अपनी काव्य रचनाओं से हिन्दी साहित्य को समृद्ध करने वाले मशहूर गीतकार गोपालदास नीरज का 93 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने कल शाम 7 बजकर 35 मिनट पर दिल्‍ली के एम्‍स अस्पताल में आखिरी सांस ली.  गोपालदास नीरज के पुत्र शशांक प्रभाकर ने बताया कि वो पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे. बुधवार की शाम को तबियत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें आगरा से दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन डाक्टरों के अथक प्रयासों के बाद भी उन्हें नहीं बचाया जा सका.

शशांक ने बताया कि उनकी पार्थिव देह को पहले आगरा में लोगों के अंतिम दर्शनार्थ रखा जाएगा. शशांक ने कहा कि उनके पिता नीरज ने अलीगढ़ के एक मेडिकल कालेज को देहदान कर दिया था. इसलिए बौडी कालेज को दी जाएगी. अगर कालेज ने किसी तकनीकी या मेडिकल वजह से नहीं ली तो दाह संस्कार अलीगढ़ में ही होगा.

गौरतलब है कि उनका पूरा नाम गोपालदास सक्सेना 'नीरज' था. वह एक मशहूर हिन्दी साहित्यकार ही नहीं बल्कि फिल्मों के गीत लेखक के लिए भी पहचाने जाते थे. 93 वर्षीय नीरज पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें भारत सरकार ने शिक्षा और साहित्य क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर दो-दो बार पद्मश्री और पद्मभूषण नवाजा. उन्हें फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिए तीन बार फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.

उन्होंने बौलीवुड की कई फिल्मों के लिए गाने भी लिखे. उनके लिखे हुए गाने 'लिखे जो खत तुझे...', 'आज मदहोश हुआ जाए...', 'ए भाई जरा देखके चलो...', 'दिल आज शायर है, गम आज नगमा है...', 'शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब..' जैसे तमाम गाने आज भी लोग गुनगुनाते हैं. नीरज द्वारा लिखे गए गीत आज भी काफी लोकप्रिय हैं. उनके निधन से साहित्य जगत को जो हानि हुई है, उसकी भरपाई कर पाना बेहद कठिन है.

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