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बौलीवुड में शम्मी आंटी के रूप में मशहूर अदाकारा का 89 वर्ष की उम्र में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. वह अंतिम दिनों में अपने दत्तक पुत्र इकबाल रिजवी के साथ अंधेरी स्थित उनके घर में रह रही थीं. 24 अप्रैल 1929 में संजान, गुजरात में जन्मी शम्मी आंटी मूलतः पारसी थीं और उनका असली नाम नरगिस रबाड़ी था. उन्होंने मशहूर फिल्म निर्माता सुल्तान अहमद के साथ शादी की थी, पर उनका यह विवाह महज सात वर्ष ही टिक पाया था. शम्मी की पहली मित्रता स्व. नरगिस दत्त के साथ हुई थी. इसके अलावा आशा पारेख और वहीदा रहमान के साथ उनकी गहरी दोस्ती रही है.

उन्होंने 1949 से 1969 के बीच करीबन दो सौ फिल्मों में बतौर हीरोईन काम किया था. उनके करियर की कुछ सफलतम व चर्चित फिल्मों में ‘इल्जाम’, ‘पहली झलक’, ‘बंदिश’, ‘आजाद’, ‘हलकु’, ‘सन आफ सिंदबाद’, ‘राज तिलक’, ‘खजांची’, ‘घर संसार’, ‘आखिरी दांव’, ‘कंगन’, ‘भाई बहन’, ‘दिल अपना प्रीत पराई’, ‘हाफ टिकट’, ‘इशारा’, ‘जब जब फूल खिले’, ‘प्रीत ना जाने रीत’, ‘आमने सामने’, ‘उपकार’, ‘इत्तफाक’, ‘सजन’, ‘डोली’, ‘राजा साहब’ और ‘द बर्निंग ट्रेन’ का समावेश है.

1986 से उन्होंने टीवी सीरियलों में अभिनय करना शुरू किया था. उन्होंने ‘देख भाई देख’, ‘जबान संभाल के’, ‘श्रीमान श्रीमती’, ‘कभी ये कभी वे’, ‘फिल्मी चक्कर’ जैसे सीरियलों में अभिनय किया था.

शम्मी आंटी ने जनवरी 1949 में फिल्म ‘‘उस्ताद पेड़’’ में बेगम पारा व मुकरी के साथ सेकेंड लीड के रूप में अभिनय करते हुए अपने करियर की शुरुआत की थी. इस फिल्म के निर्देशक तारा हरीश थे और तारा हरीश की ही सलाह पर उन्हें अपना नाम नरगिस रबाड़ी से शम्मी करना पड़ा था. इस फिल्म के निर्माता शेख मुख्तार थे. शम्मी आंटी को उस वक्त प्रति माह पांच सौ रूपए मिलते थे. इस फिल्म के बाक्स आफिस पर सुपर हिट होते ही शम्मी आंटी की लाटरी लग गयी थी. इस फिल्म के अनुबंध पत्र के अनुसार शम्मी को हर दिन स्टूडियो आकर अभिनय की प्रैक्टिस करनी होती थी, फिर फिल्म की शूटिंग हो या न हो. इस फिल्म के बनने मे 18 माह का वक्त लग गया था. बहरहाल, ‘उस्ताद पेड़’ के हिट होने पर निर्देशक तारा हरीश ने शम्मी को मुकेश के साथ फिल्म ‘‘मल्हार’’ में हीरोईन बना दिया था. ‘मल्हार’ की सफलता के साथ ही शम्मी मशहूर अदाकारा बन गयी थीं, पर वह अभी भी शेख मख्तार के बैनर में भी काम कर रही थीं.

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