आतंकवादी गतिविधियों में बच्चों के उपयोग पर पहली भारतीय फिल्म है- सुवाहदान अंग्रे निर्देशित फिल्म ‘‘बिल्लू उस्ताद’’. इस फिल्म के माध्यम से फिल्मकार का मकसद हर बालक के अंदर आत्मरक्षा यानी कि सेल्फ डिफेंस सीखने के लिए प्रेरित करना है.

मुंबई पर हुए 26/11 के आतंकवादी हमले के खिलाफ लड़ने वाले पुणे के एटीएस प्रमुख भानुप्रताप बर्गे के काम पर आधारित फिल्म ‘‘बिल्लू उस्ताद’’ की कहानी उस अनाथ आश्रम की है, जहां बिल्लू(मिहिर सोनी) अपने दोस्तों के साथ रहता है. यह बिल्लू अपनी वीरता के साथ इन बच्चो को आतंकवादी गतिविधियों से दूर रहने के लिए समझाता है. फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह एटीएस, बिल्लू को राजी करता है कि बिल्लू अपने दोस्तों को समझाए कि वह मानवता को नुकसान पहुंचाने वाले काम से दूर रहें.

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फिल्म ‘बिल्लू उस्ताद’ के निर्देशक से जब हमारी बात हुई, तो उन्होने कहा-‘‘इन दिनों आतंकवादी संगठन आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने लिए बच्चों का ब्रेन वाश करके उनकी मदद ले रहे हैं. यह जो चलन बढ़ रहा है, उसी को रेखांकित करने के मकसद से इस फिल्म का निर्माण किया गया है. इस फिल्म की कहानी में आम लोगो के बीच आतंक फैलाने के लिए आतंकवादी संगठन अनाथ बच्चों के माध्यम से जिंदा लोगों के बीच पहुंचाते हैं.

इसी अनाथ आश्रम में रह रहा बिल्लू, आतंकवादियों के साथ जुड़े बच्चों को मुख्य धारा में लाने के लिए महाराष्ट्र पुलिस की आतंकवाद विरोधी शाखा की मदद करता है. बिल्लू दूसरे बच्चों को समझाता है कि यह आतंकवादी संगठन उनका उपयोग मानवता विरोधी काम के लिए कर रहा है.’’

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