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संजय दत्त की दीवानी थीं रवीना टंडन

बॉलीवुड एक्ट्रेस रवीना टंडन जल्द ही फिल्म 'शब' में नजर आएंगी. हाल ही में एक प्रमोशनल इवेंट में एक दौरान रवीना ने कहा कि वह एक समय में संजय दत्त के प्रति बहुत ज्यादा आकर्षित थीं और उनकी दीवानी थीं.

फिल्म 'शब' के प्रचार में इंटरव्यू के दौरान रवीना से उनके पंसदीदा कलाकारों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि समय-समय पर उनकी पसंद बदलती रही है.

उन्होंने कहा कि बचपन में मैं ऋषि कपूर की प्रशंसक थीं और जब बड़ी हुई तो संजय दत्त की तरफ आकर्षित थी. मैंने उनके साथ सात फिल्मों में काम किया है. मैं उनके साथ काम करने के दौरान काफी डरी रहती थी क्योंकि मैं यकीन ही नहीं कर पाती थी कि मैं वास्तव में उस शख्स के साथ फिल्म में काम कर रही हूं, जिसका पोस्टर चारों तरफ मेरे कमरे की दीवारों पर लगा हुआ है.

रवीना फिलहाल रिएलिटी शो सबसे बड़ा कलाकार को जज कर रही हैं. अभी कुछ समय पहले रवीना की फिल्म ‘मातृ’ भी रिलीज हुई है.

बता दें कि 90 के दशक में अक्षय और रवीना में अफेयर था और दोनों ने सगाई भी कर ली थी. लेकिन यह रिश्ता ज्यादा दिन तक नहीं चल पाया था. उसके बाद अक्षय ने शिल्पा शेट्टी को डेट किया लेकिन उनका रिश्ता भी आगे नहीं बढ़ पाया और उन्होंने ट्विंकल खन्ना से शादी कर ली. रवीना भी अनिल थडानी से शादी कर अपनी जिंदगी बिता रही हैं.

अब अपना बैंक अकाउंट भी करवाएं पोर्ट

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंक खातों को लेकर नया प्रस्ताव पेश किया है. आरबीआई के इस नए प्रस्ताव के मुताबिक अब बिना खाता नंबर बदले अब लोग अपना बैंक बदल सकेंगे. अगर यह प्रस्ताव पास होता है तो मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी के बाद बैंक अकाउंट पोर्टेबिलिटी भी संभव हो सकेगी.

जिस प्रकार आप मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी का लाभ ले पाते हैं, काफी हद तक वैसे ही बैंक अकाउंट नंबर पोर्टेबिलिटी का लाभ भी ले पाएंगे. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर एसएस मूंदड़ा ने खाता संख्या पोर्टेबिलिटी की जरूरत पर जोर दिया है और यह जल्द ही ग्राहक को मुहैया करवा दी जाएगी.

साफ है कि सभी बैंक खातों के आधार कार्ड से लिंक होने के बाद अब यह संभव है कि खातों को एक बैंक से दूसरे बैंक में स्विच किया जा सके. जो कि बैंक खाता धारकों के लिए काफी राहत भरा फैसला हो सकता है.

आरबीआई का कहना है कि हाल ही के दौर में बैंकिंग सिस्टम में लगातार टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ा है, जिससे इन चीजों में काफी आसानी आई है. यही कारण है कि अब मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी की तरह ही बैंक खाता भी पोर्टेबल किया जा सकता है.

एसएस मूंदड़ा ने कहा कि एक बार अकाउंट नंबर पोर्टेबिलिटी शुरू हो जाएगी उसके बाद कुछ नहीं बोलने वाला ग्राहक बैंक से बात किए बिना ही दूसरे बैंक के पास चला जाएगा. मूंदड़ा ने कहा कि बड़ी संख्या में बैंक बीसीएसबीआई द्वारा डिजाइन आचार संहिता का पालन नहीं कर रहे हैं. बीसीएसबीआई एक स्वतंत्र निकाय है जो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक्स असोसिएशन (IBA) और अनुसूचित कमर्शल बैंकों द्वारा स्थापित किया गया है.

उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग से जुड़े खतरों के बाबत भी बात की. बैंकिंग कोड्स और स्टैंडर्ड्स बोर्ड ऑफ इंडिया (BCSBI) ने मुंबई में एक कार्यक्रम में कहा, मैंने कुछ साल पहले अकाउंट नंबर पोर्टेबिलिटी की वकालत की थी. तब यह भले ही एबस्ट्रेक्ट लगा हो लेकिन यूपीआई आदि नई तरह के तकनीकी पेमेंट सिस्टम आ जाने के बाद और आधार नंबर के खातों से जुड़ने के बाद इसे लागू किए जाने की संभावना तेजी से बलवती हुई है.

मूंदड़ा ने कहा कि रिजर्व बैंक की चिंता सभी लोगों को बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराने तक सीमित है. केंद्रीय बैंक यह नहीं देख रहा कि ग्राहकों को ये सुविधाएं देने के लिए बैंक कितना शुल्क लगा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में आधार नामांकन हुआ है, एनपीसीआई ने प्लेटफॉर्म बनाया है. आईएमपीएस जैसे बैंकिंग लेनदेन के लिए कई ऐप शुरू किए गए हैं. ऐसे में खाता संख्या पोर्टेबिलिटी की भी संभावना बनती है.

मूंदड़ा ने यह भी कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक धोखाधड़ी के जरिये अवैध रूप से होने वाले इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन में ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए जल्द ही अंतिम दिशा निर्देश जारी करेगा. इन नियमों में अनाधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन के मामले में ग्राहकों की देनदारी को सीमित रखने का प्रावधान किया जा सकता है.

सचिन ने पहली बार की विकेटकीपिंग और फिर..

भारत में क्रिकेट सचिन चेंदुलकर के नाम से जाना जाता है. सचिन सिर्फ भारत ही नहीं विश्व के महान खिलाड़ियों में से एक हैं. खुद को महान बनाने और इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने काफी संघर्ष किया है.

रोचक बात यह है कि आपने सचिन को कभी विकेटकीपिंग करते नहीं देखा होगा मगर तेंदुलकर ये भी कर चुके हैं और साथ ही इस वजह से एक भयानक हादसे का शिकार होते बाल-बाल बचे.

सचिन अपनी आत्मकथा ‘प्लेइंग इट माई वे’ में बताते हैं कि वह मुंबई स्थित शिवाजी पार्क में अपनी टीम की कप्तानी कर रहे थे. उनकी टीम का विकेटकीपर चोटिल हो चुका था. 12 साल के सचिन ने साथी खिलाड़ियों से पूछा कि क्या वो विकेटकीपिंग करना चाहते हैं, तो किसी ने भी हां नहीं कहा. मैंने ये चैलेंज लिया. हालांकि इससे पहले मैंने कभी विकेटकीपिंग में हाथ नहीं आजमाए थे. मैं विकेट के पीछे खुद को काफी असहज महसूस कर रहा था.

सचिन बताते हैं कि, मैं विकेटकीपिंग करने में परफेक्ट नहीं था और तभी एक बॉल मिस हुई और तेजी से मेरी तरफ आई. मैं इससे पहले कुछ करता, बॉल सीधे मेरे चेहरे पर लगी. मुझे काफी गहरी चोट लग गई थी और खून भी काफी बहने लग गया था. मेरी आंख बाल-बाल बची थी.

उस समय मेरे पास इतने रुपए नहीं थे कि टैक्सी लेकर घर चला जाता और बस में बैठकर जाने से भी शर्म आ रही थी. मैंने अपने एक दोस्त से साइकिल पर लिफ्ट मांगी.

भारत की ओर से 463 वनडे खेलने वाले तेंदुलकर ने वनडे में 86.23 की स्ट्राइक के साथ 18,426 रन बनाए हैं. इस दौरान उन्होंने 49 शतक समेत 96 अर्धशतक भी जमाए. वहीं बात अगर टेस्ट की करें तो 200 मैचों में इस खिलाड़ी ने 51 शतक और 68 अर्धशतक की मदद से 15,921 रन बनाए. टेस्ट क्रिकेट में सचिन 2 हजार से ज्यादा चौके लगाने वाले इकलौते खिलाड़ी हैं. उन्होंने टेस्ट मैचों में 2058 चौके जड़े हैं.

चंपियंस ट्रॉफी में इन 5 भारतीय खिलाड़ियों पर होगी सबकी नजर

पहली जून से शुरू हो रही चैंपियंस ट्रॉफी के लिए वार्मअप मैच का दौर शुरू हो चुका है. भारत ने न्यूजीलैंड और बांग्लादेश दोनों को वार्मअप मैच में पराजित किया. क्रिकेट प्रेमियों की नजर यूं तो हर खिलाड़ी पर होगी लेकिन भारत की टीम के इन खिलाड़ियों से चैंपियंस ट्रॉफी में खास कमाल की उम्मीद है.

विराट कोहली

विराट कोहली पहली बार किसी आईसीसी इवेंट में भारत की अगुवाई कर रहे हैं. ऐसे में चैंपियंस ट्रॉफी में उनपर सबकी नजर होगी. आईपीएल में भले ही उनकी टीम रॉयल चैलेंजर्स का प्रदर्शन अच्छा न रहा हो, लेकिन व्यक्तिगत तौर पर विराट ने निराश नहीं किया. पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी का साथ होना भी विराट के लिए मददगार होगा.

एम एस धोनी

धोनी की कप्तानी में चार साल पहले भारत ने चैम्पियंस ट्रॉफी जीती थी. 2016 में, उन्होंने 2019 विश्वकप तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का मन बनाया है और शायद यह इस बार भी टीम के लिए बेहतर साबित हो. कप्तान विराट कोहली के साथ धोनी की जोड़ी कमाल कर सकती है. फिलहाल इस वक्त तेज विकेटकीपर और मध्य क्रम के खतरनाक बल्लेबाज के तौर पर धोनी की जगह कोई नहीं ले सकता.

रवींद्र जाडेजा

चैंपियंस ट्रॉफी 2013 फाइनल के मैन ऑफ द मैच रहे रवींद्र जाडेजा पर भी नजर होगी. इंगलैंड में खेले अपने 12 वनडे मैचों में जाडेजा ने 23 विकेट लिए और 114.65 के स्ट्राइक रेट के साथ 266 रन बनाए हैं. इंग्लैंड के खिलाफ अपने दमदार प्रदर्शन कर खुद को साबित करने वाले जाडेजा पर चैम्पियंस ट्रॉफी में बड़ा दारोमदार होगा.

हार्दिक पांड्या

आईपीएल 2017 की विजेता टीम मुंबई इंडियंस का हिस्सा रहे हार्दिक पांड्या के पास ज्यादा अनुभव नहीं है. एक ऑल राउंडर के तौर पर अपने सात एकदिवसीय मैचों में पांड्या ने नौ विकेट लिए हैं और एक अर्द्धशतक लगाया है. 23 साल के इस खिलाड़ी के लिए चैंपियंस ट्रॉफी एक बड़ा मौका है और उन पर सबकी नजरें होगी.

भुवनेश्वर कुमार

26 विकेट लेकर आईपीएल 2017 के सबसे सफल गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार इस वक्त बेहतरीन फॉर्म में हैं. इंग्लैंड में खेले अपने नौ वनडे मैचों में भुवनेश्वर ने औसत 4.10 रन प्रति ओवर देकर 24.63 की औसत से 11 विकेट लिए हैं. इंग्लैंड की पिच पर अनुभव और बेहतरीन फॉर्म के बदले भारत को दांये हाथ के इस गेंदबाज से ट्रॉफी की उम्मीद है.

महिमामंडन की राजनीति

अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाने के मामले में विशेष सीबीआई अदालत के सामने भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी अदालत के सामने पेश हुये. अदालत के सामने पेश होने से पहले वह वीवीआईपी गेस्ट हाउस में ठहरे. वहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का स्वागत किया. सीबीआई की विशेष अदालत के सामने भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपालदास और रामविलास वंदाती को भी पेश होना पड़ा. अदालत से बाहर जहां भाजपा के नेता बयान देने से बचते रहे, वहीं राम विलास वेदांती ने मुखर होकर कहा कि ‘ढांचा गिराने वालों में मैं शामिल था.’

यही नहीं राम विलास वेदांती ने अपने को इसमें शामिल बताते हुये लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को क्लीन चिट देते कहा कि उनका इसमें कोई रोल नहीं है. वह कहते हैं कि आडवाणी और जोशी को अयोध्या में ढांचा ढहाने के मामले से कोई लेना देना नहीं है. मैं इसमें शामिल था और आगे भी मंदिर बनाने के लिये पूरी तरह से तैयार हूं. यही नहीं भाजपा के सांसद साक्षी महाराज ने भी कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनने से कोई रोक नहीं सकता है. साक्षी महाराज भी ढांचा ढहाने के मामले में सुनवाई से पहले ही अपने बयान दे रहे थे.

साक्षी महाराज ने कहा कि मैंने कोई अपराध नहीं किया है. मैंने गलत काम नहीं किया. मै खुशनसीब हूं कि मुझे यह काम करने का मौका मिला. अब धरती की कोई ताकत अयोध्या में राम मंदिर बनाने से रोक नहीं सकती है. अब लोगों को यह विरोध छोड़ कर आगे आना चाहिये. अब तो तमाम मुसलिम भी इस दिशा में आगे आ रहे हैं. 1992 में अयोध्या में राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद में 6 दिसम्बर को ढांचा ढहा दिया गया था. इस मामले में भाजपा और विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े कई नेता आरोपी बनाये गये. 25 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक विशेष सीबीआई अदालत किसी फैसले पर नहीं पहुंची है.

लखनऊ में 30 मई को आरोप तय होने हैं. आरोप तय होने के पहले जिस तरह से भाजपा के नेता इकबालिया बयान दे रहे हैं उससे तो यह साफ है कि आरोपियों को किसी तरह की सजा का भय नहीं रह गया है. आज उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार है जो पूरी तरह से हिन्दुत्व का समर्थन करती है. भाजपा हिन्दुत्व की हवा पर चल कर 2014 और 2017 में उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक लोकसभा और विधानसभा में अपने सदस्यों को पहुंचा चुकी है. अब वह 2019 के चुनाव में इस मुद्दे को आगे कर चुनाव मैदान में उतरना चाहती है. ऐसे में भाजपा ढांचा ढाहने के आरोपी नेताओं का महिमामंडन कर हिन्दुत्व को हवा दे रही है.   

1 जून से महंगी हो जाएंगी एसबीआई की ये सेवाएं

सरकारी क्षेत्र का सबसे बड़ा बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया एक बार फिर अपनी सेवाओं पर लगने वाले शुल्क में बदलाव करने जा रहा है. सर्विस चार्ज में ये बदलाव एक जून से लागू हो जाएंगे. बचत खाते में जमा रकम की न्यूनतम सीमा लागू होने से हलाकान एसबीआई ग्राहकों की जेब नए नियमों से और कटने वाली है.

सबसे अहम बदलाव खाते से कैश निकालने के नियम में किया जा रहा है. एक जून से एक माह में केवल चार बार ही रकम निकासी मुफ्त होगी. इसमें एटीएम के जरिये पैसे निकालना भी शामिल है.

कैश निकालने पर लगेगा चार्ज

एसबीआई से कैश विड्रॉल सिर्फ 4 बार तक के लिए ही मुफ्त रहेगी. इसमें एटीएम ट्रांजैक्शंस भी शामिल हैं. 4 बार से ज्यादा एसबीआई की ब्रांच से भी कैश विड्रॉल करेंगे तो हर ट्रांजैक्शन पर 50 रुपए का सर्विस चार्ज और सर्विस टैक्स लगेगा.

एसबीआई के एटीएम से 4 बार से ज्यादा विड्रॉल करेंगे तो हर ट्रांजैक्शन पर 10 रुपए सर्विस चार्ज और सर्विस टैक्स देना होगा. दूसरे बैंक के एटीएम से 4 बार से ज्यादा कैश विड्रॉल पर हर ट्रांजैक्शन पर 20 रुपए सर्विस चार्ज और सर्विस टैक्स लगेगा.

आरबीआई ने दिए कटे-फटे नोट को लेकर दिए थे ये निर्देश

30 अप्रैल को ही आरबीआई ने बैंकों को कटे, लिखे, पुराने व फटे नोटों को लेने के लिए कहा था. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने बैंकों को साफ निर्देश दिया है कि उन्हें गंदे नोट लेने ही होंगे और इसे लेने से वे इनकार नहीं कर सकते. लेकिन अगर आप एसबीआई में कटे-फटे या गले-गीले नोट जमा कराएंगे तो आपके ऊपर अतिरिक्त चार्ज देना होगा.

पुराने कटे-फटे नोट बदलने पर भी लगेगा चार्ज

एसबीआई 20 से ज्यादा या 5,000 रुपए से ज्यादा कटे-फटे नोट बदलवाने पर अब 2 से लेकर 5 रुपए तक का चार्ज और सर्विस टैक्स वसूलेगा. इसके तहत हर नोट पर 2 रुपये या हरेक 1,000 रुपये पर 5 रुपये चार्ज, जो भी ज्यादा होगा, वह वसूला जाएगा.

5,000 रुपए तक कीमत होने पर हर नोट पर 2 रुपये चार्ज और सर्विस टैक्स वसूला जाएगा और 5000 रुपये से ज्यादा कीमत होने पर हर नोट पर 5 रुपये चार्ज और सर्विस टैक्स लिया जाएगा. कटे-फटे 20 नोट जिनकी कुल कीमत 5,000 रुपये से ज्यादा नहीं होगी तक बदलने पर एसबीआई कोई सर्विस चार्ज नहीं लगेगा.

बेसिक बैंक डिपॉजिट अकाउंट के नए कार्ड पर भी लगेगा चार्ज

1 जून से एसबीआई एक्स्ट्रा डेबिट कार्ड इश्यू करने पर भी चार्ज लेने की तैयारी कर रहा है. एक जून से बैंक सिर्फ रुपे डेबिट कार्ड ही मुफ्त में जारी करेगा. बाकी सभी कार्ड जारी करने पर बैंक ने सर्विस चार्ज लेने का ऐलान कर दिया है. 1 जून से बैंक मास्टर और वीजा कार्ड इश्यू करने पर सर्विस चार्ज लेगा.

15 सालों से नहीं टूटा है चैंपियंस ट्रॉफी का यह रिकॉर्ड

चैंपियंस ट्रॉफी 1 जून से शुरू होने जा रही है. इस टूर्नामेंट में वीरेंद्र सहवाग का बनाया एक रिकॉर्ड पिछले 15 सालों से नहीं टूटा है. चैंपियंस ट्रॉफी के इतिहास में एक मैच में बाउंड्री से सबसे ज्यादा रन बनाने के मामले में सहवाग नंबर वन बल्लेबाज हैं.

उन्होंने साल 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ मैच में 126 रनों की पारी खेली थी जिसमें 90 रन तो उन्होंने चौकों-छक्कों से ही बना दिए थे. इस मैच में उन्होंने 21 चौके और 1 छक्का लगाया था.

आइए आपको बताते हैं चैंपियंस ट्रॉफी के एक मैच में छक्के-चौकों से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले टॉप 10 बल्लेबाजों के बारे में. जानें बाउंड्री से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी.

मैच

खिलाड़ी

चौका

छक्का

रन

भारत बनाम इंग्लैंड, 2002

विरेंद्र सहवाग (भारत)

21

01

90

न्यूजीलैंड बनाम यूएसए, 2004

नेथन एस्टल (न्यूजीलैंड)

13

06

88

वेस्ट इंडीज बनाम साउथ अफ्रीका, 2006

क्रिस गेल (वेस्ट इंडीज)

17

03

86

ऑस्ट्रेलिया बनाम इंग्लैंड, 2009

शेन वॉटसन (ऑस्ट्रेलिया)

10

07

82

भारत बनाम साउथ अफ्रीका, 2000

सौरव गांगुली (भारत)

11

06

80

श्रीलंका बनाम वेस्ट इंडीज, 2000

अविष्का गुणावर्धने (श्रीलंका)

19

00

76

वेस्ट इंडीज बनाम साउथ अफ्रीका, 1998

फिलो वॉलेस (वेस्ट इंडीज)

11

05

74

बांग्लादेश बनाम जिम्बाब्वे, 2006

शहरयार नफीस (बांग्लादेश)

17

01

74

भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया, 1998

सचिन तेंदुलकर (भारत)

13

03

70

साउथ अफ्रीका बनाम केन्या, 2002

हर्शल गिब्स (साउथ अफ्रीका)

13

03

70

 

पाकिस्तानी फैन भी दे रहे हैं टीम इंडिया का साथ

आईपीएल का दसवां सीजन खत्म होते ही अब सबकी नजर इंग्लैंड में 1 जून से होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी पर है. चैंपियंस ट्रॉफी को लेकर सभी क्रिकेट प्रेमी उत्साहित हैं. लेकिन 4 जून को भारत-पाकिस्तान के बीच खेली जाने वाली मैच बहुप्रतिक्षित मैच है. पूरा क्रिकेट जगत और क्रिकेट प्रेमी इस मैच के इंतजार में है. सभी को उस क्षण का इंतजार है जब खेल के मैदान में दो चिर प्रतिद्वंदी भारत और पाकिस्तान आमने सामने होंगे.

लेकिन इस मुकाबले से पहले ही पाकिस्तान के मशहूर क्रिकेट प्रशंसक चाचा शिकागो ने कुछ ऐसा कहा कि सब अचंभित हो गएं.

पाकिस्तानी क्रिकेट में 'चाचा शिकागो' के नाम से मशहूर मोहम्मद बशीर का मानना है कि इस बार चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान टीम का टीम इंडिया से कोई मुकाबला नहीं है. भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाले मुकाबलों में हमेशा दिखाई देने वाले 'चाचा शिकागो' मैच में दोनों देशों के झंडे लेकर पहुंचते हैं.

पिछले 6 सालों में यह पहला मौका होगा जब भारत-पाकिस्तान के बीच खेले जा रहे क्रिकेट मैच का लुत्फ उठाने के लिए वह मैदान पर मौजूद नहीं होंगे.

चाचा शिकागो पाकिस्तानी क्रिकेट की दुर्दशा को लेकर परेशान हैं. उनका मानना है कि भारत-पाकिस्तान के बीच अब कोई मुकाबला नहीं रह गया है. भारत पाकिस्तान से क्रिकेट में बहुत आगे निकल चुका है. एक तरफ टीम में धोनी, कोहली और युवराज हैं और पाकिस्तान में तो कोई बड़ा खिलाड़ी ही नहीं है.

पाकिस्तानी क्रिकेट के अच्छे दौर को याद करते हुए बशीर ने कहा, वो भी एक दौर था जब पाकिस्तान में जावेद मियांदाद, वसीम अकरम और वकार यूनिस जैसे खिलाड़ी थे. अब हालत ये हो गई है कि मैं पाकिस्तानी टीम में खेल रहे अधिकांश खिलाड़ियों का नाम नहीं जानता.

बशीर ने भारत-पाकिस्तान के बीच साल 2011 विश्वकप में मोहाली में खेले गए सेमीफाइनल के बाद खेले गए सभी मुकाबलों में शिरकत की लेकिन 4 जून को खेले जाने वाले मुकाबले के चश्मदीद वह नहीं बन पाएंगे.

बशीर ने कहा, काश मैं बरमिंघम में भी मैच देख सकता. रमजान के कारण वह वहां नहीं जा सकेंगे. मुझे दुख है कि मैं इस बार मैच नहीं देख पाउंगा. लेकिन इस बार भारत मैच आसानी से जीत जाएगा और अपना खिताब भी बचा लेगा. 

अमेरिका : कितना अच्छा, कितना बुरा

‘वर्ल्ड गिविंग इंडैक्स’ के मुताबिक किसी अजनबी की मदद करने में अमेरिकियों का स्थान दुनिया में पहला है. इसी तरह अमेरिका में 69% से ज्यादा फायर फाइटर्स, वौलंटियर्स हैं. ऐसी कितनी ही बातें हैं, जो अमेरिकी मानसिकता को भारतीयों से भिन्न बनाती हैं. ज्यादातर भारतीयों की तरह अमेरिकी निठल्ले बैठना पसंद नहीं करते. वे मेहनती होते हैं. नए आईडियाज डैवलप करने, नई सोच सामने रखने या फिर चीजों को नए तरीके से करने का प्रयास करने में अमेरिकी नहीं हिचकते और अकसर परिणाम आश्चर्यजनक निकलते हैं. काम के प्रति उन का जनून और सकारात्मक प्रवृत्ति देखते ही बनती है.

काफी हद तक मानसिकता में इस अंतर का ही नतीजा है कि अमेरिकी हम से बहुत समृद्ध और विकसित हैं. ज्यादातर पिछड़े या विकासशील देशों जिन में भारत भी शामिल है के युवाओं के लिए अमेरिका सपनों की मंजिल के समान है तभी तो यहां आने और बसने की होड़ लगी रहती है. पर सिक्के का दूसरा पहलू भी है. अच्छाइयों के साथसाथ यहां की जीवनशैली में कुछ कमियां भी हैं.

यदि भारतीय प्रयास करें तो अमेरिका की अच्छाइयों को अपने जीवन में उतार कर और मानसिकता में बदलाव ला कर अपने देश के प्रति भी वैसा आकर्षण पैदा कर सकते हैं, जिस की चाह हम भारतीयों को अमेरिका की ओर खींचती है.

अमेरिका विश्व के समृद्ध, शक्तिशाली व विकसित देशों में एक है. यह भारत से 3 गुना से भी ज्यादा बड़ा है जबकि इस की जनसंख्या भारत से 4 गुना कम है. काश, अगर आजादी के बाद हम अपनी जनसंख्या पर नियंत्रण रख पाते तो हमारी स्थिति कहीं बेहतर होती. आजकल अमेरिका पिछड़े और विकासशील देशों के लोगों के लिए सपनों की मंजिल है.

अच्छा पहलू

उच्च जीवन स्तर: यहां लोगों का जीवन स्तर काफी ऊंचा है. यहां पार्टटाइम घरेलू काम जैसे कुकिंग, सफाई, माली आदि का काम करने वालों के पास भी सभी सुविधाएं जैसे कार, टैलीविजन, स्मार्टफोन, माइक्रोवैव आदि उपलब्ध हैं.

पर्याप्त अवसर: यहां हर किसी को अपनी योग्यता के अनुसार जीवन में पर्याप्त अवसर हैं. सब को आगे बढ़ने के समान अवसर हैं. किसी जाति, धर्म या अल्पसंख्यक के नाम पर रिजर्वेशन नहीं है. अमेरिका संभवतया दुनिया का ऐसा देश है जहां केवल अपनी क्षमता के बल पर दुनिया में सब से ज्यादा बड़े उद्योगपति हुए हैं.

श्रम की इज्जत: आप चाहे छोटे से छोटा काम करते हों या फिर किसी बड़ी कंपनी के चेयरमैन क्यों न हों, यहां का समाज दोनों का बराबर आदर करता है. इसी तरह व्यापार में भी समान आदर दिया जाता है. आप किसी छोटे पेशे जैसे बाल काटने या किसी बड़ी कंपनी के मालिक हैं, कानून दोनों को बराबर मानता है, समाज भी कोईर् भेदभाव नहीं करता है.

धार्मिक और नस्ली भेदभाव नहीं: यहां कानून और समाज दोनों की नजर में धर्म, नस्ल या जाति के नाम पर कोई भेदभाव नहीं है. यही कारण है कि दुनिया के लगभग सभी देश, धर्म और नस्ल के लोगों के रहते हुए भी यहां आपस में दंगे, आगजनी, लूटपाट नहीं होती है. हालांकि कुछ छिटपुट नस्ल की घटनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है. आज अमेरिका में अनेक सरकारी पदों पर तथा अनेक प्रमुख कंपनियों के उच्च पदों पर गैरअमेरिकी मूल के लोग मिलेंगे, जिन में कई भारतीय भी हैं.

अपना भविष्य खुद चुनें: यहां स्कूलों और कालेजों में पढ़ाई के दौरान आप को जिस विषय में रुचि हो अपना भविष्य खुद चुनें और आगे बढ़ें. हमारे यहां ज्यादातर बच्चों को मातापिता की इच्छा के अनुसार डाक्टर, इंजीनियरिंग आदि क्षेत्र का चुनाव करना पड़ता है.

सामाजिक समानता: यहां लोगों की आमदनी में बहुत बड़ा फासला होते हुए भी समाज में कम आय वालों के प्रति कोई हीनभावना नहीं है.

समान कानून और अधिकार: इस देश में सब के लिए एक कानून लागू है. धर्म या जाति के नाम पर कोई दूसरा कानून या रिजर्वेशन नहीं होता है.

स्वतंत्र देश, स्वतंत्र नागरिक: अमेरिका सही मामले में स्वतंत्र देश है और इस के नागरिक भी पूर्ण स्वतंत्रता का अनुभव करते हैं. अमेरिकी स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करते. यहां स्वतंत्रता के नाम पर आए दिन हड़ताल, बंद या तोड़फोड़ की घटना नहीं होती है.

एक राष्ट्र: अमेरिका में 50 राज्य होते हुए भी वह एक राष्ट्र है. हमारे यहां हम लोगों में बंगाली, गुजराती या महाराष्ट्रियन आदि होने की भावना पहले है.

कठोर अनुशासन: यहां नियमों का पालन करना अनिवार्य है, आप चाहे जो भी हों. यातायात के नियमों का अच्छी तरह पालन किया जाता है. हाल ही में विश्व रिकौर्ड और विश्वविख्यात तैराक माइकल फेल्प जिन्होंने 2016 के ओलिंपिक तक 22 स्वर्ण पदक ले कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है, उन्हें भी 2 बार नशे में कार चलाने के लिए गिरफ्तार किया गया था.

शांतिपूर्ण मतदान: यहां का मतदान पूर्णतया शांतिपूर्वक होता है.

अभिवादन: अमेरिका में कहीं भी जाएं अमेरिकी हंस कर अभिवादन करते मिलेंगे. ज्यादा बातें नहीं करेंगे पर हायहैल्लो, गुड मौर्निंग आदि समय और मौसम के अनुसार जरूर करेंगे.

सभी देशों के व्यंजन उपलब्ध हैं: अमेरिका में दुनिया के लगभग सभी देशों के लोग बसे हैं, इसलिए यहां लगभग सभी देशों के व्यंजनों का आनंद उठाया जा सकता है.

अच्छी सड़कें: पूरे अमेरिका में सड़कों और फ्लाईओवरों का जाल बिछा है. यही कारण है कि लोग लंबी दूरी तक कार से ही आराम से सफर करते हैं. अत्यधिक दूरी के लिए हवाई सफर करते हैं. रेल यातायात न तो उतना विकसित है और न ही लोग उस से आमतौर पर सफर करना पसंद करते हैं. हाई वे पर थोड़ीथोड़ी दूरी पर पैट्रोल पंप मिलेंगे. इन में अनेक में खानेपीने और फ्री प्रसाधन की भी व्यवस्था है. छोटेबड़े होटल मिलेंगे जहां प्रसाधन का फ्री उपयोग कर सकते हैं.

बच्चों में आत्मनिर्भरता: अमेरिका में बच्चों को छोटी उम्र से ही अपने सभी काम खुद करना सिखाया जाता है. इसीलिए वे अपने निजी कार्य कम उम्र से खुद करने लग जाते हैं.

समय की पाबंदी: यहां कोई भी समय बरबाद नहीं करना चाहता है. ये समय का मूल्य समझते हैं. हर काम अपने निश्चित समय पर होता है.

इंटरनैट का जन्मदाता: इंटरनैट का जन्म भी अमेरिका में ही हुआ था जिस से पूरी दुनिया आजकल हर किसी के हाथ में है और यह पूरी दुनिया को 222 (वर्ल्ड वाइड वेब) के द्वारा जोड़े रखता है. आधुनिक इंटरनैट का जन्म 1990 में टीम ली द्वारा यहीं हुआ था.

उदारता: अमेरिकी सरकार और अमीर लोगों में उदारता भी देखने को मिलती है. जहां सरकार अपने करदाताओं के पैसों से अन्य पिछड़े या गरीब देशों की सहायता करती है, वहीं दूसरी तरफ धनी उद्योगपति और हौलीवुड सितारे भी अन्य देशों के सामाजिक उत्थान के  लिए करोड़ों का अनुदान देते हैं.

उच्च शिक्षा और अनुसंधान के पर्याप्त अवसर: अमेरिका की विश्वस्तर यूनिवर्सिटीज में सारी दुनिया से विद्यार्थी आ कर उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं. कइयों को स्कालरशिप भी मिलती है. यहां मेधावी विद्यार्थियों के लिए अनुसंधान की भी व्यवस्था है.

सर्वांगीण विकास पर जोर: यहां बचपन से ही व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास को प्राथमिकता दी जाती है. मसलन बच्चे पढ़ाई के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों में भाग लेते हैं. सभी बच्चे शुरू से ही किसी न किसी खेलकूद जैसे चैस, तैराकी, टैनिस, बास्केटबौल, ऐथलैटिक्स आदि में भाग लेते हैं. सरकार भी खेलों पर होने वाले खर्च पर आयकर में छूट देती है.

कमजोर पहलू

आधुनिक शस्त्रों का निर्माता: अमेरिका दुनिया में आधुनिक शस्त्रों का प्रमुख निर्माता है. शस्त्रों के निर्यात में यह विश्व में प्रथम स्थान पर है. ऐसे में हर समय इस बात का भय बना रहता है कि ये हथियार अगर आतंकवादियों और कट्टरपंथियों के हाथ में आ जाएं तो हजारों निर्दोष जान गंवा बैठेंगे.

प्रदूषण फैलाना: यहां के कारखाने और करोड़ों कारें वायुमंडल में प्रदूषण फैलाते हैं. इस मामले में चीन के बाद यह दूसरे नंबर पर है.

मोटापा: यहां काफी लोग मोटापे के शिकार हैं, करीब एकतिहाई लोग. इस की वजह जहां यहां दूध, दही, चीज, पनीर आदि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, वहीं यहां जंक फूड, पिज्जा, बर्गर आदि का प्रचलन भी बहुत है.

पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी: अमेरिका में पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था की कमी है. लगभग हर किसी के पास अपनी कार होती है. लंबी दूरी की रेल यात्रा या बस यात्रा बहुत कम उपलब्ध है.

दुनिया के बारे में अनभिज्ञता: यहां के ज्यादातर लोग दुनिया के बारे में कम जानते हैं. जैसे कुछ अरसा पहले एक क्विज में लोगों को अमेरिका को दुनिया का सब से बड़ा लोकतंत्र कहते सुना गया था.

गन फ्रीडम: यहां हर कोई आसानी से बंदूक पा सकता है, जिस के चलते हाल ही में शूटिंग के कई मामले देखने को मिले. यहां तक कि स्कूल के बच्चे भी ऐसी वारदातों में शामिल थे.

समलैंगिकता: यहां समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता है. लोग समलैंगिकता को ले कर अपने अधिकारों की बात करते हैं, पर यह अप्राकृतिक तो है ही.

महंगा श्रम: यहां लेबर बहुत महंगी है. इसी कारण सोफे, टैलीविजन, फोन, माइक्रोवैव आदि घरेलू उपकरणों की मरम्मत कराने की जगह उन्हें फेंक कर नया ही लेना बेहतर समझते हैं.

पारिवारिक आत्मीयता की कमी: यहां परिवार में आपसी प्रेम और आत्मीयता की भारत की तुलना में कमी है. बचपन से ही बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के चक्कर में बडे़ होतेहोते उन में प्रेम और पारिवारिक बंधन कमजोर हो जाता है.

आवश्यकता से अधिक टैक्नोलौजी: यहां आधुनिक तकनीक का बहुत ज्यादा प्रयोग होता है. घर में ज्यादातर काम माइक्रोवैव ओवन, डिश वाशर (बरतन धोने और सुखाने की मशीन), वाशर ड्रायर (कपड़े धोने और सुखाने की मशीन) से हो जाता है. बच्चों के हाथ में आधुनिक गैजेट देखे जा सकते हैं.

इस पर महान वैज्ञानिक आइंस्टीन की यह बात याद आती है, ‘‘मुझे उस दिन का डर

है जिस दिन तकनीक मानव वार्त्तालाप से ऊपर हो जाए. तब यह दुनिया मूर्खों की एक पीढ़ी होगी.’’               

दीवानगी नोफोन की

हमारे देश में मोबाइल फोन आए लगभग 20 साल से अधिक समय हो गया है. इन 2 दशकों की सब से बड़ी उपलब्धि यह रही है कि आज देश में 1 अरब से ज्यादा मोबाइल ग्राहक है. पिछले कुछ वर्षों से नया मोबाइल फोन और कनैक्शन लेने वालों की रफ्तार हर महीने 1 करोड़ की दर से बढ़ रही है. हो सकता है कि कुछ समय बाद यह दावा किया जाए कि सवा अरब से ज्यादा की आबादी वाले इस मुल्क में इतने ही मोबाइल कनैक्शन हों.

अमीरीगरीबी का ज्यादा फर्क किए बगैर देश में लगभग हर व्यक्ति को सूचना पाने की सुविधा के अलावा एक नई पहचान देने वाली इस क्रांति की शुरुआत जिस अंदाज में हुई थी, उस में यह बताना मुश्किल था कि सिर्फ 20-22 साल में एक रिकशाचालक या कोई मजदूर पीसीओ बूथ के खुलनेबंद होने की चिंता से बेफिक्र हो कर जब चाहे गांवदेहात में अपने परिवार वालों से बात कर सकेगा और अपने दूसरे कई काम भी निबटा सकेगा. भारत जैसा ही हाल चीन का भी है, जहां वर्ष 2012 में ही 1 अरब मोबाइल फोन उपभोक्ता हो गए थे. दुनिया में फिलहाल यही 2 देश हैं जहां 1 अरब से ज्यादा मोबाइलधारक हैं.

इधर एक ओर जब भारतचीन में मोबाइल फोन को ले कर ऐसी होड़ मची हुई है, तो दूसरी तरफ दुनिया में एक नया ट्रैंड उभर रहा है जिस में लोग स्मार्टफोन के नशे से छुटकारा पाना चाहते हैं. इस की शुरुआत एक कनाडाई कंपनी ने ‘नोफोनएयर’ नामक गैजेट बना कर की है, जिस के बारे में दावा किया जा रहा है कि उस की मदद से लोग स्मार्टफोन पर अपनी निर्भरता कम कर पाएंगे और ऐसी जिंदगी जी पाएंगे, जिस में स्मार्टफोन की जरूरत महसूस नहीं होगी.

हालांकि भारतचीन जैसे देशों में लोग अभी इस बारे में सोच नहीं पा रहे हैं कि एक दिन दुनिया में ऐसा भी आ सकता है जब लोग स्मार्टफोन के बिना खुद को ज्यादा सुखी महसूस करेंगे. अभी ज्यादातर लोगों का मानना है कि स्मार्टफोन के बिना रह पाना असंभव है. इधर, जिस तरह से सरकार मोबाइल बैंकिंग पर जोर दे रही है उस में तो एक अच्छे स्मार्टफोन का होना जरूरी लगता है.

जापान समेत कई यूरोपीय देशों में अब भी लोग स्मार्टफोन को एक बुरी लत के रूप में देखते हैं और इस से छुटकारा पाना चाहते हैं, लेकिन लोगों का मानना है कि अब शायद स्मार्टफोन के बिना जिंदा रह पाना मुमकिन नहीं है, क्योंकि इसी के जरिए कई तरह के काम हो रहे हैं और दुनियाभर के लोग एकदूसरे से जुड़े हुए हैं. इसलिए जब कुछ लोगों को यह जरूरत महसूस हुई कि कैसे वे स्मार्टफोन के जंजाल से बाहर निकलें, तो सब से पहले इस धारणा को तोड़ने की कोशिश शुरू की गई कि स्मार्टफोन के बिना जिंदगी नामुमकिन है.

करिश्मा ‘नोफोनएयर’ का

वैसे तो स्मार्टफोन की लत से छुटकारा पाने के कई उपाय बताए जाते हैं, लेकिन इस का एक नया तरीका कनाडा के 2 वकीलों स्टीवन पल्वर और डैनियल लेविन ने निकाला है. उन्होंने अक्तूबर, 2016 में कनाडा में एक ऐसी बैठक बुलाई जिस में लोगों को बिना स्मार्टफोन के आने को कहा गया. उन्होंने देखा कि मीटिंग में आने वाले 100 से ज्यादा लोगों के बीच ऐसा अनोखा संपर्क बना जिस की आशा ही नहीं थी. इस से उन्होंने नतीजा निकाला कि अगर ऐप्स के जंजाल से हमें छुटकारा मिल जाए तो हम ज्यादा क्रिएटिव, शिष्टाचारी होने के साथ सही माने में लोगों से जुड़ सकते हैं. यह सिर्फ एक उदाहरण है. दुनिया के कई देशों में स्मार्टफोन की लत से पीछा छुड़ाने के लिए लोग तरहतरह के प्रयोग कर रहे हैं. इस का एक नमूना कनाडा में आयोजित फायरसाइड कौन्फरैंस में 2 उ-मियों क्रिस शेल्डन और वैन गूल्ड ने पेश किया. एक टैक्नोलौजी कौन्फरैंस में इन्होंने ‘नोफोनएयर’ नाम से एक छोटी सी डिवाइस लौंच की, जो देखने में तो एक स्मार्टफोन की तरह ही है पर इस में हैडफौन जैक, औपरेटिंग सिस्टम, स्क्रीन, प्रोसैसर, बैटरी, स्टोरेज और ब्लूटूथ जैसी कोई चीज नहीं है. इस में सिर्फ हवा है.

इस डिवाइस को लौंच करते हुए शेल्डन ने कहा, ‘‘यह दिखने में तो स्मार्टफोन है लेकिन स्मार्टफोन की तरह काम नहीं कर सकता. आप फोन से दूर रह कर ही सही मानों में दूसरे लोगों से जुड़ सकते हैं.’’

शेल्डन और गूल्ड ने आगे कहा कि इस वक्त जब दुनिया में लाखों लोग आईफोन और इसी तरह के आधुनिक स्मार्टफोनों के पीछे भाग रहे हैं, नोफोनएयर एक नई लहर की तरह सामने आ सकता है. यह नकली फोन उन के लिए है जो असली स्मार्टफोन से चिपके रहते हैं, पर उस की लत से छुटकारा पाना चाहते हैं.

नोफोनएयर की मांग तेजी से बढ़ रही है, यह इस से साबित होता है कि हौलीवुड के सुपरस्टार कायने वेस्ट ने ट्वीट किया कि मैं अपने फोन से छुटकारा चाहता हूं, शायद यही सोच कर नोफोनएयर बनाया गया है. इस ट्वीट के जवाब में गायिका केटी पैरी ने लिखा, ‘दुनिया से संवाद बढ़ाने के लिए बेहतर है कि फोन से खुद को अलग कर लो.’ उल्लेखनीय यह है कि लौंचिंग के कुछ समय बाद ही 10 डौलर (650 रुपए) की कीमत वाले नोफोनएयर के 10 हजार सैट दुनिया में बिक चुके थे.      

कैसे बचें स्मार्टफोन की लत से

नोफोनएयर असल में हमें स्मार्टफोन की लत से बचाने का एक तरीका मात्र है पर सचाई यह है कि दुनिया में इस समय ऐसे कई तौरतरीकों की खोजबीन हो रही है, जिस से लोगों को फोन की जरूरत महसूस न हो. इस बारे में ब्रिटेन की एक संस्था औफकौम्स का कहना है कि स्मार्टफोन एडिक्शन (लत) एक महामारी के स्तर पर पहुंच गया है. एक सर्वे में 37त्न लोगों ने स्वीकार किया कि वे अपने स्मार्टफोन से खुद को अलग नहीं कर पाते हैं. सर्वे में आधे लोगों को मानना था कि वे स्मार्टफोन का इस्तेमाल सोशल मीडिया के जरिए लोगों से संपर्क साधने में करते हैं. एकचौथाई का मत था कि वे खाना खाते समय भी फोन का प्रयोग करते हैं और 20त्न अपने बाथरूम तक में स्मार्टफोन अपने साथ ले जाते हैं.

दुनिया में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है जो हर मिनट में अपना फोन चैक करते रहते हैं कि कहीं कोई नया मैसेज, फोटो और वीडियो तो उन के फोन पर तो नहीं आया है, ऐसे में उन तरीकों की भी चर्चा होने लगी है जिन से लोग स्मार्टफोन की लत से बच सकते हैं. प्रस्तुत हैं सुझाव :

– ऐसे स्मार्टफोन खरीदने से बचें, जिन में अनगिनत फीचर्स हों. अपनी जरूरत के मुताबिक सीमित फीचर वाले फोन खरीदें.

–   हर नया ऐप डाउनलोड न करें. इस से न सिर्फ फोन की स्पीड कम होती है, बल्कि नएनए ऐप हमारा ध्यान भी भटकाते हैं. 5 या 10 से अधिक ऐप फोन में नहीं होने चाहिए.

–   अगर आप को हर दूसरे मिनट पर फोन चैक करने की आदत है तो घर में अपना फोन खुद से दूर दूसरे कमरे में रखें.

–   यदि किसी से बात करते समय कोई अननोन कौल फोन पर आ रही है तो उस वक्त उस पर ध्यान न दें. बात खत्म करने पर कौलबैक कर जानकारी लें कि वह कौल आप के लिए जरूरी है या नहीं. इस से हम फोन को खुद पर हावी होने से बचा सकते हैं.

चूंकि तकनीक बड़ी तेजी से बदल रही है, इसलिए कंपनियां भी नएनए फीचर वाले स्मार्टफोन बाजार में ले कर आती हैं. ऐसे में बहुत से लोग नया फोन खरीद लेते हैं, जबकि उन का पुराना फोन काम कर रहा होता है. इस आदत से खुद को बचाएं, क्योंकि यह हमारा पैसा फुजूल में खर्च कराती है और हमारा ध्यान भी भटकाती है.   

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