (राम कपूर) का पूरा साथ मिलता है. सुसु की जिंदगी में कोई आकांक्षाएं नहीं हैं. वह अपने नाच गाने की दुनिया में ही खुश है. सुसु वडोदरा में ही डांस अकादमी खोलना चाहता है.

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उधर लंदन में रह रहे और लौंडरी के व्यवसाय में संलग्न उद्योगपति समीर पटेल (रोनित रौय) अपने बड़े भाई के बीमार होने की खबर सुनकर अपनी बेटी मिशेल उर्फ मनिषा (वरीना हुसैन) के साथ बड़ोदरा आते हैं और फिर परिवार के दबाव के चलते नवरात्रि मनाने के लिए बड़ोदरा में रूक जाते हैं. मिशेल की तमन्ना लंदन से वापस आकर बड़ोदरा में अपनी मां के एनजीओ को पुनः शुरू करना है.

नवरात्रि में गरबा के मैदान पर सुसु के मामा रसिक गरबा गीत गाते हैं. उसी गरबा के मैदान पर गरबा खेलते हुए पहले ही दिन सुसु और मिशेल मिलते हैं और सुसु को मिशेल से प्यार हो जाता है. फिर सुसु मिशेल को बड़ोदरा घुमाता है. मिषेल उसे अपनी मां के बंद पड़े एनजीओ के बारे में बताती है. जब मिषेल के पिता समीर पटेल को मिषेल व सुसु के बढ़ते संबंधों के बारे में पता चलता है, तो समीर सुसू को कह देता है कि मिषेल तो लंदन में कृष से प्यार करती है. अब इसी बात पर सुसु को गुस्सा आता है और मिषेल से उसका झगड़ा हो जाता है. पहले से तयषुदा दिन यानी कि दशहरे के दिन मिषेल व समीर लंदन वापस चले जाते हैं.

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