मशहूर अभिनेता व फिल्मकार मनोज कुमार के सीरियल ‘‘भारत के शहीद’’ में स्वतंत्रता सेनानी खुदीराम बोस का किरदार निभाकर अभिनय करियर की शुरुआत करने वाले हैदर काजमी ने बाद में ‘साई बाबा’सहित कई किरदारों को अपने अभिनय से संवारा. वह कई फिल्मों व सीरियलों में अभिनय करने के अलावा ‘पथ’, ‘बौबी’ जैसी फिल्मों का निर्माण तथा ‘कजरी’ जैसी विचारोत्तेजक फिल्म का निर्माण व निर्देशन भी कर चुके हैं. अब वह बतौर निर्माता व अभिनेता फिल्म ‘‘जेहाद’’ लेकर आ रहे हैं.

अपनी अब तक की यात्रा के बारे में क्या कहेंगे?

बौलीवुड में सबके गौड फादर होते हैं, पर मेरा अपना कोई गौडफादर नहीं सिर्फ  ‘गौड’ है. आज भी मैं ईश्वर के भरोसे ही आगे बढ़ रहा हूं. ईश्वर ने कहा कि, ‘चलते रहो, मैं चलता चला जा रहा हूं.’ जब मैं पलट कर पीछे देखता हूं, तो कई वर्ष गुजर चुके हैं. आज जब मैं सोचता हूं क्या खोया क्या पाया? तो महसूस करता हूं कि मैंने पाया तो बहुत कुछ है. मैंने मनोज कुमार के निर्देशन में बने सीरियल ‘‘भारत के शहीद’’ में खुदीराम बोस का किरदार निभाकर बौलीवुड में कदम रखा था. बाद में कई फिल्मों व सीरियलों में अभिनय किया. फिर मैंने पहली फिल्म अंडरवर्ल्ड पर ‘पथ’ बनायी थी, जो कि बहुत ही चर्चित और सफल फिल्म थी. फिर मैंने फिल्म ‘बौबी’बनायी, जिसमें मैंने एक नई लड़की अंतरा विश्वास, जो कि अब मोना लिसा के नाम से काम कर रही हैं, को ब्रेक दिया था. इस फिल्म का रिबन मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार ने काटा था. इसके बाद मैंने राजस्थान की पृष्ठभूमि पर एक सामाजिक कुप्रथा पर फिल्म ‘कजरी’ का निर्देशन किया. कुछ भोजपुरी फिल्में बनायी. मेरी भोजपुरी फिल्में भी ब्लाक बूस्टर साबित हुई. पर मेरे अंतर्मन ने कहा कि मैं कुछ भटक गया हूं. मन को रचनात्मक संतुष्टि नहीं मिल रही थी. तो भोजपुरी फिल्मों को अलविदा कहकर फिर से बौलीवुड में आ गया. पर बौलीवुड में नकल का दौर चल रहा था. दक्षिण भारत की सफल फिल्मों या विदेशी फिल्मों का रीमेक हो रहा था. नकल हो रही थी. यह सारे नकलची अपने आपको बौलीवुड बता रहे थे. इन्ही वजहों से शेखर कपूर ने कहा था कि, ‘आई एम अशेम्ड कि आई एम इन बौलीवुड.’ यानी कि उन्होंने कहा था ‘मुझे शर्म आती है कि मैं बौलीवुड में हूं.’ देखिए, मैं कोई बात घुमा कर नही करता. जो बड़े लोग कहते हैं, उसी पर विचार करता हूं. शेखर कपूर ने जो कुछ कहा, उस पर मैंने सोचा कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा? बहुत सोचने और बौलीवुड में बन रही फिल्मों पर गौर करने पर हमने पाया कि हम नया कुछ नही बना रहे हैं.  बल्कि हम सभी आपको उल्लू बना रहे हैं. तब काफी विचार करने के बाद मैंने फिल्म ‘जेहाद’ बनायी. जिसमें मैंने केंद्रीय भूमिका भी निभायी है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...