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बच्चों को मिलती है अवैध संबंधों की सजा

अवैध संबंधों के रिश्ते बडे लोगों के बीच बनते है पर इनकी सजा बच्चों को भुगतनी पडती है.अवैध संबंधों के खुलासे परिवार के लिये तबाही लेकर आते है.जिनकी सजा बच्चो को भुगतनी पडती है.ताजा मामला लखनऊ की बक्शी का तालाब तहसील के इंटौजा थाने की है.इंटौजा थाने के गोहनाखुर्द गांव में रामस्वरूप रावत अपनी पत्नी कुसुमा , मां बिटटो, 5 साल का बेटा संजय और 3 साल की बेटी रीना के साथ रहता था.

7 साल पहले रामस्वरूप रावत की शादी रामधीन पुरवा निवासी कुसुमा से हुई थी.कुसुमा के बेटी होने के कुछ दिन बाद ही उसके करीबी रिश्ते भानु प्रताप सिंह से हो गये.भानु प्रताप सिंह के गांव में ही ईंट के भटठा प्रताप ब्रिक फील्ड है.बिसंवा में उसका दूसरा इंर्ट भटठा भी है.रामस्वरूप को दवाब में रखने के लिये भानु प्रताप सिंह ने 2 बीघा आम की बाग खरीदी और उसकी रखवाली करने का काम उसे सौंप दिया.वह रामस्वरूप की मदद करता रहता था.रामस्वरूप को यह पता नहीं था कि कुसुमा और भानुप्रताप के संबंध है.

कुछ समय पहले एक दिन रामस्वरूप ने कुसुमा और भानुप्रताप को आपत्तिजनक हालत में देख लिया था.इस बात पर खफा होकर वह भानुप्रताप के घर गया और उनके बडे भाई शिवा से शिकायत करते धमकी दी कि अगर यह काम बंद नहीं हुआ तो वह पूरी कहानी सबको बता कर आत्महत्या कर लेगा.इस बात को लेकर भानुप्रताप की अपने घर वालों से नोकझोंक भी हुई पर दोनो सुधरने का तैयार नहीं हुये.भानु और कुसुमा के संबंधों को लेकर रामस्वरूप ने कुसुमा को भी बहुत बुरा भला कहा था.इसके बाद भी कुसुमा सुधरने का तैयार नहीं थी.रामस्वरूप में विरोध दबाने के लिये कुसुमा ने भानु के साथ मिलकर उसे रास्ते से हटाने की योजना तैयार की.योजना के अनुसार गुरूवार 26 मई को देर शाम कुसुमा ने रामस्वरूप से कच्चे आम लाने को कहा.इस पर वह आम लाने के लिये आम की बाग गया.

रामस्वरूप के घर से निकलते ही कुसुमा ने भानु को फोन कर रास्ते के कांटे को हटाने का संदेश दिया.आम के बाग में भानु अपने साथ बबलू और लल्लू को लेकर तैयार था.बबलू पहले भी एक अपराध में जेल जा चुका था.भानु ने उसको 2 लाख रूपये देने का लालच देकर अपना साथ देने के लिये राजी किया था. लल्लू को गढढा खोदने के बदले नई पैंटशर्ट देने का वादा किया था.रामस्वरूप के बाग पहुंचते ही भानु और बबलू ने गला घोट कर उसकी हत्या कर दी.इस बीच कुसुमा भी दोनो बच्चों को सुलाकर वहां पहुंच गई.

रात करीब 11 बजे रामस्वरूप के शव को त्रिपाल में लपेट कर 2 किलोमीटर दूर सरायदामू नहर के किनारे लल्लू द्वारा खोदी गई कब्र में दबा दिया.कुसुमा और बाकी लोग अपने घर चले गये.शुक्रवार की सुबह कुसुमा पति की तलाश में बाग गई और वहां पडी चप्पल और अंडरवियर लेकर थाने गई. 28 मई को पुलिस ने रामस्वरूप की लाश को गढढे से खोद कर बरामद कर ली.लखनऊ के पुलिस अधीक्षक ग्रामीण प्रताप गोपेन्द्र यादव और थानाध्यक्ष महेन्द्र यादव ने बताया कि पुलिस को छानबीन में भानु और कुसुमा के संबंधों का पता चला. इसके बाद दोनो से पूछताछ की तो सच सामने आ गया.रामस्वरूप की हत्या और कुसुमा के जेल जाने के बाद उसके दोनो बच्चे अनाथ हो चुके है.उनको बिना किये अपराध की सजा मिल रही है.

नरगिस फाखरी ने क्यां पहनी नौ वारी साड़ी

विदेशी मूल की अदाकारा नरगिस फाखरी को ठीक से हिंदी बोलनी नहीं आती है, मगर इन दिनों उनकी नौवारी साड़ी पहने महाराष्ट्यिन लुक की कुछ तस्वीरें चर्चा में हैं. इन तस्वीरों के बारे में जब हमने पता लगाया, तो पता चला कि यह तस्वीरें पुरस्कृत निर्देषक रवि जाधव की फिल्म ‘बैंजो’की है. सूत्रों के अनुसार रितेष देषमुख के साथ फिल्म ‘‘बैंजो’’में नरगिस फाखरी नौवारी साड़ी पहने महाराष्ट्यिन लुक में नजर आने वाली हैं. वैसे तो फिल्म‘‘बैंजो’’में नरगिस फाखरी ने न्यूयार्क से आयी एक डीजे च्रिस का किरदार निभाया है. मगर फिल्म में महाराष्ट्यिन स्ट्रीट गायक का किरदार निभा रहे अभिनेता रितेष देषमुख एक गाने में न्यूयार्क से आयी इस डीजे यानी कि नरगिस फाखरी को अपनी पत्नी के रूप में कल्पना करते हैं और इस कल्पना में नरगिस फाखरी नौ वारी महाराष्ट्यिन साड़ी पहनती हैं. कास्ट्यूम डिजायनर दिव्या गंभीर ने नरगिस फाखरी के लिए खासतौर पर नौवारी साड़ी को डिजाइन किया है. उधर फिल्म के निर्देषक रवि जाधव भी नरगिस फाखरी के महाराष्ट्यिन लुक की काफी तारीफ करते हुए नहीं थक रहे हैं. वह कहते हैं-‘‘मैं मूलतः महाराष्ट्यिन हूं. मैं अपनी हर फिल्म में महाराष्ट्यिन सभ्यता व संस्कृति का तड़का जरुर डालता हूं. मेरे सिनेमा में महाराष्टि् की ईमेज होती ही है. उसी तरह मेरी नई फिल्म ‘‘बैंजो’’में भी महाराष्ट् नजर आएगा. मेरी राय में हमारी फिल्म ‘बैंजो’में नरगिस फाखरी नौ वारी साड़ी में बहुत खूबसूरत नजर आयी हैं.’’

शादी को जरुरी नही मानती कलकी ?

बौलीवुड से जुडे़ लोगो की राय कई बार चौंकाने वाली होती है. अनुराग कष्यप से तलाक ले चुकी अभिनेत्री कलकी कोचलीन उर्फ कलकी केकला इन दिनों एक तरफ थिएटर कर रही है, तो दूसरी तरफ अपनी फिल्म‘‘वेटिंग’’के लिए तालियां बटोर रही हैं. फिल्म ‘‘वेटिंग’’ में नसिरूद्दीनशाह के साथ उनके अभिनय की काफी तारीफ की जा रही है. मगर कलकी की निजी िंजंदगी को लेकर भी कई तरह की चर्चाएं गर्म है. एक तरफ वह अपने पूर्व पति अनुराग कष्यप के साथ दोस्ताना संबंध बनाए हुए हैं. तो दूसरी तरफ बौलीवुड में कलकी और फिल्म‘‘नीरजा’’में खलनायक खलिल का किरदार निभाकर चर्चा में आए पारसी कलाकार जिम सर्भ के बीच बढ़ती प्रगाढ़ संबंधों की भी चर्चाएं हैं. मगर कलकी किसी भी तरह की चर्चाआें पर कोई बात करना नहीं चाहती. वह कहती हैं-‘‘मैने अपनी निजी जिंदगी से जुड़े मसलों पर बात करनी बंद कर दिया है. जिसे जो लिखना हो लिखता रहे.’’शादी के सवाल पर उनका कहना है-‘‘मेरी राय में किसी रिष्ते के प्रति इमानदार कमिटमेंट हो,तो फिर शादी की अनिवार्यता नहीं रहती.’’

हमारा देश: अंधेर नगरी, चौपट राजा…!

आज एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल के ब्रेकिंग न्यूज से साबका पड़ा. खबर चल रही थी, दक्षिण अफ्रीका के कुछ युवकों ने एक टैक्सी ड्राइवर की मार-कुटाई इसलिए कर दी कि उसने क्या चार से ज्यादा लोगों को टैक्सी में बिठाने से मना कर दिया. यह खबर चल ही रही कि अचानक ब्रेकिंग न्यूज का एलान कर दिया टीवी चैनल के एक एंकर ने. गोया बहुत ही महत्वपूर्ण खबर हो. और खबर क्या थी? टेलीकौम मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कांफ्रेंस कर एलान किया है कि अब गंगाजल की औनलाइन बुकिंग हो सकती है. और डाक सेवा के जरिए सरकार घर-घर में ‘विशुद्ध’ गंगाजल पहुंचाने का इंतजाम कर रही है. इसके लिए शहर से लेकर गांव तक के तमाम डाकघरों को आधुनिक बनाने की कवायद शुरू करने जा रही है सरकार. डाक घरों को अत्याधुनिक तकनीक से लैश किया जाएगा.

जरा सोचिए, अंधेर नगरी में यह खबर ब्रेकिंग न्यूज है. कितना हास्यास्पद मामला है. पूरी तरह से अंधेर नगरी, चौपट राजा वाली स्थिति है. हमारा देश इस कदर अंधेर नगरी में तब्दील हो चुका है और भारत सरकार चौपट राजा! दो साल पूरे करने के लिए सरकार बड़े शानोशौकत से जश्न मनाती है. जबकि यह सरकार बहुमतवाली सरकार है और हर हाल में इस अपने पांच साल पूरे करने का जनादेश मिला हुआ है. माना भाजपा के वादे के मुताबिक अच्छे दिन न आए और इस सरकार को बनवाने के मलाल से अब जनता अपने हाथ मल रही हो! पांच साल की अवधि के बीच सरकार गिरने का कहीं कोई खतरा नहीं है. फिर हरेक साल पूरे करने के बाद जश्न मनाने का क्या तुक है?

सरकार का पानी हर दिन उतर रहा है. पर कम से कम 13 राज्यों में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. सरकार घर-घर तक पीने का पानी, बिजली और दाल नहीं पहुंचा सकती, लेकिन सरकार का फोकस गंगाजल पर जरूर है. इसके लिए सरकारी तंत्र को भी जोत दिया जा रहा है. गंगाजल पहुंचाने के महत काय में सरकार और मंत्री महोदय पूरी इमानदारी से जुट गए हैं. ई-कौमर्स के जरिए हरिद्वार और ऋषिकेश से गंगाजल डाक सेवा के जरिए घर-घर पहुंचाने के काम में कमर कस कर जुट गयी है सरकार.

पिछले कुछ दशकों में कुरियर सर्विस के कारण आहिस्ते-आहिस्ते डाक सेवा का भट्ठा ही बैठ गया है. इसे दुरुस्त करने और कुरियर सर्विस को चुनौती देने के लिए स्पीड पोस्ट की शुरूआत की गयी. लेकिन स्थिति तो सुधरनी ही नहीं थी, सो नहीं सुधरी. अब तो डाक से चिट्ठी भेजने का रिवाज ही बाबा अदम जमाने की बात हो गयी है. बीसियों तरीके निकल आए हैं किसी अपने-पराये से संपर्क साधने का. अब तो डाक सेवा का रहा-सहा उपयोग बचत खाते से रह गया है. डाक घर में बचत की रकम रखना आज भी लोग थोड़ा-बहुत सुरक्षित मानते हैं. वरना डाक घर का कोई खास उपयोग नहीं रह गया है.

लेकिन असका मतलब यह तो नहीं कि डाक सेवा को गंगाजल पहुंचाने में लगा दिया जाए! वैसे ही औनलाइन गंगाजल पहुंचानेवाले और भी ई-कौमर्स है. शौपक्लू, ईबे से लेकर अमाजोन तक आपकी चौखट तक गंगाजल पहुंचाने का काम कर ही रहे हैं. वह भी सालों से. इसके अलावा पलांजलि से लेकर भारतस्प्रिचुअल ओर्ग, वैदिकवाणी डौट कौम, गंगाजल डौट कौम, हिंदू-ब्लोग डौट कौम, गिरि डौट इन, रुद्राक्ष-रतन डौट कौम जैसे बहुत सारे तथाकथित धार्मिक और आध्यात्मिक साइट भी इसी धंधे में जुट हुए हैं. फिर भारत सरकार को इस धंधे में कूदने की भला क्या जरूरत!!

अब बात करते हैं न्यूज चैनल की. सवाल है कि इस खबर से आखिर कितनों का सरोकार है? और साथ में यह भी कि इसे ब्रेकिंग न्यूज कहना कहां तक सही है! लग तो यही रहा है कि ब्रेकिंग न्यूज की परिभाषा ही बदल गयी है. तमाम न्यूज चैनलों के बीच इतनी जबरदस्त प्रतियोगिता मची हुई है कि कुछ भी हाथ लग जाए, उसे ब्रेकिंग न्यूज बना कर परोसने में लग जाते हैं. खबर की अहमियत और आम आदमी के सरोकार से उससे कुछ लेना-देना हो या न हो- हाथ लग गयी तो बस परोस दो.

मीडिया के लिए सोशल मीडिया लगातार चुनौत बनती जा रही है. किसी बड़ी और अहम खबर को ब्रेक देने का काम सोशल मीडिया बखूबी कर रही है. दरअसल, ब्रेकिंग न्यूज कके लिए ट्वीटर जागरूक लोगों की पहली पसंद बन गयी है. कमोबेश न्यूज चैनल के एंकर किसी मामले में जनता का रुख जानने के लिए सोशल मीडिया का ही सहारा लेते हैं.

अमेरिकन प्रेस इंस्टीट्यूट एवं ट्वीटर की ओर से डीबीफाइव नामक शोध कंपनी के सर्वे में खुलासा हुआ है कि ताजा समाचारों और खबरों से खुद को अवगत रखने का सबसे पुख्ता जरिया आजकल सोशल मीडिया है. ट्वीटर के उपयोगकर्ताओं का तीन-चौथाई हिस्सा पत्रकारों, लेखकों और टिप्पणीकारों का ही है.

लगता है इस सर्वे के नतीजों को देख कुछ न्यूज मीडिया चैनल बौखला-से गए हैं. और ब्रेकिंग न्यूज की परिभाषा ही गड्डमगड्ड हो गयी है. तभी डाक द्वारा गंगाजल औन की खबर को ब्रेकिंग न्यूज बना कर पेश कर दिया गया. अब कहने को कुछ नहीं रह जाता सिवाय यह कहने के कि वाकई हमारा देश अंधेर नगरी चौपट राजा की ओर कदम बढ़ा रहा है.

पति की चाह पर आप की न क्यों

हिंदी फिल्म ‘की एंड का’ में गृहिणी की भूमिका निभा रहा नायक पति की भूमिका निभा रही नायिका से रात में बिस्तर पर कहता है कि आज नहीं डार्लिंग, आज मेरे सिर में दर्द है. तात्पर्य यह कि यदि लड़का पत्नी की भूमिका निभाएगा, तो सैक्स के नाम पर उस के भी सिर में दर्द उठेगा. ऐसा क्यों होता है कि पति की तुलना में पत्नी को संभोग के प्रति थोड़ा ठंडा माना जाता है? सिरदर्द की बात चाहे बहाने के रूप में हो या सचाई, निकलती पत्नी के मुख से ही है. क्या वाकई सहवास का जिक्र पत्नियों के सिर में दर्द कर देता है? यदि पत्नी के मन में अपने पति के प्रति आकर्षण या प्रेम में कुछ कमी है, तो रोमांटिक होना कष्टदाई हो सकता है. लेकिन जब नानुकुर बिना किसी ठोस कारण हो तब?

मर्द और औरत की सोच का फर्क

सैक्स के मामले में मर्द और औरत भिन्न हैं. एक ओर जहां मर्द का मन स्त्री की शारीरिक संरचना के ध्यान मात्र से उत्तेजित हो उठता है, वहीं एक स्त्री को भावनात्मक जुड़ाव तथा अपने पार्टनर पर विश्वास सहवास की ओर ले जाता है. एक स्त्री के लिए संभोग केवल शारीरिक नहीं अपितु मानसिक और भावनात्मक स्तर पर होता है. पुरानी हिंदी फिल्म ‘अनामिका’ का गाना ‘बांहों में चले आओ…’ हो या नई फिल्म ‘रामलीला’ का गाना ‘अंग लगा दे…’ ऐसे कितने ही गाने इस विषय को उजागर करते हैं. जो पत्नियां अपने पति से प्यार करती हैं और उन पर विश्वास रखती हैं, उन के लिए संभोग तीव्र अंतरंगता और खुशी को अनुभव करने का जरीया बन जाता है. किंतु जिन पतिपत्नी का रिश्ता द्वेष, ईर्ष्या और अनबन का शिकार होता है वहां सहवास को अनैच्छिक रूप में या बदले के तौर पर महसूस किया जाता है. लेकिन कई बार हमारी अपनी मानसिकता, हमारे संस्कार, हमारी धारणाएं सैक्स को गलत रूप दे डालती हैं और हम अनजाने ही उसे नकारने लगते हैं. इस का इलाज संभव है और आसान भी.

क्या कहता है शोध

ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के यौन चिकित्सा कार्यक्रम की निर्देशिका डा. रोसमैरी बेसन कहती हैं कि स्त्रियों में यौनसंतुष्टि से जुड़ी सब से बड़ी शिकायत उन में इच्छा, उत्तेजना और यौन संतुष्टि की कमी होती है.

एक और खास मुद्दा लैंगिक विभिन्नता का है. जहां एक ओर एकतिहाई औरतों में मर्दों से अधिक कामुकता होती है, वहीं दूसरी ओर दोतिहाई जोड़ों में मर्दों की कामप्रवृत्ति औरतों से ज्यादा होती है. इसी कारण ऐसे जोड़े में एक स्त्री को कामोत्तेजित पुरुष की वजह से अपनी कामेच्छा को अनुभव करने का मौका नहीं मिल पाता है.

फ्लोरिडा विश्वविद्यालय की डा. लौरी  मिंज अपनी पुस्तक ‘अ टायर्ड विमंस गाइड टु पैशिनेट सैक्स,’ में बताती हैं कि जहां औरतों  की कामप्रवृत्ति अधिक होती है, वहां भी रोजमर्रा की गृहस्थी संबंधी जिम्मेदारियों के कारण वे कामोत्तेजना तथा यौनसंतुष्टि नहीं भोग पाती हैं.

भारतीय कानून का नजरिया

जो पत्नी बिना कारण अपने पति को लगातार सैक्स से वंचित रखती है या सिर्फ अपनी मरजी से ही संबंध स्थापित करना चाहती है, उसे खुदगर्ज कहना अनुचित न होगा. भारतीय कोर्ट पति या पत्नी द्वारा बिना कारण लंबे समय तक अपने पार्टनर को सैक्स से वंचित रखने को मानसिक क्रूरता की श्रेणी में रखते हैं. ऐसे कई उदाहरण हैं जहां कोर्ट ने सुनवाई में इस दलील पर तलाक तक की मंजूरी दे दी. अप्रैल, 2005 में पति केशव ने मद्रास हाई कोर्ट में पत्नी सविता के खिलाफ लंबे समय तक अंतरंग संबंध स्थापित न करने देने पर तलाक की मांग की, जिस की उसे मंजूरी मिल गई. मद्रास हाई कोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ पत्नी सविता सुप्रीम कोर्ट पहुंची जहां न्यायाधीश ज्योति मुखोपाध्याय एवं न्यायाधीश प्रफुल पंत ने मद्रास हाई कोर्ट के निर्णय को सही बताते हुए कहा कि बिना किसी ठोस कारण तथा बिना किसी शारीरिक दुर्बलता के यदि कोई अपने पति या पत्नी को लंबे समय तक संबंध स्थापित नहीं करने देता है तो यह मानसिक क्रूरता की श्रेणी में गिना जाता है. उन के शब्दों में, मानसिक क्रूरता शरीरिक चोट से अधिक आघात पहुंचा सकती है.

अतीत में झांक लें

मालिनी के एक रिश्तेदार ने उस के साथ दुष्कर्म करते समय उस का बाल उम्र का लिहाज नहीं किया. नतीजा यह रहा कि आज भी अपने पति के निकट जाते हुए उसे लगता है जैसे उस के शरीर पर वही लिजलिजे हाथ जबरदस्ती कर रहे हों. सैक्स को वह अपने पत्नी फर्ज की तरह निभाती है न कि अपने पति के साथ बिताए उन प्रेमालाप पलों को पूर्णरूप से जीती है. क्या आप के अतीत में ऐसा कुछ हुआ था, जिस की छाया आप के वर्तमान पर गहरी छाई है? हो सकता है पुराने किसी बुरे अनुभव के कारण आप आज संभोग से घबराती हों. यदि आप के अतीत में हनन या दुर्व्यवहार का ऐसा कोई अनुभव है, जिस से संबंध बनाते समय आप खुश नहीं रह पाती हैं तो आप को जल्द से जल्द प्रोफैशनल मदद लेनी चाहिए और स्वयं को अपने उस बुरे अतीत से मुक्त करना चाहिए.

शारीरिक समस्याओं से छुटकारा पाएं

कभीकभी शारीरिक समस्या जैसे हारमोनल इंबैलैंस के कारण भी स्त्री का मन सैक्स से उचट सकता है. यदि आप को स्वयं में सैक्स के प्रति अरुचि का कारण भावना से अधिक शारीरिक जवाबदेही की कमी लगती है तो आप को

यौनरोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए. वे और भी परेशानियों से मुक्ति दिला सकते हैं जैसे चरमोत्कर्ष पर न पहुंच पाना, स्नेह की कमी, पीडा़दायक सहवास, आप के द्वारा खाई गई कुछ ऐसी दवाएं, जिन के कारण आप में यौन ड्राइव की कमी आई हो इत्यादि.

हमसफर के साथ को करें ऐंजौय

‘‘तुम्हारे साथ होते हुए मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं एक लाश के साथ हूं,’’ अंतरंग क्षणों में कभी पत्नी की तरह से कोई रिस्पौंस न मिलने पर अमित के मुंह से निकल गया. यदि पत्नी कभी प्यार में पहल नहीं करेगी तो पति को ही पहल करनी पड़ेगी. इस का परिणाम यह होगा कि पति असुरक्षित भावना का शिकार हो जरूरत से अधिक पहल करने लगेगा और इस का नतीजा यह हो सकता है कि पत्नी, पति की आवश्यकता से अधिक पहल पर उस से और दूर होती जाए. यदि पति को आश्वासन हो कि पत्नी भी पहल करेगी या उस की पहल पर पौजिटिव रिस्पौंस देगी तो वह धैर्य के साथ पत्नी के तैयार होने का इंतजार कर सकता है.

जब एक पत्नी सिर्फ ग्रहण नहीं करती, बल्कि शुरुआत भी करती है तो वह सैक्स

को एक जबरदस्ती, जिम्मेदारी या दबाव के रूप में न देख कर आपसी मेल के रूप में देख पाती है.

किताबें काफी मददगार

अधिकतर परिवारों से मिले संस्कार ऐसे होते हैं, जिन के कारण लड़कियां संभोग को गलत या वर्जित मानती हैं और इसी कारण विवाहोपरांत भी वे इस विषय पर खुल नहीं पातीं. अपनी इस हिचक को दूर करने के लिए ‘गाइड टु गैटिंग इट औन, ‘द गुड गर्ल्स गाइड टू ग्रेट सैक्स’ आदि किताबें पढ़ सकती हैं.

सैक्सुअल थेरैपी भी लाभकारी

कई बार केवल स्वयं कदम उठाना  काफी नहीं होता. यदि आप को स्वस्थ वैवाहिक जीवन जीने में असुविधा हो रही है तो आप प्रोफैशनल मदद के बारे में सोच सकती हैं. सैक्सुअल थेरैपी में एकदम शुरू से आरंभ किया जाता है. जैसे आप दोनों पहली बार मिल रहे हैं. जोड़ों में धीरधीरे रिश्ता कायम कराया जाता है. स्टैप बाई स्टैप सैक्स की ओर ले जाते हैं. हो सकता है कि आप के पति ऐसे प्रोग्राम में जाने को तैयार न हों. ऐसे में आप अकेले भी ऐसे प्रोग्राम का लाभ उठा सकती हैं. आप देखेंगी कि काउंसलर की मदद से आप न केवल सैक्स से संबंधित कितनी ही समस्याओं का समाधान खोज पाएंगी, बल्कि अपने पति से इस विषय में बात करना भी आप के लिए आसान हो जाएगा.

समाज में आ रहे लगातार बदलाव से लिंग भूमिका व कामुकता में भी बदलाव आ रहे हैं. संभोग कोई ऐसा कार्य नहीं जो मर्द औरत के लिए करेगा या औरत मर्द के लिए. संभोग में समान रूप से भागीदारी करें.

वैवाहिक सुख की ओर मिल कर बढ़ाएं कदम

यदि हर बार आप को अपने पति का अंतरंग साथ बेचैनी की भावना की ओर धकेलता है, तो आप को कुछ ऐसे कदम उठाने चाहिए जिन से आप दोनों को वैवाहिक सुख की प्राप्ति हो सके. यह समस्या संवेदनशील अवश्य है, किंतु इसे सुलझाना कठिन नहीं. आइए जानते हैं कुछ ऐसे स्टैप्स जिन्हें आप आसानी से फौलो कर सकती हैं और इस में आप के पति भी यकीनन आप का साथ देंगे:

– हो सकता है कि रिश्ते की शुरुआत में कुछ समय के लिए आप वैवाहिक सुख के लिए तैयार न हों, लेकिन यदि आप के पति यह जानते हैं कि आप का उद्देश्य कम सैक्स नहीं, अपितु पूरे जीवन के लिए ज्यादा व बेहतर सैक्स है, तो वे आप की बात से सहमत होंगे. उन्हें आप के साथ इस विषय पर बातचीत करने, किताबें पढ़ने या किसी काउंसलर से मिलने में भी आपत्ति नहीं होगी. लेकिन यदि उन्हें आपत्ति हो तो आप अकेली ही काउंसलर से मिल कर इस समस्या का हल खोजने का प्रयास करें.

– कोई ऐसी बात या कोई ऐसी चीज जिस के कारण आप का अपने पति के निकट आना मुश्किल हो जाता हो जैसे उन के शरीर से आ रही पसीने की बू, उन के मुंह से आ रही गंध आदि के बारे में उन्हें अवश्य अवगत कराएं, क्योंकि ये छोटीछोटी बातें भी अंतरंग क्षणों पर असर डालती हैं.

जब बदलना हो फ्लैट

अगर आप नए फ्लैट में शिफ्ट होने का प्लान बना रही हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखें. फिर आप इस प्रक्रिया में होने वाली आपाधापी और असुविधाओं से बच जाएंगी:

– फ्लैट ऐसी जगह खोजें, जो आप के दफ्तर या व्यावसायिक स्थल से नजदीक हो.

– अपने बच्चों के दाखिले की व्यवस्था भी यथासंभव फ्लैट के आसपास के ही किसी अच्छे स्कूल में कराएं. फ्लैट से बच्चों का स्कूल और दफ्तर नजदीक होने पर आप आनेजाने में होने वाले व्यर्थ खर्चे से तो बचेंगी ही, साथ ही समय की बचत भी होगी.

– अपने गैस के कनैक्शन का पता परिवर्तित करने के लिए पहले से ही आवेदन कर दें.

– सामान्यतया लैंडलाइन फोन स्थानांतरित करवाने में काफी समय लग जाता है. अत: अच्छा हो फ्लैट बदलने की योजना बनते ही आप फोन स्थानांतरण के लिए आवेदन कर दें. जल्दी काररवाई के लिए हफ्ते भर के अंतराल से स्मरणपत्र अथवा व्यक्तिगत रूप से संबंधित अधिकारी से मिल कर निवेदन करें, तो काम जल्दी हो जाएगा.

– अगर आप को अकसर तबादले या अन्य पारिवारिक कारणों से फ्लैट बदलते रहना पड़ता हो, तो सूटकेस, लकड़ी की पेटियां, प्लास्टिक के कैरेट आदि संभाल कर रखें. अकसर लोग लकड़ी की पेटियों को फेंक देते हैं और फिर जरूरत पड़ने पर बारबार खरीदते हैं. इस से आप व्यर्थ खर्च से बच जाएंगी. सामान पैक करने के लिए लकड़ी की पेटियां बहुत उपयोगी होती हैं.

– सामान की पैकिंग अच्छी तरह करें ताकि टूटफूट न हो.

– अगर आप का सामान ट्रक से जा रहा है, तो तिरपाल अवश्य लगवा दें ताकि बरसात, धूप से सामान का बचाव हो सके. सामान अच्छी और प्रतिष्ठित ट्रांसपोर्ट कंपनी के माध्यम से ही भेजें. सामान का बीमा करवा लें, तो ज्यादा अच्छा होगा.

– यथासंभव सभी संदूकों, पलंगों, फ्रिज, लकड़ी की पेटियों, सूटकेसों आदि पर अपने नए पते के लेबल चिपका दें. साथ ही वहां जिस कंपनी या उस की शाखा में कार्य करने आप जा रहे हैं उस का फोन नंबर भी लिख दें. अगर किसी कारणवश आप काकोई सामान छूट या गिर गया हो तो किसी सज्जन को मिल जाने पर वह आप को सूचित कर सकता है.

– फ्लैट के निकटस्थ डाक्टर, अस्पताल, बैंक, सब्जी बाजार, किराने की दुकान, बिजली मेकैनिक, ड्राइक्लीनर, दूध, मंडी आदि की जानकारी ले लें.

– अपने महल्ले या क्षेत्र के पुलिस स्टेशन का नाम, पता व फोन नंबर अवश्य जानकारी में रखें.

– अपने परिचितों, व्यावसायिक पार्टियों, जीवन बीमा निगम, बैंक, डाकघर, क्रैडिट कार्ड की कंपनी, शेयर कंपनियों आदि को अपना पता बदलने की सूचना अवश्य दे दें.

– जिस कालोनी या महल्ले में आप जा रही हैं वहां अगर कोई रिश्तेदार या परिचित रहता है, तो उस का फोन नंबर पता आदि अवश्य रखें ताकि आपातकालीन स्थिति में उन से मदद ली जा सके.

– अपने पड़ोसियों से अच्छे संपर्क रखें तथा उन के फोन नंबर भी रखें. एक तो वे दुखसुख में काम आएंगे, दूसरा अगर आप का पता बदल गया है और आप किसी को सूचना देना भूल गई हैं तो पड़ोसी ही आप का नया पता बताएंगे या आप की चिट्ठीपत्री ले कर आप तक भेज देंगे.

– जब एक फ्लैट बिकाऊ होता है तो वहां के एजेंट्स से ले कर मैंटीनेंस कर्मियों तक के पास भी उस फ्लैट की चाबी होती है. आप से पहले यह फ्लैट बहुत से लोगों ने देखा होगा और हो सकता है कि उन में से किसी के पास इस की डुप्लीकेट चाबी हो. पिछले मालिक के पास भी इस की अतिरिक्त चाबी हो सकती है. अत: लौक बदलवा लें. यदि घर में कोई अलार्म सिस्टम लगा है तो उस का कोड भी बदल लें.

– आप को पता होना चाहिए कि पूरे घर की बिजली कहां से बंद होगी. इस के अलावा स्विच पर मार्क नहीं तो कौन सा स्विच किस का है, मार्क कर दें. इसी तरह फ्यूज बदलने के लिए आप को मेन स्विच तक जाना पड़ता है. इसलिए मेन स्विच की जानकारी होनी बहुत जरूरी है.

– अगर आप के घर में स्मोक अलार्म और कार्बन मोनोऔक्साइड डिटैक्टर्स लगे हुए हैं तो इन्हें शिफ्ट करने से पहले जरूर चैक करें. आप से पहले भी कई लोगों ने फ्लैट देखा होगा और उन्हें चैक करने की कोशिश की होगी, ऐसे में हो सकता है कि उन की बैटरी खत्म हो गई हो. ऐसे में घर शिफ्ट करने से पहले बैटरी जरूर बदल लें ताकि जरूरत के वक्त आप के काम आ सके.

– सामान शिफ्ट करने के बाद कोई भी टूटफूट कराना मुश्किल होगा. इसलिए घर में शिफ्ट करने से पहले दीवारों पर किसी भी तरह की सीलन के निशान चैक करना न भूलें ताकि सामान वहां ले जाने से पहले आप मरम्मत का जरूरी काम करवा सकें.

– घर में शिफ्ट करने से पहले पेंट जरूर करवाएं. इस से आप को घर अपना सा लगेगा. खाली घर को पेंट करवाना हमेशा आसान होता है. सामान इधरउधर करने का झंझट नहीं होता.

लमहों को सहेजने का अवसर है झारखंड

झारखंड में पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई महत्त्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं. इन फैसलों से वहां टूरिज्म की संभावनाओं को कितना बल मिलेगा, इस के लिए पेश हैं, पर्यटन विभाग की निदेशक सुचित्रा सिन्हा से की गई बातचीत के खास अंश:

झारखंड की मौजूदा पर्यटन नीति के आधारस्तंभ क्या हैं?

झारखंड पर्यटन विभाग सक्रिय रूप से 7-‘स’ की रणनीति पर काम कर रहा है यानी यह पूरी तरह से स्वागत, सहयोग, सूचना, संरचना, सुविधा, सफाई और सुरक्षा पर केंद्रित है. हमारी नीति इन्हीं मूल्यों पर आधारित है.

तीर्थस्थल पारसनाथ में क्या कुछ नई सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं?

पारसनाथ को अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए तेजी से काम किया जा रहा है. वहां हेलिपैड बनाया जाएगा, जिस की स्वीकृति दे दी गई है और जमीन का भी चयन कर लिया गया है. निर्माण की प्रक्रिया जल्दी शुरू की जाएगी. माननीय मुख्यमंत्री रघुवर दासजी ने कुछ समय पहले पारसनाथ के विकास की समीक्षा की थी. इस दौरान कई महत्त्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं. उन्हीं के तहत डोली मजदूरों के आश्रयणी का कार्य शुरू करने का भी फैसला लिया गया है. इस के अलावा यात्री सुविधाओं के लिए भी प्राथमिकता के आधार पर विकास कार्य किए जाने की योजना है.

पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा को ले कर हमेशा ही सवाल खड़े होते रहे हैं. इस दिशा में विभाग की ओर से क्या प्रयास किए जा रहे हैं?

पर्यटन विभाग पर्यटकों और पर्यटन स्थलों की सुरक्षा को ले कर गंभीर है. विभाग ने पर्यटन स्थलों की सुरक्षा और पर्यटकों के सहयोग के लिए स्थानीय लोगों को पर्यटन मित्र के रूप में नियुक्त किया गया है. हाल ही में निजी सुरक्षा एजेंसी से भी सुरक्षा को ले कर करार किया गया है. सरकार पर्यटकों की सुरक्षा को ले कर प्रतिबद्ध है. पर्यटक बेझिझक झारखंड आएं. यहां के लोग अतिथिसत्कार के लिए सदियों से जाने जाते हैं. यहां घूमने आने वाले पर्यटक अब यकीनन अपने अनुभव में यादगार लमहे जोड़ कर जाएंगे.

पतरातू घाटी को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

पतरातू की मनोरम घाटियों को देखने आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ी है. पर्यटकों को और अधिक आकर्षित करने के लिए पतरातू को सरकार द्वारा वाटर स्पोर्ट्स, ऐडवैंचर स्पोर्ट्स और ईकोटूरिज्म के रूप में विकसित किया जाएगा.

झारखंड की थाली अन्य राज्यों में भी लोकप्रिय हो चुकी है. क्या दूसरे राज्यों में झारखंड की थाली को स्थाई रूप से उपलब्ध कराने की कोई योजना है?

हां, यह सच है कि झारखंड की थाली देश भर में लोकप्रिय हो रही है. दिल्ली में हाल ही में आयोजित भारत पर्व में विदेशी पर्यटक झारखंड के जायके के मुरीद होते दिखे. इन संकेतों से भविष्य के लिए संभावनाओं के द्वार खुले नजर आते हैं. आने वाले दिनों में अन्य राज्यों में झारखंड की थाली को स्थाई रूप से उपलब्ध कराने पर भी विचार किया जा सकता है.

विभाग ने हुनर से रोजगार योजना को बेहतर ढंग से संचालित किया है. क्या इस योजना को आगामी वित्तीय वर्ष में भी जारी रखना है?

राज्य सरकार का यह संकल्प है कि स्थानीय युवाओं को कौशल विकास से जोड़ कर उन्हें रोजगार दिया जाएगा. इस हेतु माननीय मुख्यमंत्री रघुवर दासजी का स्पष्ट निर्देश है कि हमें ज्यादा से ज्यादा युवाओं को दक्ष करना है. मौजूदा वित्तीय वर्ष में हुनर से रोजगार योजना को विभाग ने बेहतर ढंग से क्रियान्वित किया है. आगामी वित्तीय वर्ष में भी यह प्रयास होगा.

क्या विभाग अपनी नई वैबसाइट का निर्माण करने जा रहा है?

विभाग की नई वैबसाइट लगभग तैयार है. जल्द ही कई सुविधाओं के साथ एक आकर्षक वैबसाइट आम लोगों के लिए उपलब्ध होगी. विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अवलोकन एवं स्वीकृति के बाद इसे जारी कर दिया जाएगा.

क्या मोबाइल ऐप्स के माध्यम से भी विभाग ऐंड्रौयड या आईओएस प्लेटफौर्म पर मौजूद रहने की योजना बना रहा है?

मोबाइल ऐप्स मौजूदा दौर की एक बड़ी जरूरत के रूप में उभर कर सामने आए हैं. पर्यटन विभाग ऐंड्रौयड या दूसरे प्लेटफौर्म पर ऐप्लिकेशन की उपयोगिता के बारे में आंतरिक विवेचना कर रहा है. शीघ्र ही इस मसले पर कोई सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा.                                     

महिलाओं में दिल की बीमारी का जोखिम

दिल की बीमारी का जोखिम महिलाओंपुरुषों में बराबर ही रहता है. हालांकि पुरुषों और महिलाओं में कार्डियोलौजी अलग तरह से काम करता है. पुरुषों और महिलाओं में कार्डियोवैस्क्युलर बीमारियों के साझे जोखिम कारकों (डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, खून में कोलैस्ट्रौल का बढ़ा स्तर और धूम्रपान) के अलावा और भी ऐसे कारक हैं, जो महिलाओं में कार्डियोवैस्क्युलर बीमारी का जोखिम बढ़ा देते हैं.

ऐसे में महिलाओं के लिए यह जानना जरूरी है कि किनकिन कारणों से हार्ट डिजीज होने का खतरा रहता है.

रजोनिवृत्ति और ऐस्ट्रोजन की हानि

महिलाओं के शरीर में बनने वाला हारमोन ऐस्ट्रोजन हृदय की बीमारियों से प्राकृतिक सुरक्षा मुहैया कराता है. उम्र बढ़ने के साथसाथ प्राकृतिक ऐस्ट्रोजन की कमी से उन में रजोनिवृत्ति के बाद हृदय की बीमारी का जोखिम बढ़ सकता है. अगर रजोनिवृत्ति का कारण गर्भाशय या अंडाशय निकालने की सर्जरी की गई हो, तो जोखिम और बढ़ जाता है.

गर्भनिरोधक गोलियां

खाने वाली कुछ गोलियां हृदय की बीमारी का जोखिम पैदा कर सकती हैं खासकर उन महिलाओं में जो धूम्रपान करती हैं या जिन्हें उच्च रक्तचाप रहता है.

तनाव, मोटापा और अवसाद अच्छेखासे जोखिम कारणों में हैं, जो तुलनात्मक रूप से महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करते हैं.

डायबिटीज की शिकार महिलाओं की कार्डियोवैस्क्युलर बीमारी से मौत का जोखिम डायबिटीज वाले पुरुषों की तुलना में ज्यादा होता है. गर्भावस्था के दौरान अस्थायी डायबिटीज भी महिलाओं में जोखिम बढ़ा देती है.

हृदय की कई तरह की बीमारियां महिलाओं में पुरुषों की तुलना में ज्यादा आम हैं. जैसे स्ट्रोक, हाइपरटैंशन, ऐंडोथेलियल डिसफंक्शन और कंजैस्टिव हार्ट फेल्योर.

आज हैल्थकेयर समाज में सब से चर्चित विषय है. अत: महिलाओं को इस बात के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए कि वे अपने लक्षणों पर ध्यान दें और समय पर रोगनिदान हेतु उपचार का चुनाव करें.

 

( डा. नीति चड्ढा, मैट्रो हौस्पिटल, फरीदाबाद )

मेकअप में भी जरूरी हाइजीन

मेकअप करते समय भी सावधानी हटने से दुर्घटना घट सकती है. इस की बानगी आप को अपने फ्रैंडसर्कल व नातेरिश्तेदारों में मिल जाएगी. कंघी, लिपस्टिक, मसकारा, काजल, ब्लशर, फाउंडेशन, आईशैडो की शेयरिंग बहुत आम है. अपनी इस आदत को सुधारें वरना देर करने पर दाग सेहत पर पड़ेगा. ऐसी छोटीछोटी आदतें, जिन्हें हम नजरअंदाज करते हैं वही त्वचा संबंधी रोगों का कारण बनती हैं. लापरवाही बरतने पर यही फुजूल आदतें गंभीर बीमारी का रूप इख्तियार कर लेती हैं.

नमी की पहुंच नहीं

जहां नमी पहुंची वहीं कीटाणु पनपने शुरू हो जाते हैं, जो बीमारियों को खुला न्योता देते हैं. यही बात आप के वैनिटी बौक्स में शामिल हर एक कौस्मैटिक पर लागू होती है. इस्तेमाल के बाद प्रत्येक कौस्मैटिक को कस कर बंद करें. कौस्मैटिक्स को नमीरहित अंधेरी जगह रखें. याद रहे नमी पहुंचते ही कीटाणु को कहीं भी पहुंचने में ज्यादा वक्त नहीं लगता. इसलिए अपने मेकअप कंटेनर को अच्छी तरह बंद करना न भूलें. अगर मेकअप के सामान तक मौइश्चर पहुंच गया, तो कीटाणुओं को उस में घर बनाने में समय नहीं लगेगा और यह त्वचा के कैंसर का कारण भी बन सकता है.

वैनिटी की सफाई

अपनी वैनिटी का इस्तेमाल सिर्फ सजनेसंवरने तक ही सीमित न रखें. सप्ताह में एक दिन वैनिटी की सफाई जरूर करें. खासतौर से मेकअप में प्रयोग होने वाले ब्रशेज की. पानी और डिटर्जैंट से ब्रश साफ कर रही हैं, तो उन्हें साफ, सूखे कपड़े से पोंछने के बाद धूप में जरूर सुखाएं. मेकअप ब्रश की ब्रिसल टूट गई है या ब्रश पुराना हो गया है, तो उस की जगह नया ब्रश इस्तेमाल करें. समयसमय पर मेकअप ब्रश बदलती रहें. याद रहे मेकअप ब्रश के प्रति लापरवाही आप को महंगी पड़ सकती है यानी नमी का एक कण भी फंगल इन्फैक्शन से गंभीर त्वचा रोग दे सकता है.

स्पौंज से मोह है गलत

सजनेसंवरने के लिए सिर्फ वैनिटी का प्रयोग अहम नहीं है. नियमित अंतराल पर उस की सफाई भी बहुत जरूरी है. मेकअप के लिए ब्रश के बाद स्पौंज का इस्तेमाल आप जरूर करती होंगी. याद रहे स्पौंज की सफाई को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. कौंपैक्ट के लिए इस्तेमाल होने वाले स्पौंज और पाउडर के लिए प्रयोग होने वाले पफ को नियमित अंतराल पर बदलती रहें. ऐसा न करने से चेहरे पर मौजूद गंदगी स्पौंज या पफ पर चिपक जाती है. इन्हें बिना बदले या धोए प्रयोग में लाने से फंगल इन्फैक्शन का खतरा हो सकता है. अगर आप इन्हें धो रही हैं, तो तेज धूप में सुखाना न भूलें.

ऐसे करें फेस क्लीन

फंगल इन्फैक्शन या त्वचा संबंधी रोगों से बचने के लिए चेहरे की डीप सफाई बहुत जरूरी है. आप की त्वचा नौर्मल या तैलीय है, तो कोल्ड वाइपअप करें. ठंडे या बर्फ के पानी में नैपकिन डुबो कर रखें. इस नैपकिन से रात को मेकअप वाले चेहरे को साफ करें. इस तरह पोर साफ हो जाएंगे और इन में गंदगी भी नहीं जमेगी. आप की त्वचा रूखी है, तो रोजाना चेहरे को मौइश्चराइजरयुक्त क्लींजर से साफ करें. इस से चेहरा रूखा नहीं रहेगा. यदि चेहरे पर खुले रोमछिद्र हैं, तो भी चेहरे को स्टरलाइज करें. इस के लिए चेहरे को ठंडे पानी से स्टरलाइज करें. नमी वाले मौसम में खुले पोरों में तेल और गंदगी जमा हो जाती है, जिस से दाने आने लगते हैं.

यह भी जानें

– इस्तेमाल के बाद कौस्मैटिक अच्छी तरह पैक करें.

– कौस्मैटिक शेयरिंग न करें.

– चेहरे को वाइप टिशू से साफ करने के बाद उसे फेंक दें, क्योंकि वाइप टिशू का दोबारा इस्तेमाल त्वचा के लिए घातक हो सकता है.

– हाल ही में आई अमेरिकन औप्टोमैटिरक ऐसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक कौस्मैटिक की ऐक्सपाइरी डेट होती है. एक तय सीमा के बाद कौस्मैटिक का प्रयोग घातक होता है.

– कौस्मैटिक की ऐक्सपाइरी डेट जान कर ही उसे वैनिटी केस में जगह दें.

– कोई भी कौस्मैटिक खरीदने से पहले उस पर लिखी बैस्ट बिफोर डेट जरूर पढें.

– लिपस्टिक की आयु 1-2 साल होती है. आयुसीमा के बाद लिपस्टिक का प्रयोग सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डालना शुरू कर देता है.

– नेल पेंट की आयुसीमा सिर्फ 12 महीने होती है.

– 3 साल तक बेफिक्र हो कर आईशैडो का प्रयोग किया जा सकता है.

– वाटरबेस्ड फाउंडेशन 12 महीने और औयलबेस्ड फाउंडेशन 18 महीने तक त्वचा पर नकारात्मक प्रभाव नहीं छोड़ता.

– सभी कौस्मैटिक्स में सब से कम आयु मसकारा की होती है. सिर्फ 8 महीने.

– 12 महीने के बाद हेयरस्प्रे का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

– पाउडर 2 साल, कंसीलर 12 महीने, क्रीम व जैल क्लींजर 1 साल, पैंसिल आईलाइनर 3 साल व लिपलाइनर 3 साल के बाद प्रयोग नहीं करना चाहिए.

शिक्षा कोरी व्यावसायिकता

दिल्ली सरकार ने प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ाने पर रोक लगाने का हक जमा कर पेरैंट्स को राहत दी है. चाहे यह सही हो कि बढ़ते खर्च और बढ़ते वेतन के कारण फीस बढ़ाना आवश्यकता बन गई हो पर यह भी सच है कि शिक्षा अब कोरी व्यावसायिकता हो गई है और इस गंदगी को फैलाने में स्कूल और पेरैंट्स दोनों बराबर के साझेदार हैं. सरकारी कदम से स्पीडबे्रकर लगेंगे. असल में स्कूलों में होड़ लग गई थी कि कौन ज्यादा सुविधाएं देता है. स्कूल मल्टीप्लैक्स और मौल्स की तरह चमचमाने लगे हैं. एयरकंडीशनिंग तो आवश्यकता बनने लगी है. कंप्यूटर, ऐक्टिविटीज, घर से कहीं मीलों दूर स्कूल, बढि़या ड्रैस, कोचिंग आदि के भंवर में स्कूल और पेरैंट्स फंस गए और अब इस से निकलना कठिन हो रहा है.

चूंकि इस धंधे में मुनाफा दिखने लगा, ज्यादातर नए स्कूल केवल धंधे के कारण खुलने लगे. सेवा तो समाप्त हो गई. किसी तरह बच्चों को आकर्षित किया जाए, यही जुगाड़ होने लगे. एक के बाद एक ब्रांच खुलने लगी. चूंकि पेरैंट्स के पास ज्यादा पैसा आने लगा है, उन्होंने भी लाड़लोंलाडलियों को सुविधाएं देनी शुरू कर दी हैं. पेट और सुविधाएं काट कर साधारण परिवार भी अपने बच्चों को महंगे स्कूलों में भेज रहे हैं और सिलसिला थम नहीं रहा. उधर सरकार उन संस्थानों की भी फीस बढ़ा रही है जहां जनता के टैक्स से वसूले अरबों रुपए खर्च किए जाते हैं. आईआईटी, आईआईएम, जेएनयू, मैडिकल कालेजों की फीस बढ़ रही है तो स्कूल वालों को लगता है कि वे भी क्यों न इस बहती गंगा में हाथ धो डालें.

पढ़ाई की क्वालिटी सुधरे या न सुधरे, स्कूलों का रंगरोगन जरूर सुधर रहा है पर जेबें पेरैंट्स की खाली हो रही हैं. यह भयावह स्थिति है, क्योंकि इस का मतलब है कि केवल अमीरों के बच्चे पढ़ पाएंगे और गरीबों के बच्चे अधपढ़े रह कर उसी आर्थिक स्तर पर रह जाएंगे. यह भेदभाव समाज को फिर से राजशाही युग में ले जाएगा जिस में कौरवपांडव तो शिक्षा पाएंगे और एकलव्य अपना अंगूठा कटवाएंगे. दिल्ली सरकार जो कर रही है वह स्कूलों द्वारा व अदालतों द्वारा माना जाएगा, इस के चांस नहीं हैं, पर फिर भी प्रयास तो किया जा रहा है. कम से कम स्कूली शिक्षा तो बराबर की होनी चाहिए, लगभग मुफ्त. चाहे स्कूल भव्य हों या खंडहर. बच्चों को प्रारंभ से ही सिखाना चाहिए कि सब बराबर हैं और शिक्षा मेहनत पर निर्भर है पैसे पर नहीं.

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