मुंबई फिल्म इंडस्ट्री के भीतर अश्लीलता के खिलाफ क्रांति का बिगुल बज गया है. 5 लाख सदस्यों वाली ‘फेडरेशन औफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लाइज’ ने ऐलान किया है कि भोजपुरी फिल्मों में अब अश्लीलता नहीं बर्दाश्त की जाएगी. ऐसी फिल्मों का बनना सामाजिक अपराध है. इसलिए कोई उनके निर्माण या प्रदर्शन में संलग्न न हो, जो लोग ऐसा नही करेंगे, उनकी सदस्यता रद्द की जाएगी. फेडरेशन ने इस बात का भी ऐलान किया है कि मुंबई, इलाहाबाद, पटना और रांची हाई कोर्ट में ‘‘पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान’’ द्वारा भोजपुरी मनोरंजन उद्योग में फैली अश्लीलता के खिलाफ दायर की जा रही याचिका में फेडरेशन भी सह याचिकाकर्ता बनेगा.

‘‘पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान’’ और ‘‘फेडरेनशन औफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्पलाईज’’ने यह घोषणा मुंबई में ‘सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन’ के दफ्तर में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में की. दोनों संगठनों ने ऐलान किया कि पहली जनवरी 2019 के बाद प्रदर्शित होने वाली हर भोजपुरी फिल्म की पूर्वांचल समाज और संस्कृति को जानने वाले किसी विद्वान व्यक्ति से समीक्षा करायी जाएगी और पूर्वांचल के समाज के मानदंडों के हिसाब से यदि कुछ गलत पाया गया, तो सेंसर बोर्ड के सामने यह सवाल प्रखरता से खड़ा किया जाएगा कि उसने इस फिल्म को कैसे पास किया?

इस अवसर पर फेडरेशन के अध्यक्ष बी एन तिवारी, महासचिव अशोक दुबे, कोषाध्यक्ष संजू श्रीवास्तव, प्रोड्यूसर एसोसिएशन के सदस्य शरद देराज शेलार और पूर्वाचल विकास प्रतिष्ठान की ओर से पूर्व मंत्री चंद्रकात त्रिपाठी, अश्लीलता विरोधी अभियान की ब्रांड अम्बेसेडर पद्मश्री डा शोमा घोष, ‘पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान’ के सचिव ओमप्रकाश सिंह, मुंबई हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने जा रहे एडवोकेट विजय सिंह और गायक अविनाश तिवारी ने भोजपुरी फिल्मों, भोजपुरी के संगीत अलबमों व भोजपुरी गीतों से एक माह के अंदर अश्लीलता को जड़ से समाप्त करने की बात की.

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