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प्यार के साइड इफैक्ट्स

प्यार से भी प्यारा होता है प्यार का एहसास. प्यार करने वालों का अंगअंग इस जादुई एहसास में सराबोर हो जाता है और वे सब के बीच हो कर भी सब से अलग नजर आते हैं. आइए, पहचानें प्यार करने वालों को : हर पल होंठों पर मुसकराहट रहती है और यह मुसकराहट इन की आंखों में भी दिखती है.

पलकें भी चमक उठती हैं, सोते में हमारी, आंखों को अभी ख्वाब छिपाने नहीं आते. द्य हर इंसान अच्छा लगने लगता है, हर चीज में खूबसूरती नजर आती है. वह अभी इस तरफ से गुजरा है, यह जमीन आसमान सी लगती है. नींद कम आती है मगर देर तक लेटे रहने का मन करता है. तबीयत घबराती है जब सुनसान रातों में, हम ऐसे में तेरी यादों की चादर तान लेते हैं. हर आहट पर दिल धड़क जाता है. आहट सी कोई आए, तो लगता है कि तुम हो, साया कोई लहराए तो लगता है कि तुम हो. मोबाइल सच्चा साथी, हमदर्द, हमराज बन जाता है. एक पल भी किसी और के हाथ लग जाए तो राज फाश होने के डर से दिल धड़क जाता है. ऐसे में मोबाइल के लिए यह कहने को दिल करता है :मेरे हमसफर मेरे साथ तुम, सभी मौसमों में रहा करो, कभी दर्द बन कर उड़ा करो, कभी बूंद बन कर गिरा करो. आदतें, व्यवहार, पसंदनापसंद में बदलाव नजर आता है क्योंकि खुद को प्रेमी के अनुसार ढालने की कोशिश जो होती है, इश्क सुनते थे जिसे हम, वह यही है शायद, खुद ब खुद दिल में, एक शख्स समा जाता है.

सोशल गैदरिंग से दूर रहते हैं. तनहाई पसंद आने लगती है. मैं जब उन के खयालों में खो भी जाती हूं, वह खुद भी बात करें तो बुरा लगता है मुझे. आईने से दोस्ती हो जाती है. झल्ली सी दिखने वाली लड़की भी अपने लुक को ले कर अलर्ट हो जाती है. ड्रैसेज, ब्यूटी/हेयर ट्रीटमैंट व ऐक्सैसरीज के बारे में अपडेट रहने लगती है. याद कीजिए कुछकुछ होता है, फिल्म की टौम बौय काजोल में भी ऐसा ही कुछ बदलाव आया था. जरा उलझी लटें संवार लूं, हर अंग का रंग निखार लूं, कि मैं तो सज गई रे, सजना के लिए. द्य प्यार से लबरेज शख्स बेहद खूबसूरत, बेहद हसीन नजर आने लगता है. बेखबर थे उमर के तकाजों से हम, आज जाना कि सचमुच शबाब आ गया. हर पल वे खोएखोए से रहते हैं. खुद से बातें करते, खुद में गुम, किसी के साथ होते हुए भी अकेले, पर अकेले में भी तनहा नहीं रहते. तो ये हैं कुछ निशानियां प्यार करने वालों की. तो करते रहिए प्यार मगर प्यार से.

मर्दानगी बेचने वालों से सावधान

‘यह लीजिए साहब… पुश्तैनी जोड़ों के दर्द को जड़ से मिटा देगी… यह जड़ीबूटी डायबिटीज, पेट की खराबी, सुस्ती, थकावट सब दूर कर देगी… काम में मन न लगना, मन अशांत रहना, हर मर्ज की दवा है हमारे पास,’ जैसी बातें कह कर ठग ग्राहकों को खूब लूटते हैं.

‘यह दवा आप को किसी डाक्टर के पास या मैडिकल स्टोर में नहीं मिलेगी.

‘साहब, हम इसे जंगल से ढूंढ़ढूंढ़ कर लाते हैं. हमारे खानदान के लोगों को ही इस जड़ी के बारे में मालूम है. यह हिमालय की चोटी पर उगती है, बर्फ में ढूंढ़नी पड़ती है. बहुत महंगी बिकती है. इसे खाने के बाद सामने वाला चारों खाने चित नहीं हुआ, तो सारा पैसा वापस.’

ऐसी ही बातें सुन कर खदान में काम करने वाले एक मजदूर ने सड़क किनारे तंबू लगा कर दवा बेचने वाले से तेल लिया. उसे अंग पर लगाने के थोड़ी देर बाद तकलीफ होनी शुरू हो गई. अंग फूल कर मोटा हो गया. उस में जलन व दर्द होने लगा. धीरेधीरे तकलीफ इतनी बढ़ गई कि वह छटपटाने लगा. उस मजदूर की बीवी ने पड़ोसियों की मदद से उसे अस्पताल पहुंचाया. डाक्टरों ने फौरन इलाज कर के दर्द व जलन दूर कर दी. पर तेल लगाने से जो छूत की बीमारी हुई थी, उसे ठीक होने में डेढ़ महीना लग गया.

इसी तरह एक आदमी ने सैक्स ताकत बढ़ाने के लिए सड़क किनारे दवा बेचने वाले से दवा ली. दवा खाने के थोड़ी देर बाद हाथपैरों में ऐंठन शुरू हो गई. उस की बीवी पति की हालत देख कर घबरा गई. उस ने पड़ोसियों को बुलाया, जो उसे अस्पताल ले गए. डाक्टर ने इलाज किया, जहां वह काफी समय बाद ठीक हुआ.

जब उस आदमी ने डाक्टर से ताकत की दवा लेने के बारे में बताया, तो डाक्टर ने उसे बताया कि ऐसी दवाओं में नशीली चीजें होती हैं. उन्हीं के असर से उसे ऐसी तकलीफ हो गई थी. सारणी में सड़क के किनारे तंबू लगा कर दवा बेचने वाले तथाकथित वैद्य के पास एक आदमी पहुंचा. बाहर से साधारण दिखने वाले तंबू के अंदर का नजारा चकाचौंध कर देने वाला था. सामने सैकड़ों शीशियों में गोलियां, चूर्ण, कैप्सूल, जड़ीबूटियां वगैरह रखी हुई थीं. उस ने मरीज के रूप में अपना हाथ दिखाया, तो उस वैद्य ने हाथ की नाड़ी को पकड़ कर कहा, ‘शरीर में गरमी हो गई है. इस से शरीर का धातु पतला हो कर बाहर चला जा रहा है. शरीर में पानी की मात्रा बढ़ रही है, जिस से वह फूल गया है.’ वैद्य ने 750 रुपए की एक महीने की दवा लेने को कहा और पौष्टिक चीजें खाने की राय दी.

जब उस से कहा गया कि मैं तो पूछताछ करने आया हूं, तो वह वैद्य घबरा गया. अपनेआप को संभालते हुए उस ने कहा कि मैं तो मजाक कर रहा था. इतने रुपए की दवा नहीं लगेगी. जब उस से पूछा कि धातु क्या होता है? दवा से अंग कैसे मोटा हो जाता है? जवानी की ताकत बढ़ाने वाली दवा में क्याक्या मिलाते हैं? तो उस ने सवालों के जवाब देने से मना कर दिया और कहा कि वह कल अपने गुरु से इन सवालों के जवाब मालूम कर के बता देगा. दूसरे दिन वहां पर तंबू नहीं था. वैसे, उस तंबू वाले तथाकथित वैद्य की कमाई का अंदाजा उस के पास मौजूदा रंगीन टैलीविजन, मोटरसाइकिल, मेटाडोर वगैरह से लगाया जा सकता है.

खानदानी इलाज करने वाले तथाकथित वैद्यों की जवान पीढ़ी भी इसी काम में लगी हुई है. इस काम में लगे ज्यादातर नौजवान नासमझ हैं. उस की वजह यह है कि एक ही जगह पर अधिक दिनों तक तंबू लगा कर न रहने से बच्चे स्कूली पढ़ाई नहीं कर पाते हैं. उन का कहना है कि पढ़लिख कर उन्हें कौन सी नौकरी करनी है. उन्हें तो बापदादाओं से मिले हुनर का ही काम करना है. जड़ीबूटी बेचना उन की विरासत है. वह इसे छोड़ना नहीं चाहते हैं. उन की औरतें भी इसी काम में लगी रहती हैं. मर्दों को बुला कर सैक्स की दवा बेचने में उन्हें शर्म या झिझक महसूस नहीं होती.

इन के पास केवल आदमी ही इलाज के लिए जाते हैं, ऐसा नहीं है. तमाम औरतें व स्कूली छात्राएं छाती बढ़ाने, ढीली छाती को कसने, पेट गिराने, बांझपन, ल्यूकोरिया, माहवारी संबंधी बीमारियां, ठंडापन, बालों का झड़ना, कीलमुहांसे वगैरह की शिकायतें ले कर इन तंबुओं में पहुंचती हैं. पिछले दिनों एक मामला सामने आया. जब एक कालेज की छात्रा कीलमुहांसे के इलाज के लिए तंबू में पहुंची, तब तंबू के तथाकथित वैद्य ने उसे छेड़ दिया. जब बात कालेज के छात्रों को पता चली, तो उन्होंने आ कर तंबू उखाड़ दिया. तथाकथित वैद्य वहां से फरार हो गया.

सैक्स मामलों के जानकार डाक्टर का कहना है कि सड़क के किनारे तंबू लगा कर दवा बेचने वालों से किसी भी तरह का इलाज नहीं कराना चाहिए. इन्हें दवाओं के बारे में सही जानकारी नहीं होती, जिस की वजह से इन की दी हुई दवाएं इस्तेमाल करने पर फायदा होने के बजाय नुकसान होता है. इन के द्वारा दी गई जवानी बढ़ाने वाली दवाओं में नशीली चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, जो शरीर को काफी नुकसान पहुंचाती हैं.

चोरी हो गया है फोन, घबराएं नहीं, करें यह काम

आज के दौर में हाथों में एंड्रायड फोन होना आम बात है. वहीं इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि लोग जल्दबाजी में अक्सर अपने मोबाइल फोन को या तो कहीं छोड़ देते हैं या फिर भीड़-भाड़ वाले इलाकों में कोई उनके हाथ से मोबाइल पार कर देता है.

दूसरों के मोबाइल फोन गुम होने की बातें आए दिन सुनने के बाद भी हम सजग नहीं रहते. हम यहीं गलती करते हैं. हम यह नहीं सोच पाते कि जो आज दूसरे के साथ हुआ है कल को वह हमारे साथ भी हो सकता है. दरअसल इस तरह की घटनाओं से बचने का एकमात्र उपाय तो सजग रहना ही है लेकिन इसके बावजूद अगर आप अपने फोन के खोने से दुखी होते हैं तो हम आज आपको बताएंगे कि आप ऐसी स्थिति में क्या कर सकते हैं. जानिए ऐसे ही कुछ जरूरी उपाय जिन्हें आप अपना सकते हैं.

ट्रैक माई फोन फीचर का करें इस्तेमाल
आमतौर पर हर एंड्रॉयड फोन में ट्रैक माई फोन का फीचर होता है. अगर गनीमत से आपके खोए हुए फोन में एंडरॉयड डिवाइस मैनेजर फीचर ऑन है तो आप अपने फोन को ट्रैक कर सकते हैं. ट्रैक माई फोन फीचर आपके खोए हुए फोन की लोकेशन को ट्रैक करके बता देता है. यह फीचर ई-मेल आईडी के साथ इंटीग्रेट होने की वजह से बाई डिफाल्ट ऑन हो जाता है. यह विकल्प एंड्रॉयड फोन की सेटिंग में मिलेगा. इसके लिए फालो करें ये स्टेप..

सेटिंग में जाएं.

सिक्योरिटी का चुनाव करें.

डिवाइस एडमिनिस्ट्रेटर में जाएं.

एंड्रॉयड डिवाइस मैनेजर को ऑन कर दें.

अब आप कहेंगे कि भला जब फोन खो ही गया तो उसे ट्रैक कहां से करेंगे. तो हम आपको बता दें कि चोरी या गुम होने की स्थिति में आप ट्रैक माई फोन फीचर का इस्तेमाल वेब या फिर किसी दूसरे मोबाइल फोन से भी कर सकते हैं. गूगल पर ट्रैक माई फोन लिखकर सर्च करेंगे तो विकल्प सामने आ जाएगा. वहीं आप एंड्रॉयड फोन में एंड्रॉयड डिवाइस मैनेजर एप को डाउनलोड कर फोन को ट्रैक कर सकते हैं. आप इसे जीमेल आई-डी से लॉग-इन कर सकते हैं.

जब नई बीवी संग दिखे दिग्विजय सिंह

उम्रदराज कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह बीते दिनों इंदौर, मध्य प्रदेश में अपनी नईनवेली बीवी टैलीविजन एंकर अमृता राय के संग पहली बार शादी के बाद दिखे, तो उन्हें देखने के लिए खासी भीड़ जमा थी. मौका था रतलाम झाबुआ से उपचुनाव जीते कांतिलाल भूरिया के सम्मान का, लेकिन नजरें छाई रहीं इस जोड़े पर.

इस उम्र में शादी कतई हर्ज की बात नहीं, क्योंकि एक सहारे की जरूरत सभी को होती है, लेकिन शादी के बाद दिग्विजय सिंह के ढीले पड़ते तेवरों पर जरूर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को चिंता है. वे अब पहले की तरह हमलावर नहीं रह गए हैं, बस अपनी पहचान बनाए रखने के लिए कभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, तो कभी नितिन गडकरी जैसे मंत्रियों पर हमला बोल देते हैं. कहा यह भी जा रहा है कि सोनिया गांधी की नजरों में अब दिग्विजय सिंह की पहले सी इज्जत और पूछपरख नहीं रह गई है, इसलिए वे अकसर प्रधानमंत्री रह चुके डाक्टर मनमोहन सिंह का सहारा लेने लगी हैं.

खली का बदला पूरा, दो मिनट में तीन पहलवानों को हराया

उत्तराखंड के हल्द्वानी में द ग्रेट खली रिटर्न्स शो में रेसलिंग के दौरान गंभीर रूप से घायल हुए महाबली खली ने हॉस्पिटल से छुट्टी मिलने के बाद खून का बदला खून से लेने का अपना वादा पूरा करते हुए तीनों विदेशी रेसलरों को पटखनी दी और हाईवोल्टेज फिनाले में शानदार जीत दर्ज कर ली.

दिलीप सिंह राणा उर्फ खली ने तीनों विदेशी रेसलरों ब्रॉडी स्टील, माइक नोक्स और अपोलो लियोन को रोमांचक फिनाले में करारी शिकस्त देकर न सिर्फ जीत दर्ज की बल्कि तीनों से अपनी हार का बदला भी चुकता किया. खली पर इन तीनों रेसलरों ने हल्द्वानी में हुए पिछले मुकाबले में एक साथ आक्रमण कर दिया था जिससे वह बुरी तरह से घायल होकर हॉस्पिटल पहुंच गए थे.

राजीव गांधी स्टेडियम में हुए फिनाले में खली को देखने का उत्साह लोगों में साफ दिखाई दिया और सभी ने उनका जोरदार समर्थन किया. मुकाबले में पहले तीनों विदेशी रेसलरों ने खली को रिंग में चैलेंज किया. इसके बाद खली रिंग में उतरे. हालांकि इस दौरान रेफरी ने नोक्स और लियोन को रोके रखा ताकि तीनों फिर से एक साथ खली पर हमला न कर सकें.

शुरुआत में ब्रॉडी स्टील चोटिल खली पर कुछ हावी दिखे और उन्हें नीचे पटखनी दे दी. लेकिन बाद में बाकी के दो रेसलर नोक्स और लियोन भी रिंग में उतर आये और पिछले मैच की ही तरह उनपर हमला कर दिया. ब्रॉडी ने खली पर एक बार फिर कुर्सी से हमला किया. लेकिन उस समय मुकाबला पूरी तरह पलट गया जब खली उठ खड़े हुए और नोक्स और लियोन पर हमला कर उन्हें चित कर दिया.

44 वर्षीय खली ने फिर ब्राडी को रिंग में घसीट दिया और उन्हें लात मारते हुये जमीन पर गिरा दिया. इसके कुछ मिनट बाद ही खली को विजेता घोषित कर दिया गया. इस मुकाबले के क्रेज का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद यहां मौजूद थे.

 

इस बार ज्यादा गेहूं आयात करेगा भारत

 

भारत को इस बार बड़े पैमाने पर गेहूं का आयात करना पड़ सकता है. इस को ले कर पूरी दुनिया की निगाहें भारत पर टिकी हैं. ऐसे में आटा मिल इंडस्ट्री ने सरकार से मांग की है कि गेहूं पर लगने वाले 25 फीसदी आयात शुल्क को अप्रैल, 2016 से खत्म कर दिया जाए.

आटा मिल इंडस्ट्री को 2016-17 में गेहूं का उत्पादन कम रहने की चिंता सता रही है. सूखा पड़ने और तापमान में बढ़ोतरी के कारण इस बार भारत में गेहूं के उत्पादन में एक करोड़ टन तक की गिरावट का अनुमान है.

रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन औफ  इंडिया की तरफ  से फूड और कामर्स मिनिस्ट्री को लिखी गई चिट्ठी में कहा गया है कि गेहूं के उत्पादन में गिरावट की आशंका और नैशनल फूड्स सिक्योरिटी ऐक्ट के तहत अनुमानित 6.12 करोड़ टन गेहूं की जरूरत के मद्देनजर केंद्रीय पूल के लिए बड़ा खरीद टारगेट तय करना होगा.

इस चिट्ठी में आगे कहा गया है कि गेहूं पर इंपोर्ट ड्यूटी की न सिर्फ  समीक्षा की जानी चाहिए, बल्कि इसे हटाने के बारे में समय पर ऐलान किए जाने की जरूरत है, ताकि आटा मिल इंडस्ट्री जल्दी ही गेहूं की इंपोर्ट की प्लानिंग कर सके. उसे ग्लोबल लेवल पर कीमतों में तेजी का सामना नहीं करना पड़े.

कृष्णा आटा मिल्स के मैनेजिंग डायरेक्टर ने बताया कि अगर गेहूं पर इंपोर्ट ड्यूटी नहीं होती, तो हम इसी वित्तीय वर्ष में एडवांस में इंपोर्ट कर लेते. इंडस्ट्री के अनुमानों के मुताबिक, 2015-16 के दौरान गेहूं का प्राइवेट ट्रेड इंपोर्ट 6 लाख टन रहा. आमतौर पर प्राइवेट मिलें मध्य प्रदेश के गेहूं की वैरायटी का इस्तेमाल करती हैं. पिछले साल बेमौसम बारिश की वजह से गेहूं की क्वालिटी पर बहुत ही बुरा असर पड़ा था. इस बार गेहूं की क्वालिटी और प्रोडक्शन दोनों को ले कर चिंता है. गेहूं की ट्रेडिंग से जुड़ी एमएनसी नोबल ऐग्री के वाइस प्रेसीडैंट ने जानकारी देते हुए बताया कि फसल की मौजूदा स्थिति तो उत्पादन में गिरावट की तरफ  इशारा कर रही है और भारत को डिमांड और सप्लाई के अंतर की भरपाई के लिए कम से कम 20 लाख टन गेहूं की जरूरत पड़ सकती है.

VIDEO: पाक फैन ने कहा, इंडिया को तहस-नहस कर दूंगा

टीम इंडिया ने एशिया कप में शनिवार को पाकिस्तान को पांच विकेट से हराया. इस हार से पाकिस्तानी क्रिकेट फैन्स को बहुत निराशा हुई लेकिन एक फैन ने अपनी निराशा ऐसे व्यक्त की कि आप भी लोटपोट हो जाएंगे.

पाकिस्तान की पूरी पारी 83 रनों पर सिमट गई थी. जवाब में टीम इंडिया ने भी एक समय 8 रन पर तीन विकेट गंवा दिए थे. लेकिन इसके बाद विराट कोहली ने 49 रनों की शानदार पारी खेलकर टीम इंडिया को जीत की दहलीज पर पहुंचा दिया.

पाकिस्तान का एक फैन दुबई में यह मैच देख रहा था और इतना निराश हो गया कि एक वीडियो शूट करके सोशल मीडिया पर डाल दिया, जो अब वायरल हो गया है. इस वीडियो में उसने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से गुजारिश की है कि उसे टीम इंडिया के खिलाफ पाकिस्तानी टीम की ओर से खेलने का मौका मिला.

आप भी देखिए ये वीडियो…

 

 

 

Yeh bhai ne tou mujhe bhi rula diya :'(

Posted by Sarcasmistan on Saturday, 27 February 2016

पाक खिलाड़ियों की जिम्मेदारी भारत सरकार पर: पीसीबी

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के चेयरमैन शहरयार खान ने कहा कि विश्व टी20 में पाकिस्तानी टीम की सुरक्षा सुनिश्चित करना अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) और भारत सरकार दोनों की जिम्मेदारी है.

खान ने लाहौर में मीडिया से कहा कि पीसीबी विश्व टी20 की सभी घटनाओं और पाकिस्तान की इसमें भागीदारी पर करीब से निगाह रख रहा है.

भारत में पाकिस्तानी टीम की सुरक्षा चिंताओं के बारे में पूछने पर खान ने कहा, हमारी सरकार ने इस शर्त पर टीम को भारत भेजने की अनुमति दी है कि वहां हमारे खिलाड़ियों के लिए सुरक्षा की चिंता नहीं है. पाकिस्तान को विश्व टी20 में धर्मशाला में भारत के खिलाफ मैच खेलना है, लेकिन भारत के कुछ नेताओं और मंत्रियों ने कहा कि वे इस पहाड़ी क्षेत्र में इस मैच को कराने की अनुमति नहीं देंगे.

 

किसी को गे बोलने में तकलीफ होती है: मनोज बाजपेयी

फिल्म ‘‘अलीगढ़’’ में होमोसेक्सुअल/‘गे’ प्रोफेसर सिरास का किरदार निभा चुके अभिनेता मनोज बाजपेयी को यह पसंद नही कि वह किसी भी ‘गे’ इंसान को होमो सेक्सुअल कहे. खुद मनोज बाजपेयी कहते हैं-‘‘बचपन से भी मेरे कई समलैंगिक/ गे मेरे दोस्त रहे हैं. मैंने कभी भी ऐसे लोगों को अपने से अलग नहीं माना. सच कहूं तो मुझे होमोसेक्सुअल बोलते हुए भी परेशानी होती है. मेरी राय में हम सभी एक ही समाज में रहने वाले हैं. पर हमारी चाहते अलग अलग हैं. हमारे दुख अलग अलग हैं. अफसोस की बात यह है कि ‘गे’ लोगों के प्रति हर सरकार का रवैया एक जैसा ही रहा है. प्रजातंत्र में सबसे बड़ी गलत बात यह है कि हम वोट की राजनीति करते हैं. हम न्याय की राजनीति कभी नहीं करते. इसके अलावा हमारे देश में ‘होमोसेक्सुआलिटी’ को लेकर जो टैबू बना हुआ है, वह गलत है.

समलैंगिकता को लेकर जो भरतीय समाज मे जो ‘टैबू’ बना हुआ है,उसके लिए वह समाज को दोषी ठहराते हुए कहते हैं-‘‘पूरी तरह से समाज दोषी है. अब सती प्रथा के लिए कौन दोषी था? बाद में लोगों ने माना कि सती प्रता गलत थी. धीरे धीरे लोग समलैंगिकता को भी स्वीकार करने लगे हैं. अब ‘गे’ लोगों के समर्थन में लोग इकट्ठा हो रहे हैं. हम सभी अलग तरह के लोग हैं. मेरे कई समलैंगिक/होमोसेक्सुअल दोस्त हैं. आपके भी हो सकते हैं और हम इन दोस्तों के साथ बैठकर पार्टियां भी करते हैं. हमारे कई शिक्षक समलैंगिक रहे हैं, जिनसे हमने बहुत कुछ सीखा है. मैंने तो उनसे अभिनय के बहुत बडे़ गुण सीखे हैं. इनके साथ समाज में जब भेदभाव होता है, तो मुझे बहुत तकलीफ होती है.’

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