झल्ली पटाका, होर नचदी, साला खड़ूस, आज फिर पीने की तमन्ना है, कमीना है दिल, कुकु माथुर की झंड हो गई, फुकरे, कमीने, बंबू लग गया, हर फ्रैंड कमीना होता है और क्यूतियापा. ये तमाम अश्लील और गालियों के लहजे वाली जबान किसी और की नहीं, बल्कि उस सिनेमा की है जो इन दिनों समाज और समाज की जबान को गालियों भरे डायलौग, हिंगलिश टाइटल की खिचड़ी और स्लैंग भाषा के पैरों तले कुचलने पर आमादा है. शायद इसीलिए आज की फिल्मों के टाइटल, किरदार, थीम और संवाद व गाने के नाम बदजबानी से भरे पड़े हैं. इस से पहले तक तो फिल्मों में सिर्फ अश्लीलता और द्विअर्थी संवादों का रोना था लेकिन अब हिंदी के साथ अंगरेजी के बेस्वाद कौकटेल और गालियों के मौकटेल ने यूथ व टीन जैनरेशन की जबान ही गंदी कर दी है.

फिल्मकारों को शायद इस बात का इल्म नहीं है कि कुछ अलग करने के नाम पर जो फूहड़ता वे परोस रहे हैं वह तुरंत यूथ की जबानी डिक्शनरी में दर्ज हो जाती है. फिर वे आपसी संवादों में दोस्तों को फुकरे, फेल होने पर झंड हो गई या बंबू लग गया जैसी भाषा का बेपरवाही से प्रयोग करते हैं. ये सब फिल्मों की फिसलती जबान के साइड इफैक्ट ही तो हैं जो असर बन कर नैक्स्ट जैनरेशन की बातचीत के लहजे पर बदजबानी का लेबल चस्पां कर रहा है.

सालों पहले फिल्म खलनायक के विवादित गीत, ‘चोली के पीछे...’ पर बवाल मचाने वाले अब हनी सिंह के गाने ‘... में दम हो तो बंद करवा लो’ पर कितने मजे के साथ शादी और पार्टी में थिरकते हैं, सब जानते हैं. ‘शूटआउट ऐट वडाला’ में पौर्न स्टार सनी लिओनी पर फिल्माया गया बेहूदा गाना ‘लैला तेरी ले लेगी...’ बदजबानी की सभी हदें लांघ जाता है. सनी पर ही ‘मस्तीजादे’ में इतने अश्लील संवाद व दृश्य रचे गए हैं जिन्हें लिखना मुमकिन नहीं है. यही कहानी ‘क्या कूल हैं हम 3’ की भी है. मानो एडल्ट सर्टिफिकेट के साथ इन्हें किसी भी तरह के भौंडेपन को दिखाने का लाइसैंस मिल जाता है.

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