करोड़ों दूसरे लोगों की तरह उस ने न किस्मत को कोसा न ही गरीबी का रोना रोया और न ही कभी छोटी जाति में पैदा होने को अभिशाप माना. अपने हुनर, मेहनत और लगन के बल पर देशविदेश में दौलत व शोहरत कमा कर उस ने साबित कर दिया कि अगर कोई ठान ले तो नामुमकिन कुछ भी नहीं. हम बात कर रहे हैं मशहूर कालबेलियाई डांसर गुलाबो की, जिस का हुनर लोगों के सिर चढ़ कर बोलता है. जब वह डांस करने के लिए स्टेज पर आती है तो मानो सारा समा थिरकने लगता हैं, देखने वाले सुधबुध खो बैठते हैं और ऐसा लगता है कि जैसे वह सिर्फ डांस करने के लिए ही पैदा हुई है.

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित ट्रायबल म्यूजियम में गुलाबो एक कार्यक्रम में डांस करने आई तो अपनी जिंदगी से ताल्लुक रखती कई अनछुई बातों को उस ने खास बातचीत में साझा किया जो न केवल रूढि़यों और अंधविश्वासों से घिरे समाज की दासतां को बयां करती हैं बल्कि यह भी बताती हैं कि इन से लड़ना ही इन से जीतना है. जरूरत है बस जज्बे की जो गुलाबो में कूटकूट कर भरा है. गुलाबो बताती है, ‘‘जिस सपेरा समाज में मैं पैदा हुई उस में दिल दहला देने वाला एक रिवाज यह है कि लड़की को पैदा होते ही जिंदा जमीन में गाड़ दिया जाता है. लड़की के जन्म को सपेरे अच्छा नहीं मानते. मेरे साथ भी यही हुआ था कि मुझे पैदा होते ही जमीन में गाड़ दिया गया था लेकिन मेरी मौसी ने मुझे कब्र से निकाल लिया. फिर जब समझदार हुई तो मैं ने तय कर लिया कि कुछ बन कर दिखाऊंगी. औरतों को समाज में इज्जतदार दरजा दिलाऊंगी लेकिन यह इतना आसान काम नहीं था. वजह, मुझे सिवा नाच के कुछ आता नहीं था और पैसे भी ज्यादा नहीं थे. इधर, मुझे कब्र से निकाल लेने की वजह से समाज वालों ने मेरे परिवार को समाज से बेदखल कर दिया था.

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