‘नख से शिख तक गहनों से लदीफंदी, हैवी वर्क वाली साडि़यों में लिपटी, सोलहशृंगार किए दिनरात साजिशों में व्यस्त, खुन्नस खाई हुई, बातबात पर आंखें मटकाती, लंबीलंबी सांसें लेती, एकदूसरे के खिलाफ आग उगलती, जहरीली हंसी हंसती, आठों पहर होंठों पर कुटिल मुसकान बनाए रखती’, कुछ यही है टीवी धारावाहिकों की सासबहू का असली चित्रण. इन सासबहू के धारावाहिकों में कुछ तो ऐसा है कि रात के 8 बजे ही घरों में सासबहू की साजिश भरे किस्से देखने के लिए टीवी औन हो जाते हैं और घरों में कर्फ्यू सा लग जाता है. दरअसल, सासबहू परिवार का वह महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं या कहें परिवार की धुरी हैं जिन के संबंधों को ले कर न केवल चर्चाएं होती हैं, लेख लिखे जाते हैं बल्कि टीवी धारावाहिकों पर तो इस विषय का मानो एकछत्र राज्य है.

सासबहू ओपेरा का इतिहास

एकता कपूर ने महिलाओं की नब्ज टटोलते हुए वर्ष 2000 में टैलीविजन के स्टार प्लस चैनल पर धारावाहिक ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ से सासबहू के धारावाहिकों का इमोशनल ट्रैंड शुरू किया. साढ़े 8 साल से भी अधिक चलने वाला यह धारावाहिक उस समय का सब से अधिक देखा जाने वाला लोकप्रिय धारावाहिक था. तुलसी, मिहिर, कोमालिका इस धारावाहिक के सर्वाधिक लोकप्रिय किरदार थे. धारावाहिक में इन किरदारों की जिंदगी में कुछ भी घटता था तो लोगों में वह विचारविमर्श का अहम मुद्दा होता था. लोग खुद को उस से जुड़ा पाते थे. धारावाहिक में तुलसी का किरदार भारतीय परिवारों में स्त्रियों के लिए आदर्श बन गया था. इन धारावाहिकों के किरदारों की शोहरत आसमान छूने लगी. ये दर्शकों के बीच खासे लोकप्रिय हो गए. धारावाहिक में भारतीय परंपरा, संस्कृति, रिश्तों की खट्टीमीठी चुहलबाजी, लेटेस्ट फैशन, घर का इंटीरियर आदि सबकुछ था. इस धारावाहिक ने टीवी क्षेत्र में एक क्रांति ला दी थी. इस धारावाहिक को सासबहू पर आधारित धारावाहिकों की सफलता का मापदंड माना जाने लगा. लेकिन बदलते समय के साथ टीवी धारावाहिक का अर्थ सासबहू के झगड़े और षड्यंत्र रचने की कहानी बन गया. सासबहू पर आधारित फार्मूला इतना हिट हुआ कि टीवी की दुनिया इस खास और अनूठे रिश्ते के इर्दगिर्द घूमने लगी.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...