आंकड़े गवाह हैं कि भोजपुरी बोली में सबसे ज्यादा सेक्सी ‘ए ग्रेड’ सर्टिफिकेट वाली फिल्मे बनती हैं. साल 2014-15 में भोजपुरी की 96 फिल्मों को सेंसर बोर्ड ने पास किया. 62 से भी ज्यादा फिल्मों को ‘ए ग्रेड सर्टिफिकेट’ यानि केवल व्यस्कों के देखने लायक फिल्मों का प्रमाणपत्र दिया गया है. भोजपुरी की 96 में से 62 फिल्में केवल व्यस्कों के देखने लायक बनाई गई. भारत में हर भाषा और बोली की फिल्में बनती हैं. क्षे़त्रीय सिनेमा में सबसे ज्यादा अश्लील फिल्में भोजपुरी में ही बनती हैं. क्षेत्रीय सिनेमा में सबसे साफसुथरी फिल्में मराठी सिनेमा में बनती हैं. अश्लील सर्टिफिकेट वाली सबसे कम फिल्में मराठी सिनेमा की थी. सेंसर बोर्ड के आंकडे हिन्दी सिनेमा में बढ़ती अश्लीलता के गवाह हैं. साल 2013-14 की अपेक्षा साल 2014-15 में ‘ए ग्रेड सर्टिफिकेट’ वाली फिल्मों की संख्या में 2 फीसदी की बढोत्तरी हुई है.

साल 2014-15 में सेंसर बोर्ड ने 1845 फिल्मों को प्रमाणित किया. उनमें से 403 को ‘ए ग्रेड सार्टिफिकेट’ केवल व्यस्कों के लिये प्रमाणपत्र दिया गया. साल 2013-14 में केवल 360 फिल्मों को ही इस तरह का ‘ए ग्रेड सर्टिफिकेट’ मिला था. फिल्मों के जानकार लोग मानते है कि ‘ए ग्रेड सर्टिफिकेट’ वाली फिल्में ज्यादा चलती हैं. इस कारण ऐसी फिल्में खूब बनने लगी हैं.

भोजपुरी और हिन्दी फिल्मों में यह चलन तेजी से बढ रहा है. सबसे खराब हालत भोजपुरी सिनेमा की है. यहां अश्लीलता वाली फिल्मों के कारण लोग यह सिनेमा परिवार के साथ देखने नहीं जाते. फिल्मों के गाने द्विअर्थी होते हैं. इसके उपर उनका फिल्माकंन बेहद भौडें तरीके से किया जाता है. भोजपुरी फिल्मों के तमाम कलाकार अश्लीलता की बहुत आलोचना करते है, इसके बाद भी वह ऐसी फिल्मों में काम करते हैं. अपने भौंडेपन के कारण ही यह फिल्में बेहद अश्लील होने लगी हैं. परेशानी की बात यह है कि ऐसी फिल्मों के खिलाफ भोजपुरी फिल्मी दुनिया के लोग चुपचाप रहते उसका हिस्सा बन जाते हैं.

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