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अब कोई भी नहीं देख पाएगा व्हाट्सऐप पर आपका औरिजनल नंबर

आज के समय में स्मार्टफोन चलाने वाले लगभग सभी यूजर्स व्हाट्सऐप का इस्तेमाल करते हैं. आप जब भी किसी को व्हाट्सऐप के जरिए मैसेज करते हैं तो जिसे आप मैसेज कर रहें होते हैं उसे आपका औरिजनल नंबर दिखाई देता है. लेकिन अगर ऐसा हो कि आप किसी को मैसेज या काल करें और सामने वालें को आपका औरिजनल नंबर न दिखाई दें तो कैसा रहेगा. आपको लग रहा होगा कि ङम आपसे मजाक कर रहें हैं, लेकिन ऐसा नहीं जब आप इस खबर को पढ़ेंगे तो आप भी यह जान कर आश्चर्य हो जाएंगे. जी हां, आज हम आपको एक ऐसी ट्रिक बताने जा रहे हैं जिससे व्हाट्सऐप पर मैसेज भेजने पर आपका औरिजनल नंबर दिखाई नहीं देगा. आप इस नंबर से केवल चैटिंग ही नहीं बल्कि कालिंग और वीडियो कालिंग भी कर सकते हैं.

ऐसा करने के लिए आपको सबसे पहले गूगल प्ले स्टोर से प्राइमो (Primo) मोबाइल ऐप डाउनलोड करना होगा. इसके लिए कोई चार्ज नहीं देना है.

डाउनलोड करने के बाद जब आप ऐप को खोलेंगे तो इसमें साइनअप करने का विकल्प आएगा. फिर साइनअप करने के लिए उसपर टैप करके अपना मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी डाल दें. इसके बाद 6 डिजिट का कोड डाल दें. ईमेल आईडी पर वेरिफिकेशन के लिए एक मेल जाएगा. इसे वेरिफाई कर लें. वेरिफाई करने पर आपको एक नया नंबर दिखाई देगा, उसे कापी कर लें.

इसके बाद अपने फोन में व्हाट्सऐप को इंस्टाल करें. इंस्टाल करने के दौरान जब मोबाइल नंबर मांगा जाए तो उसी नंबर को डालें जो कापी किया था. इसके बाद व्हाट्सऐप वेरिफाई करने के लिए काल का विकल्प चुनें और बताया गया वेरिफिकेशन कोड डालकर इसे वेरिफाई करें.

अब आप अपने व्हाट्सऐप का इस्तेमाल करने के लिए तैयार हैं. अब आपकी प्रोफाइल पर और जब आप किसी से व्हाट्सऐप चैट या कालिंग करेंगे तो भी वही नंबर दिखाई देगा जो आपने कापी करके डाला था. आपका औरिजनल नंबर किसी को भी दिखाई नहीं देगा.

मारुति सुजुकी दे रही है आपको लाखों कमाने का मौका

देश की अग्रणी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया भारत में अपना कारोबार बढ़ाने का प्लान कर रही है. इसके लिए कंपनी ने वित्त वर्ष 2017-18 में 1000 करोड़ रुपए का बजट तय किया है. कंपनी 2020 तक देश में 1500 नई डीलरशिप खोलने का विचार कर रही है.

कारोबार को विस्तार देने के लिए मारुति सुजुकी ने जमीन खरीदने का काम शुरू कर दिया है. यदि आप किसी स्थायी रोजगार की तलाश में हैं और आपका बजट है तो आप भी कार निर्माता कंपनी के इस प्लान से जुड़कर हर महीने एक लाख रुपए या फिर इससे भी ज्यादा की आमदनी कर सकते हैं.

देश के अलग-अलग राज्यों में नेटवर्क बढ़ाने के लिए कंपनी जमीन खरीदकर बनाएगी और उसे लीज पर देगी. इस पूरे प्रोजेक्ट पर मारुति 1000 करोड़ रुपए खर्च करेगी. चालू वित्त वर्ष 2017-18 में कंपनी ने डीलरशिप्स के लिए जमीन खरीदने का काम शुरू कर दिया है.

मारुति सुजुकी इंडिया के मुख्य वित्त अधिकारी (CFO) अजय सेठ ने बताया कि चालू वित्त वर्ष 2017-18 बिजनेस एक्सपेंशन के तहत 120 लैंड डील की जा चुकी हैं.

अगले तीन साल में हम करीब 1500 नई डीलरशिप खोलेंगे. एक हजार करोड़ रुपए को डीलरशिप के लिए जमीन खरीदने और नए शोरूम बनाने के लिए खर्च किया जाएगा. मारुति की योजना जमीन खरीदने, डीलरशिप बनाने और फिर उसे चुनिंदा विक्रेता को पट्टे पर देने की है.

फिलहाल मारुति के 1,700 शहरों में 2,069 डीलरशिप हैं. इन डीलरशिप के साथ मारुति का देशभर में सबसे बड़ा डीलर नेटवर्क है. वहीं, कंपनी देशभर में करीब 3,293 सर्विस सेंटर का संचालन करती है. मारुति सुजुकी ने 2020 तक 20 लाख गाड़ियां प्रतिवर्ष बेचने का लक्ष्य रखा है. पिछले वित्त वर्ष में कंपनी ने 15 लाख से ज्यादा गाड़ियों की बिक्री की थी.

कंपनी के पास अभी करीब 31 हजार करोड़ का कैश रिजर्व है. कंपनी 280 प्रीमियम रिटेल चैन नेक्‍सा के जरिए अपने प्रीमियम मौडल्‍स की बिक्री करती है. आपको बता दें कि मारुति स्विफ्ट डिजायर, वेगन आर और औल्टो 800 सबसे ज्यादा बिकने वाले मौडल हैं.

विराट कोहली फिर से बने नंबर वन, आईसीसी ने जारी की लिस्ट

ताजा आईसीसी रैंकिंग में टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली 10 दिनों बाद दोबारा पहले पायदान पर काबिज हो गए हैं. भारत और न्यूजीलैंड के बीच तीन मैचों की एक दिवसीय सीरीज में विराट कोहली ने दो शतकों के साथ 263 रन बनाकर आईसीसी रैंकिंग में दोबारा अपनी जगह हासिल कर ली है.

इसके अलावा कोहली ने अपने करियर की सर्वोच्च रेटिंग भी प्राप्त कर ली है. कोहली के कुल 889 रेटिंग अंक हो गए हैं जो किसी भी भारतीय बल्लेबाज के द्वारा प्राप्त किए गए सर्वोच्च पौइंट हैं. इसके पहले साल 1998 में सचिन तेंदुलकर ने 887 अंक अर्जित किए थे.

 

कानपुर वनडे में 147 रन बनाने के साथ सीरीज में 174 रन बनाने वाले रोहित शर्मा को भी फायदा हुआ है और उनके रेटिंग अंक 799 हो गए हैं जो उनके करियर की सर्वोच्च रेटिंग हैं वह सातवें नंबर पर बरकरार हैं.

पाकिस्तान के बाबर आजम (चौथे नंबर) और द. अफ्रीका के क्विंटन डि कौक ने अपने करियर की सर्वोच्च रेटिंग हासिल की. द. अफ्रीका के फाफ डु प्लेसी को दो पायदानों का फायदा हुआ है वह आठवें नंबर पर हैं. वहीं एमएस धोनी को एक पायदान का फायदा हुआ है और वह 11वें नंबर पर हैं.

गेंदबाजों की लिस्ट में पाकिस्तान के हसन अली नंबर 1 पर हैं. इसके अलावा जसप्रीत बुमराह ने न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज में 6 विकेट झटकते हुए करियर की बेस्ट तीसरी पोजिशन हासिल की है, अन्य गेंदबाजों में न्यूजीलैंड के मिचेन सैंटनर को दो स्थानों का फायदा हुआ है और वह 14वें नंबर पर हैं. पाकिस्तान के इमाद वसीम को 14 पायदानों का फायदा हुआ है और वह 27वं नंबर पर पहुंच गए हैं.

‘इत्तेफाक’ से एक बार फिर ‘नेपोटिज्म’ को लेकर बोले करण जौहर

बौलीवुड में नेपोटिज्‍म यानी परिवारवाद को लेकर काफी लंबे समय से बहस चली आ रही है. इस बहस पर कंगना रनोट और करण जौहर समेत वरुण धवन, सैफ अली खान जैसे कई सितारे अपनी बात रख चुके हैं.

ऐसे में अपने चैट शो ‘काफी विद करण’ में कंगना रनोट द्वारा खुद के लिए नेपोटिज्‍म जैसा टैग पाने वाले करण जौहर ने एक बार फिर खुद के साथ-साथ कई और सितारों को भी इस बहस से जोड़ लिया है, और ऐसा उन्होंने मुंबई में अपनी फिल्‍म ‘इत्तेफाक’ के प्रमोशन इवेंट के दौरान किया है.

इस फिल्‍म के प्रमोशनल इवेंट के दौरान करण जौहर ने कहा, मैं आज आप सबसे यह कहना चाहता हूं कि इस मंच पर परिवारवाद के ब्रांड एम्‍बेस्‍डर यानी दिग्‍गज एक्‍टर शत्रुघ्‍न सिन्‍हा की बेटी सोनाक्षी सिन्हा, विनोद खन्ना के बेटे अक्षय खन्ना, दिवंगत फिल्‍ममेकर रवि चोपड़ा के बेटे अभय और कपिल चोपड़ा मौजूद हैं. हमारे साथ परिवारवाद से दूर सितारें यानी शाहरुख खान और सिद्धार्थ मल्‍होत्रा भी मौजूद हैं. यहां इस मंच पर हम सबका एक साथ खड़े होना आप सभी के समक्ष यह साफ करता है कि यहां पर हमसब कि किस हद तक बराबरी है.

आपको बताते चलें कि ‘इत्तेफाक’ यश चोपड़ा की साल 1969 में आयी कल्ट क्लासिक ‘इत्तेफाक’ की रीमेक है.जो कि शाहरुख के रेड चिलीज एंटरटेंमेंट और करण की धर्मा प्रोडक्शन द्वारा सह-निर्मित फिल्म है. इसमें सिद्धार्थ मल्होत्रा, सोनाक्षी सिन्हा और अक्षय खन्ना जैसे सितारे प्रमुख भूमिकाओं में हैं.

फिल्म ‘इत्तेफाक’ से पहले शाहरुख खान और करण जौहर एक साथ काम कर चुके हैं. इससे पहले वह फिल्म ‘कभी खुशी कभी गम’, ‘कल हो ना हो’, ‘कभी अलविदा ना कहना’, ‘माई नेम इज खान’, ‘स्टूडेंट आफ द ईयर’ और ‘डियर जिंदगी’ जैसी कई फिल्मों में साथ काम कर चुके हैं. बता दें कि इनमें से कुछ फिल्मों में शाहरुख ने अभिनय किया है जबकि कुछ फिल्मों के प्रोडक्शन की जिम्मेदारी संभाली है.

मैं चाहती हूं बारबार गर्भधारण करने से अच्छा है आईवीएफ के द्वारा जुड़वां बच्चे कर लूं. क्या ऐसा मुमकिन है.

सवाल
मेरी उम्र 32 साल है. मैं अब फैमिली प्लानिंग के बारे में सोच रही हूं. चाहती हूं बारबार गर्भधारण करने से अच्छा है आईवीएफ के द्वारा जुड़वां बच्चे कर लूं. क्या ऐसा मुमकिन है?

जवाब
आईवीएफ प्राकृतिक रूप से मां बनने का शौर्टकट नहीं है. प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने का प्रयास करें. आईवीएफ में कोई आप को गर्भधारण और जुड़वां बच्चों की गारंटी नहीं देगा. फिर आईवीएफ एक लंबी और महंगी प्रक्रिया भी है और इस में कई तरह की जटिलताएं भी होती हैं.

मैं जब भी मैं किसी लड़की से नाता जोड़ना चाहता हूं, तो वह मुझे भाई बोल देती है. मुझे क्या करना चाहिए.

सवाल
मैं 21 साल का हूं. जब भी मैं किसी लड़की से नाता जोड़ना चाहता हूं, तो वह मुझे भाई बोल देती है. अब तक मैं ने 4 लड़कियों को आजमाया है और सभी ने मुझे भाई कह दिया. आखिर ऐसा क्यों है और मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब
लड़कियों का चक्कर छोड़ कर आप अपने कैरियर पर ध्यान लगाएं और सब से पहले कोई अच्छी सी नौकरी हासिल करें. बीवी खोजने की जिम्मेदारी मांबाप पर छोड़ दें. वे जिस लड़की से बात करेंगे, वह आप की बहन नहीं, बल्कि बीवी ही बनेगी.

राष्ट्रीय परिषद की बैठक से पहले बोले कुमार विश्वास, मैं कड़वी दवा हूं

राजधानी के अलीपुर में 2 नवंबर को आयोजित होने वाली आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक से पहले ही ‘आप’ नेता कुमार विश्वास ने तेवर दिखा दिए हैं. अमानतुल्लाह खान का निलंबन वापस लिए जाने से कुमार खासे नाराज हैं. कुमार ने कहा, मैं नीम की तरह कड़वी दवा हूं. सूचना मिली है कि मुझे राष्ट्रीय परिषद की बैठक में बोलने नहीं दिया जाएगा. वक्ताओं की सूची में मेरा नाम भी नहीं है, लेकिन अगर कार्यकर्ता चाहेंगे तो मैं जरूर बोलूंगा. उन्होंने कहा कि केजरीवाल से बात हुई है या नहीं, यह मैं नहीं बताऊंगा. हां यह तय है कि राष्ट्रीय परिषद की बैठक में बोलने वाले वक्ताओं में मेरा नाम नहीं है.

विश्वास ने कहा कि मेरे लिए अमानतुल्लाह खान या राज्यसभा कोई मुद्दा नहीं है. मैंने भी जब राष्ट्रीय हित में बोलना चाहा तो मुझे पार्टी में किनारे लगाने का प्रयास किया गया.

मिश्र का निशाना, अब तो खुलकर सच बोलें कुमार

अमानतुल्लाह खान का निलंबन खत्म होने पर ‘आप’ विधायक कपिल मिश्र ने कुमार विश्वास पर निशाना साधा है. उन्होंने ट्वीट किया कि अब अमानतुल्लाह का निलंबन खत्म, मतलब जो भी अमानत ने कुमार के बारे में कहा था, उसे अब सच माना गया. कपिल मिश्र ने कुमार बाबत कहा, मैंने बार-बार आपसे आग्रह किया था कि आप इनके भ्रष्टाचार को कितना भी छिपा लें, ये आपको साजिशों में फंसा कर ही दम लेंगे. आपको अब खुलकर सच कहना होगा. डर के आगे जीत है.

निजी हमलों से कुछ नहीं होगा : कुमार विश्वास

मेरे ऊपर निजी हमलों से कुछ नहीं होगा. ‘आप’ में बोलने वाले नेताओं को राजनीतिक तौर पर किनारे करने की परंपरा पुरानी हो चली है. इससे पहले भी जब किसी नेता ने पार्टी के हित की बात कही है तो उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. मयंक गांधी और अंजलि दमानिया के साथ ऐसा ही हुआ था.

सालाना बैठक में 450 प्रतिनिधि शामिल होंगे

‘आप’ की सालाना बैठक में साढ़े चार सौ प्रतिनिधियों के भाग लेने की संभावना है. बैठक सुबह 9 बजे शुरू होगी. पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरिंवद केजरीवाल सहित कई वरिष्ठ नेता बैठक को संबोधित करेंगे. बैठक में पार्टी के विस्तार और दूसरे राज्यों में चुनाव लड़ने की संभावनाओं पर चर्चा होगी.

कैसे दूर होते गए

पार्टी भटक रही : पार्टी के राजस्थान प्रभारी और पीएसी के सदस्य कुमार विश्वास ने एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में ‘बैक टू बेसिक्स’ की बात कही थी. उनका कहना था कि पार्टी अपने मूल सिद्धांतों और विचारधारा से दूर हटती जा रही है. दूसरी पार्टियों से आकर आप में शामिल हुए लोगों के कारण अब यह पार्टी भी कांग्रेस-भाजपा की राह पर चल पड़ी है. मैंने राज्यसभा सीट के कई ऑफर ठुकराएं हैं.

भाजपा एजेंट बताया गया : पार्टी ने विधायक अमानतुल्लाह खान कुमार पर आप को तोड़ने का आरोप लगाया था. खान ने कुमार को भाजपा का एजेंट तक कह दिया था. इसके बाद पार्टी ने अप्रैल माह में खान को निलंबित कर दिया. अब एकाएक पार्टी में उनकी दोबारा वापसी कुमार विश्वास के लिए बड़ा झटका मानी जा रही है.

कोटा की सैंट्रल जेल में इस तरह हुई एक अनूठी शादी

दुलहन के लाल जोड़े में सजी देवकी बेहद खुश थी. उस की खुशियां छिपाए नहीं छिप रही थीं. खुश होती भी क्यों न, उस की शादी जो हो रही थी. शादी होना कोई नई बात नहीं थी. आमतौर पर हर युवती की शादी होती है. यह अलग बात है कि किसी की शादी जल्दी हो जाती है तो किसी की देर से होती है. देवकी की शादी में नई बात यह थी कि उस की शादी जेल में हो रही थी. वह महिला कैदी थी. जेल जाने के बाद उसे अपनी शादी की उम्मीद कम ही रह गई थी. आप ने शायद ही सुना हो कि किसी जेल में बारात आई है और शादी हुई है. लेकिन राजस्थान की कोटा जेल में इसी साल 9 मई को ऐसा ही हुआ है.

कोटा की सैंट्रल जेल में बाकायदा बारात आई, मंडप सजा और वरमाला भी हुई. पंडित ने विधिविधान से मंत्रोच्चार कर के फेरे भी कराए. जेल की ऊंची चारदीवारी में सलाखों के पीछे यह शादी राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश पर हुई थी.

बारां जिले के थाना कैथून के गांव गोल्याहेड़ी के रहने वाले बाबूलाल मेहर की 22 साल की बेटी देवकी अपनी भाभी ऊषा की दहेज हत्या के मामले में 27 अप्रैल, 2017 से कोटा की सैंट्रल जेल में बंद थी.

भाभी की दहेज हत्या के आरोप में उस की गिरफ्तारी होने से काफी पहले ही उस की शादी बारां जिले के थाना अंता के गांव बिशनखेड़ी के रहने वाले राधेश्याम के 23 साल के बेटे महेश से तय हो चुकी थी. दोनों की शादी 9 मई को बारां जिले में आयोजित होने वाले सामूहिक विवाह समारोह में होनी थी.

शादी के लिए दोनों परिवारों ने तैयारी भी शुरू कर दी थी. महेश जैसा जीवनसाथी मिलने पर देवकी खुश थी. वहीं महेश भी देवकी को जीवनसंगिनी के रूप में पा कर काफी खुश था. महेश रेलवे के सर्वे डिपार्टमेंट में प्राइवेट नौकरी करता था. दोनों परिवारों की सहमति से 26 अप्रैल, 2017 को लगन हो गया था, लेकिन इस के अगले ही दिन दोनों परिवारों की खुशियों पर ग्रहण सा लग गया.social

पुलिस ने ऊषा की भाभी की दहेज हत्या के आरोप में उस की सास कमला देवी के अलावा ननद देवकी को 27 अप्रैल, 2017 को गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस ने मांबेटी को गिरफ्तार कर के मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में कोटा की सैंट्रल जेल भेज दिया गया.

देवकी के भाई लड्डूलाल की शादी करीब 3 साल पहले ऊषा से हुई थी. ससुराल में संदिग्ध परिस्थितियों में उस की मौत होने से बूंदी जिले के इटोड़ा के रहने वाले ऊषा के भाई सत्यनारायण ने 24 अक्तूबर, 2016 को थाना कैथून में ऊषा की दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया था.

देवकी के जेल जाने से दोनों ही परिवारों की खुशियों पर ग्रहण लग गया था. देवकी को जमानत पर रिहा कराने के लिए उस के घर वालों के अलावा महेश के घर वाले भी कोशिश करते रहे, पर सफल नहीं हुए. स्थानीय अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया.

इस के बाद देवकी की शादी को आधार बना कर राजस्थान उच्च न्यायालय में जमानत की अर्जी दाखिल की गई. लेकिन हाईकोर्ट ने भी जमानत देने से मना कर दिया. वहां से यह रियायत जरूर मिल गई कि देवकी की शादी जेल में हो सकती है.

हाईकोर्ट ने निर्देश दिए थे कि शादी के लिए वर एवं वधू दोनों पक्षों के 10 लोग 8 घंटे तक जेल में रह सकते हैं. कोटा नगर निगम के अधिकारियों को भी शादी का पंजीयन करने का आदेश दिया गया था, साथ ही कोटा सैंट्रल जेल प्रशासन को आदेश दिया गया था कि देवकी की शादी के आवश्यक इंतजाम जेल में किए जाएं.

उच्च न्यायालय के आदेश पर कोटा जेल में 9 मई को देवकी और महेश की शादी की जरूरी तैयारी की गई. मंडप सजाया गया. वर एवं वधू पक्ष के लोग जेल पहुंचे. दोनों पक्षों की महिलाओं ने देवकी को दुलहन के लाल जोड़े में सजाया. पंडित रमेशचंद्र शर्मा ने अग्नि के समक्ष मंत्रोच्चार के बीच देवकी और महेश के फेरे कराए.

सादगी से हुई इस शादी में पुलिस अधिकारी भी शामिल हुए. अधिकारियों और जेल में मौजूद सुरक्षाकर्मियों, कैदियों एवं अन्य लोगों ने नवदंपति को सुखी विवाहित जीवन का आशीर्वाद दिया. बंदी के रूप में मां कमला ने बेटी और दामाद महेश को आंसुओं के बीच आशीर्वाद दिया.

इस शादी में यह बात अजीब रही कि दूल्हा फेरे लेने के बाद भी दुलहन को अपने साथ नहीं ले जा सका. मां भी अपनी बेटी को विदा नहीं कर सकी. शादी के बाद दुलहन को जेल की बैरक में भेज दिया गया. दूल्हा महेश अकेला ही अपने घर वालों के साथ जेल से बाहर आ गया.

कोटा सैंट्रल जेल के अधीक्षक सुधीर प्रकाश पूनिया का कहना था कि किसी बंदी की जेल में शादी का शायद यह पहला मामला है. कथा लिखे जाने तक महेश अपनी दुलहन के जेल से बाहर आने का इंतजार कर रहा था.

देवकी को जमानत पर रिहा कराने के लिए दोनों ही पक्ष अदालतों के चक्कर काट रहे हैं. महेश को उम्मीद है कि देवकी को जल्द जमानत मिल जाएगी. इस के बाद दहेज हत्या के मथित मामले में देवकी के साथ अदालत इंसाफ करेगी.

तंत्र मंत्र के नाम पर चढ़ती मासूमों की बलि

पंजाब के बठिंडा जिले के कोटफत्ता का एक इलाका है वड्डा खूह (बड़ा कुआं) यहीं के वार्ड नंबर- 3 के एक घर में 8 मार्च, 2017 को शाम करीब 5 बजे बड़ा ही भयावह और दिल दहला देने वाला मंजर था. मंजर भी ऐसा, जिसे देख कर पत्थरदिल इंसान की भी आत्मा कांप उठे. घर के एक कमरे का दृश्य बड़ा ही रहस्यमय और डरावना था. उस समय उस कमरे में कई लोग थे, उन के अलावा वहां पर 2 मासूम बच्चे भी बैठे थे. कमरे के बीचोंबीच एक धूना (हवनकुंड) था, जिस में आग जल रही थी. कमरे के दरवाजे और खिड़कियां सब बंद थे.

एक अधेड़ औरत जिस की उम्र करीब 55 साल थी, वह हवनकुंड के पास की एक गद्दी पर बैठी थी. वह शायद अंदर बैठे लोगों की मुखिया थी. वह औरत अपने सिर को इधरउधर झुलाते हुए जोरजोर से कोई मंत्र पढ़ कर उस हवनकुंड में सामग्री डाल रही थी. वहां मौजूद अन्य लोग भी उस का अनुसरण करते हुए मंत्रों के साथ धूने में हवन सामग्री डाल रहे थे. इस क्रिया के बीचबीच में वह औरत जोरजोर से ऊपर की ओर देखते हुए अट्टहास करने लगती.

उस के पास बैठा लगभग 30 वर्षीय पुरुष भी अपनी गरदन ऊंची कर के अपने मुंह से जोरजोर से सांप के फुफकारने जैसी शू..शू.. की आवाज निकालता.

धूनी में एक चिमटा रखा हुआ था जो आग से काफी गरम हो गया था. वह अधेड़ उम्र की महिला इस क्रिया के बीचबीच में उस गरम चिमटे से वहां बैठे 2 मासूम बच्चों को मारने लगती थी. उन दोनों बच्चों में एक की उम्र 5 साल और दूसरे की करीब 2 साल थी. गरम चिमटा लगते ही दोनों बच्चे पीड़ा से बिलबिला उठते थे.

दोनों बच्चों की पीड़ा पर वह औरत दुखी होने के बजाय खुश होती. वहां जो और लोग बैठे थे, वे जोश के साथ तांत्रिक क्रिया पूरी करने में लगे हुए थे इसलिए बच्चों के चिल्लाने की तरफ उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया.

वे लोग आगे क्या करने वाले थे, यह कहना मुश्किल था लेकिन उन के चेहरे के भाव और उन के क्रियाकलाप देख कर इतना अनुमान तो लगाया जा सकता था कि उन के इरादे नेक नहीं थे.

खिड़की की झिर्री से यह भयानक दृश्य देख कर 65 वर्षीय मुख्तियार सिंह की आत्मा सिहर उठी. कुछ देर तक वह खिड़की के पास गुमसुम सा खड़ा सोचता रहा कि उसे क्या करना चाहिए. 2 मासूम बच्चों की जिंदगी का सवाल था.

आखिर उस ने जोरजोर से कमरे का दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया. काफी देर दरवाजा पीटने पर भी कमरे में बैठे लोग अपनीअपनी जगह से नहीं हिले तो उस ने अपनी बहू रोजी के कमरे की ओर देखा. पर उस के कमरे पर ताला लगा हुआ था.Crime story

मुख्तियार रोजी के बंद कमरे की खिड़की के पास गया तो उसे कमरे में रोजी बैठी दिखाई दी. रोजी उस के बेटे की पत्नी थी. वह उस से बोला, ‘‘तुम्हें यहां किस ने बंद किया है? ताले की चाबी कहां है?’’

‘‘मैं कमरे में लेटी थी तो पता नहीं कौन बंद कर के चला गया. बच्चे भी पता नहीं कहां हैं. उन के रोने और चीखने की आवाजें आ रही हैं. पता नहीं वे क्यों रो रहे हैं.’’ कहते हुए उस की आंखों में आंसू छलक आए.

रोजी को पता था कि उस की सास निर्मल कौर व परिवार के अन्य लोग उस के दोनों बच्चों के साथ 2 दिन से तांत्रिक क्रियाएं कर रहे थे. उसे डर था कि वे लोग कहीं आज भी बच्चों पर तांत्रिक क्रियाएं तो नहीं कर रहे.

दरअसल, जिस बंद कमरे में यह तांत्रिक अनुष्ठान हो रहा था, उस कमरे में रोजी की सास निर्मल कौर, पति कुलविंदर सिंह, देवर जसप्रीत, ननद गगन कौर तथा बठिंडा के ही गांव दयोन से 3-4 तांत्रिक आए हुए थे जोकि निर्मल कौर की तांत्रिक क्रियाएं संपन्न करवाने में मदद कर रहे थे.

निर्मल कौर पिछले 5-6 सालों से अपने घर पर तंत्रमंत्र द्वारा समस्याओं का समाधान करने के नाम पर लोगों को बेवकूफ बना रही थी. गांव के अंधविश्वासी और भोलेभाले लोगों के अलावा शहर के पढ़ेलिखे लोग भी उस के पास आया करते थे. निर्मल कौर से पहले उस का पति मुख्तियार सिंह यह काम करता था. वैसे मुख्तियार सिंह बठिंडा की फौजी छावनी में नौकरी करता था.

लगभग 4-5 साल पहले वह अपने घर पर ही तंत्रमंत्र की क्रियाएं करता था. धीरेधीरे लोग अपनी समस्याएं ले कर उस के पास आने लगे. उन में से कुछ को फायदा हुआ तो वे उसे प्रसाद के लिए पैसे देने लगे थे. उन पैसों से उस के घर की कुछ जरूरतें पूरी हो जाया करती थीं.

पता नहीं मुख्तियार सिंह को क्या सूझी कि उस ने झाड़फूंक सब बंद कर दिया. इस के बाद उस की पत्नी निर्मल कौर ने उस की गद्दी संभाल कर झाड़फूंक करना शुरू कर दिया. वह बाकायदा व्यापारिक तरीके से काम करने लगी.

निर्मल कौर को 2 साल में ही बहुत अच्छा तजुर्बा हो गया. इस के बाद उस ने यह प्रचारित करना शुरू कर दिया कि उस की आत्मा परमात्मा से मिल कर एकाकार हो गई है. अब उस ने खुद को देवी घोषित कर दिया था.

निर्मल कौर अपने बड़े बेटे कुलविंदर सिंह उर्फ विक्की को भी अपने साथ रखती थी. वह भी मां के साथ अलग गद्दी पर बैठने लगा था. एक साल बाद उस ने खुद के बारे में यह प्रचारित करना शुरू कर दिया कि पूजापाठ से खुश हो कर भगवान विष्णु ने उसे अपने शेषनाग की आत्मा दे दी है.

अंधविश्वासी लोगों की वजह से मांबेटे का धंधा खूब फलफूल रहा था. जबकि वास्तविकता यह थी कि उन के पास न तो कोई सिद्धि थी और न ही उन्हें किसी तंत्रमंत्र के कखग का पता था.

बठिंडा के रहने वाले मल्ल सिंह बेहद गरीब इंसान थे. उन के 7 बेटे थे. जैसेतैसे मजदूरी कर के वह अपने परिवार को पाल रहे थे. गरीबी की वजह से वह बच्चों को पढ़ालिखा नहीं सके पर समय के साथ जैसेजैसे बच्चे बड़े होते गए, वह उन से भी मजदूरी कराने लगे. वह 2-3 बेटों की शादी कर पाए थे कि उन की मृत्यु हो गई. बाकी की शादी बाद में हो गई थी. उन का सब से बड़ा बेटा लाभ सिंह था और छोटा मुख्तियार सिंह. मुख्तियार की उम्र इस समय करीब 65 साल है.Crime story

लाभ सिंह और मुख्तियार सिंह दोनों के मकान सटे हुए थे. मुख्तियार के परिवार में पत्नी निर्मल कौर के अलावा 2 बेटे और 2 बेटियां थीं. बड़े बेटे कुलविंदर उर्फ विक्की की शादी रोजी से हो गई थी. बाद में रोजी 2 बच्चों की मां बनी, जिस में 5 साल का बेटा रंजीत सिंह और 3 साल की बेटी अनामिका थी.

मुख्तियार सीधासादा आदमी था, इसलिए घर को निर्मल कौर ही संभाले हुए थी. उस ने अपनी दोनों बेटियों गगन कौर और अमन कौर की भी शादी कर दी थी. निर्मल कौर एक जिद्दी और दबंग प्रवृत्ति की महिला थी. दूसरे जब वह गद्दी पर बैठती तो खुद को देवी ही समझती थी, इसलिए लोग उसे बहुत सम्मान देते थे. निर्मल कौर का जेठ जोकि उस के एकदम बराबर में ही रहता था, वह निर्मल के क्रियाकलापों को ढोंग मानता था. इसी वजह से वह उस से कोई खास वास्ता नहीं रखता था.

निर्मल कौर की छोटी बहन प्रेमलता लुधियाना में दर्शन सिंह के साथ ब्याही थी. पिछले साल से वह लगातार बीमार चल रही थी. उस ने पीजीआई चंडीगढ़ में भी अपना इलाज करवाया था पर कोई फायदा नहीं हुआ था. डाक्टरों ने बताया था कि उसे कोई बीमारी नहीं है. वह एकदम फिट है. जबकि प्रेमलता का कहना था कि वह बीमार है.

दूसरे निर्मल कौर की बेटी गगन कौर शादी के 6 साल बाद भी मां नहीं बन सकी थी. डाक्टरों ने उस की व उस के पति की कई जांच करने के बाद पाया कि गगन और उसके पति शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं. स्वस्थ होने के बावजूद उन के आंगन में बच्चे की किलकारी नहीं गूंज रही थी.

तमाम लोग गगन की मां निर्मल कौर के पास अपनी समस्याएं ले कर आते थे. वे उसे देवी समझते थे. निर्मल कौर अपनी बहन और बेटी की समस्या भी दूर करना चाहती थी. एक दिन अपनी गद्दी पर बैठ कर निर्मल कुछ देर के लिए ध्यानमग्न हो गई.

कमरे में बहन प्रेमलता और बेटी गगन कौर बैठी थीं. कुछ देर बाद निर्मल ने अपनी आंखें खोल कर बताया, ‘‘मुझे सब साफसाफ दिखाई दे रहा है कि तुम्हारी दोनों की समस्या कैसे पैदा हुई और वह कैसे दूर होगी.’’

इतना सुनते ही गगन कौर और प्रेमलता उसे गौर से देखते हुए बोलीं, ‘‘अब क्या करना होगा बाबाजी?’’

जिस समय निर्मल कौर अपनी गद्दी पर बैठी होती थी, उस समय सभी उसे बाबाजी कह कर संबोधित करते थे. वह बोली, ‘‘बच्चा, तुम्हें कुछ नहीं करना है. अगले हफ्ते से हम खुद सभी काम संपूर्ण करेंगे. इस एक हफ्ते में हम पूरा इंतजाम कर लेंगे. दोनों के जीवन में खुशियां ही खुशियां होंगी. उस ने गगन कौर से भी कहा कि उस के 5 बेटे होंगे.’’

अगले दिन निर्मला अपने बेटे कुलविंदर को साथ ले कर हरियाणा के सिरसा जिले के गांव कालांवाली मंडी चली गई. वहां पर एक तथाकथित तांत्रिक लखविंदर सिंह उर्फ लक्की बाबा रहता था. पूरे दिन निर्मल कौर और लक्की बाबा की आपस में मंत्रणा चलती रही.

अगले दिन लक्की बाबा निर्मल कौर के घर आ गया. लक्की बाबा, निर्मल कौर और कुलविंदर उर्फ विक्की दिन भर गद्दी वाले कमरे में बैठ कर न जाने क्या पूजापाठ करते थे. यह बात 2 मार्च, 2017 की है.

पूजापाठ समाप्त कर के शाम को लक्की बाबा अपने गांव चला गया. इस के 2 दिन बाद निर्मल कौर ने पास के गांव दयोन से 4 अन्य तथाकथित तांत्रिकों को अपने घर बुलवाया और 2 दिनों तक उन के साथ पूजापाठ करती रही. सभी पूजापाठ की क्रियाओं में केवल निर्मल का बेटा कुलविंदर ही शामिल होता था. उस के अलावा घर के किसी अन्य सदस्य को गद्दी वाले कमरे में जाने की इजाजत नहीं थी.

6 मार्च को निर्मल ने अपनी बहन प्रेमलता और बेटी गगन को भी बुलवा लिया था. अगले दिन उस ने प्रेमलता को कुछ समझा कर वापस उस की ससुराल लुधियाना भेज दिया. जबकि गगन कौर अपनी मां के पास ही रुक गई थी.

इन सब से पहले 5 मार्च को निर्मल ने अपने दोनों पोतेपोती को अपने कमरे में कैद कर लिया था. पूजापाठ के दौरान ये लोग सभी बच्चों की झाड़फूंक करते और उत्तेजित हो कर कभी उन्हें थप्पड़ मारते, कभी बाल नोचते तो कभी चिमटे मारते थे. बच्चे जोरजोर से चीखतेचिल्लाते थे.Crime story

निर्मल कौर के पड़ोसियों सहित बच्चों की मां रोजी भी जानती थी कि बंद कमरे में झाड़फूंक के नाम पर बच्चों के साथ अत्याचार हो रहा है पर किसी की इतनी हिम्मत नहीं थी कि कोई इस अत्याचार को रोक सके. बड़ी बात तो यह थी कि खुद बच्चों का पिता कुलविंदर सिंह भी इस अत्याचार में शामिल था. यहां तक कि बच्चों के चाचा जसप्रीत, बुआ गगन कौर, अमन कौर और दादा मुख्तियार सिंह भी अच्छी तरह जानते थे कि बंद कमरे में दोनों मासूमों पर कैसेकैसे अत्याचार हो रहे हैं. लेकिन वे कुछ नहीं कर सकते थे.

8 मार्च को मुख्तियार सिंह ने जब खिड़की की झिर्री से कमरे के भीतर का दृश्य देखा तो उस की अंतरात्मा कांप उठी. हिम्मत कर के वह अपने बडे़ भाई लाभ सिंह के पास पहुंचा और उसे सारी बातें विस्तार से सुनाते हुए कहा, ‘‘वीरजी, मेरे को ऐसा लगता है कि कमरे में बैठे सभी लोग कोई नशा किए हुए हैं. उन के होशहवास कायम नहीं हैं. मैं तो दरवाजा बजाबजा कर हार गया हूं.’’

मुख्तियार सिंह और लाभ सिंह घर के बाहर खड़े आपस में बातें कर ही रहे थे कि तभी वहां कुछ पड़ोसी और गांव वाले भी जमा हो गए. अब उस बंद कमरे से दोनों बच्चों के चीखने की तेजतेज आवाजें आनी शुरू हो गई थीं. तभी लाभ सिंह व गांव के कुछ लोग उस बंद कमरे की ओर दौड़े.

जोर से धक्के मारमार कर उन्होंने खिड़की का एक पल्ला खोल लिया था. जब उन्होंने खिड़की से भीतर देखा तो उन के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई और सांसें जहां की तहां रुक सी गईं. अंदर का दृश्य दिल को दहला देने वाला था.

सब ने देखा कि मंत्रोच्चारण करते हुए निर्मल कौर और कुलविंदर सिंह दोनों बच्चों को गर्म चिमटे से बुरी तरह पीट रहे थे. अपने बचाव में दोनों बच्चे कमरे में इधरउधर भागने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन बारबार नीचे गिर पड़ते थे. अचानक मंत्र पढ़ते हुए निर्मल ने एक मुट्ठी सामग्री भर कर धूने में जोर से फेंकते हुए ‘फट्ट स्वाहा’ कहा और साथ ही बच्चों की ओर अपनी अंगुली उठा दी.

निर्मल कौर का संकेत मिलते ही कुलविंदर ने बारीबारी दोनों बच्चों को पकड़ कर जमीन पर औंधे मुंह लेटा दिया. दोनों मासूम बुरी तरह तड़प रहे थे और छूटने का असफल प्रयास कर रहे थे. एकाएक मंत्र पढ़ते हुए निर्मल कौर अपनी गद्दी से उठी और झूमते हुए किसी मस्त हाथी की तरह झूमते हुए औंधे मुंह जमीन पर पड़े मासूम की पीठ पर सवार हो कर जोरजोर से अट्टहास करने लगी. साथ ही उस ने बच्चे के सिर के बालों को पकड़ कर खींचते हुए उस का चेहरा जमीन पर जोरजोर से पटकना शुरू कर दिया. फिर उस ने कुलविंदर की ओर देखते हुए जोर से कहा, ‘‘शेषनाग… सवारी करो.’’

मां का आदेश मिलते ही कुलविंदर उलटा लेट गया और अपनी गरदन ऊंची कर सांप की तरह ही जमीन पर रेंगते हुए धीरेधीरे अपनी 3 वर्षीय बेटी अनामिका की ओर बढ़ने लगा. अनामिका के निकट पहुंच कर उस ने सांप की ही तरह जोर से फुफकारा और औंधे मुंह लेटी अपनी मासूम बच्ची की पीठ पर सवार हो कर जोरजोर से उछलने लगा.

यह सब देख कर लाभ सिंह और मुख्तियार सिंह सिहर उठे. कमरे के अंदर मौजूद लोग आवाज देने पर भी दरवाजा नहीं खोल रहे थे, इसलिए दोनों भाई गांव के कुछ लोगों के साथ थाना कोटफत्ता की ओर दौड़े. थाने पहुंच कर उन्होंने थानाप्रभारी कृष्णकुमार को सब कुछ बता दिया.

तंत्रमंत्र के नाम पर वे लोग बच्चों के साथ कुछ अनर्थ न कर दें, इसलिए थानाप्रभारी अपने साथ एएसआई दर्शन सिंह, गुरप्रीत सिंह, हैडकांस्टेबल राजवंत सिंह, अजैब सिंह, कांस्टेबल लखविंदर सिंह, लेडी कांस्टेबल अमनदीप कौर और मनप्रीत कौर को साथ ले कर तुरंत घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. पर पुलिस टीम के पहुंचने के पहले ही दोनों मासूमों ने उन दरिंदों के अत्याचार न झेल पाने के कारण तड़पतड़प कर अपने प्राण त्याग दिए.

जिस समय लाभ सिंह और मुख्तियार सिंह पुलिस के साथ अपने घर पहुंचे, तब तक देर हो चुकी थी. निर्मल कौर और उस का बेटा कुलविंदर सिंह दोनों मृत मासूमों के मुंह में ट्यूबलाइट का कांच ठूंस रहे थे. थानाप्रभारी कृष्ण कुमार ने जब निर्मल को रोकना चाहा तो वह दहाड़ते हुए बोली, ‘‘खबरदार, नजदीक आने की कोशिश की तो मैं तेरा सर्वनाश कर दूंगी. मैं देवी हूं. अभी मैं इन दोनों को जिंदा कर दूंगी. इस के बाद न प्रेमलता कभी बीमार होगी और न ही गगन कौर संतानहीन रहेगी.’’

पुलिस के पहुंचने पर गांव के तमाम लोगों के अलावा महिलाएं भी इकट्ठी हो गई थीं. थानाप्रभारी के आदेश पर लेडी पुलिस ने गांव की ही कुछ महिलाओं की मदद से निर्मल कौर को काबू किया. पुलिस ने तुरंत दोनों बच्चों की लाशें अपने कब्जे में ले लीं. एएसआई दर्शन सिंह ने निर्मल कौर, कुलविंदर सिंह और अन्य लोगों को गाड़ी में बिठा लिया. तब तक यह खबर पूरे कोटफत्ते में फैल गई थी.

इस के बाद लोगों की भीड़ ने पुलिस की गाड़ी को घेर लिया. लोग उन दोनों मांबेटे को अपने हाथों से सजा देना चाहते थे. वास्तव में उस समय भीड़ इतनी आक्रोशित थी कि यदि वे दोनों भीड़ के हत्थे चढ़ जाते तो पीटपीट कर उन की हत्या कर दी जाती. थानाप्रभारी ने लोगों को समझाना चाहा पर लोग उन की कोई बात सुनने को तैयार नहीं थे. लोगों की पुलिस से झड़प तक हो गई.

अतिरिक्त पुलिस बल मंगवा कर बड़ी मुश्किल से उन्हें निकाल कर थाने पहुंचाया तो पब्लिक ने थाने को घेर लिया. हालात बेकाबू होता देख थानाप्रभारी ने एसएसपी स्वप्न शर्मा को हालात से अवगत करा दिया. इस के बाद कुछ ही देर में कई थानों की पुलिस वहां पहुंच गई. एसएसपी स्वप्न शर्मा, एसपी विनोद कुमार, डीएसपी कुलदीप सिंह सोही सहित कई आला अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए. पुलिस अधिकारियों के काफी समझानेबुझाने के बाद करीब आधी रात को मामला शांत हुआ. पुलिस कुलविंदर की बीवी रोजी को भी पूछताछ के लिए अपने साथ ले गई.

तमाशा 8 तारीख की आधी रात तक चलता रहा. रात लगभग सवा 12 बजे इंसपेक्टर कृष्ण कुमार ने लाभ सिंह द्वारा पहले दी गई तहरीर के आधार पर भादंवि की धारा 302, 34 के अंतर्गत दोनों मासूम बच्चों रंजीत सिंह और अनामिका की बेरहमी से की गई हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया.

निर्मल कौर और कुलविंदर सिंह उर्फ विक्की तथा उस की पत्नी रोजी कौर को उसी समय गिरफ्तार कर के पूछताछ के लिए जिला मुख्यालय औफिस ले जाया गया. अगले दिन पूछताछ के बाद दोनों मांबेटे को तलवंडी साबो की जिला अदालत में पेश किया.

पुलिस ने निर्मल कौर के कमरे से तंत्रमंत्र का सामान, चिमटा आदि बरामद कर लिया. साथ ही कमरे से काफी मात्रा में नशीला पदार्थ भी बरामद किया.

अकाल गुरमति प्रचार कमेटी के मंजीत सिंह खालसा, सिख फेडरेशन के परणजीत सिंह जग्गी, भारतीय किसान क्रांतिकारी यूनियन के अध्यक्ष सुरजीत सिंह फूल, भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के पंजाब प्रभारी तथा तर्कशील सोसायटी भूरा सिंह महमा व जीरक सिंह सहित शहर के अन्य लोगों ने एसपी कार्यालय का घेराव कर मांग की कि बच्चों की मां रोजी कौर को इस मामले से बाहर रखा जाए, क्योंकि वह निर्दोष है.

जबकि एसपी विनोद कुमार और डीएसपी कुलदीप सिंह सोही का कहना था कि पिछले 4 दिनों से यह सब तमाशा उस की आंखों के सामने चल रहा था. यदि वह चाहती तो पहले ही पुलिस की सहायता ले सकती थी. इस से दोनों बच्चों की जान बच जाती.

रोजी को उस के पति और सास ने 8 मार्च को शाम के समय कमरे में बंद किया था. बंद के दौरान भी उस के पास मोबाइल फोन था. यदि वह चाहती तो पुलिस को या दूसरे लोगों को सूचित कर सकती थी. पर उस ने ऐसा नहीं किया. पुलिस को अंदेशा है कि शायद वह भी इस साजिश में शामिल थी.

पुलिस इस बात की भी छानबीन कर रही है कि मृतक बच्चों के दादा मुख्तियार सिंह की इस मामले में कितनी संलिप्तता है. 2 निर्दोष मासूमों की तंत्रमंत्र के नाम पर हुई हत्या से शहर भर में तनाव जैसा माहौल हो गया. लोगों ने बाजार बंद कर विरोध प्रकट किया तथा शहर के अन्य तांत्रिकों व बाबाओं के खिलाफ काररवाई की मांग की. पुलिस ने भी जरूरी काररवाई करते हुए तांत्रिकों की धरपकड़ शुरू कर दी.

शहर की तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए चप्पेचप्पे पर पुलिस तैनात कर दी गई. पोस्टमार्टम के बाद भारी पुलिस बल की मौजूदगी में दोनों बच्चों का अंतिम संस्कार किया गया. अंतिम संस्कार के बाद पुन: भीड़ ने उग्र रूप धारण कर मांग उठाई कि सिरसा के तांत्रिक लक्की बाबा उर्फ लखविंदर को भी गिरफ्तार किया जाए.

हालांकि इस घटना के समय वह वहां नहीं था पर 2 दिन पहले वहां आया था. अत: पुलिस ने लक्की बाबा की तलाश में छापेमारी शुरू कर दी. वह कहीं छिप गया था. अंत में पुलिस का दबाव बढ़ता देख कर उस ने खुद ही 19 मार्च, 2017 को थाना कोटफत्ता में आत्मसमर्पण कर दिया.

थानाप्रभारी लक्की बाबा को अदालत में पेश कर पूछताछ के लिए एक दिन के पुलिस रिमांड पर ले लिया. पूछताछ के बाद उसे अगले दिन पुन: अदालत में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

निर्मल कौर, कुलविंदर सिंह, रोजी कौर, प्रेमलता, गगन कौर, मुख्तियार सिंह, लक्की बाबा से की गई पूछताछ से निर्मल कौर के स्वयंभू देवी बनने की जो कहानी सामने आई, उस से पता चलता है कि लोगों के अनपढ़ और अंधविश्वासी होने का फायदा उठाते हुए वह समाज में अपना वर्चस्व कायम करना चाहती थी.

लगभग 6 साल पहले मुख्तियार सिंह पूजापाठ और झाड़फूंक करता था. वह यह काम बिना किसी लालच के करता था. कुछ लोगों को फायदा होने लगा तो उस के पास आने वाले लोगों की संख्या बढ़ गई. उस की पत्नी निर्मल कौर उस से इस काम के बदले पैसे लेने की बात कहती. पति के मना करने पर वह उस से झगड़ती और आने वाले लोगों से पैसे देने के लिए खुद कहती.

मुख्तियार ने उस की एक न सुनी. तब मुख्तियार ने झाड़फूंक का काम बंद कर दिया. इस के बाद उस की पत्नी निर्मल ने गद्दी पर बैठना शुरू किया. उस ने अपने बेटे कुलविंदर सिंह को भी अपने साथ लगा लिया. फिर दोनों ने तंत्रमंत्र के नाम पर लोगों को लूटना शुरू कर दिया.

वह खुद तो नशा करती ही थी, साथ ही आने वाले लोगों को भी प्रसाद में नशा मिला कर देती थी. नशे की जद में आ कर खुद को शक्तिशाली दिखाने के चक्कर में वह खुद के ही पोतेपोती का कत्ल कर बैठी. जेल पहुंचने के बाद अपने ही हाथों अपना वंश उजाड़ने वाली निर्मल कौर और उस के बेटे कुलविंदर सिंह को अपने किए पर बहुत पछतावा है.

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