सन 1994 में अनिल कपूर, मनीषा कोइराला अभिनीत एक फिल्म आई थी ‘1942 ए लव स्टोरी.’ इस फिल्म में जावेद अख्तर का लिखा एक गाना अनिल कपूर और मनीषा कोइराला पर फिल्माया गया था,  ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा, जैसे खिलता गुलाब... जैसे शायर का ख्वाब...’ इस गाने का प्रस्तुतिकरण भी बहुत खूबसूरत था और मनीषा कोइराला भी वैसी ही लग रही थीं, जैसा गाने के शब्दों में वर्णन किया गया था.

फिल्मी दुनिया में खूबसूरत हीरोइनों की कभी कमी नहीं रही. मधुबाला, माधुरी दीक्षित और हेमा मालिनी से ले कर प्रियंका चोपड़ा, दीपिका पादुकोण और श्रद्धा कपूर तक यह सफर जारी है और आगे भी रहेगा. लेकिन पहाड़ी झरनों जैसी चंचलता, नदी की लहरों जैसी रवानगी, फूलों जैसी सुगंध के साथ बहती हवा और सुबह की बेला में चहचहाते पक्षियों की सुरीली ध्वनि में मन को जो सुकून मिलता है, कुछ ऐसी ही बात थी, मनीषा कोइराला में. मनीषा का जिक्र इसलिए, क्योंकि ऐसी ही कुछ बात कंगना रनौत में भी है. यह इत्तफाक ही है कि ये दोनों ही पहाड़ी बालाएं हैं. अगर आपने कंगना रनौत की फिल्म ‘तनु वेड्स मनु’, ‘क्वीन’ और ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ देखी हैं तो आप इस बात से जरूर सहमत होंगे.

इन फिल्मों में कंगना के अभिनय में जो चंचलता, जो रवानगी थी, उसे देख कर लगता था, जैसे यह अभिनय नहीं, बल्कि सब उन के अंदर से स्वाभाविक रूप से निकल रहा हो. कंगना रनौत खूबसूरत तो हैं ही, उन में कमाल की अभिनय क्षमता भी है. चेहरे पर चंचलता के साथसाथ भोलापन भी है. इस में भी कोई दो राय नहीं कि फिल्म इंडस्ट्री में उन्होंने अपनी जगह अपने बूते पर बनाई है. हालांकि शुरुआती दौर में उन्होंने तथाकथित रूप से कुछ लोगों को गौडफादर मान कर उन का सहारा लेने की कोशिश की, लेकिन उन्हें छल के अलावा कुछ नहीं मिला.

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